Last Updated:July 24, 2025, 18:48 IST
Golden Temple: अमृतसर के गोल्डन टेंपल के बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं. लेकिन पंजाब के इस पवित्र शहर से 2700 किमी दूर दक्षिण भारत में एक और गोल्डन टेंपल है. इसे श्री लक्ष्मी नारायणी स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है. तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित इस मंदिर में अमृतसर के गोल्डन टेंपल से दोगुना सोना लगा है. यह करीब सात साल में बनकर तैयार हुआ.

अमृतसर का गोल्डन टेंपल जहां सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है. तो वहीं वेल्लोर का श्रीलक्ष्मी नारायणी मंदिर एक हिंदू धर्म स्थल है. इसमें लगे सोने की वजह से इस मंदिर को श्रीपुरम गोल्डन टेंपल (Sripuram Golden Temple) के नाम से भी जानते हैं. यह मंदिर विष्णु नारायण की पूजनीय पत्नी देवी श्री लक्ष्मी नारायणी को समर्पित है. प्रदर्शित स्वर्ण अलंकरणों में पारंपरिक मंदिर कला में निपुण कारीगरों द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट सजावट शामिल है. प्रत्येक बारीक विवरण कारीगरों के कौशल और कलाकृति में निहित ईश्वर के प्रति गहरी श्रद्धा दोनों को दर्शाता है.

श्रीलक्ष्मी नारायणी गोल्डन टेंपल तमिलनाडु में थिरुमलाइकोडी (मलाइकोडी) वेल्लोर में छोटी पहाड़ियों के तल पर श्रीपुरम आध्यात्मिक पार्क में स्थित है. यह वेल्लोर शहर से मात्र 10 किमी और तिरुपति से करीब 120 किमी दूर है. यह जगह चेन्नई से 145 किमी, पुडुचेरी से 160 किमी और बेंगलुरु से 200 किमी की दूरी पर है.

100 एकड़ में फैले श्रीपुरम गोल्डन टेंपल का निर्माण दक्षिण के चर्चित आध्यात्मिक गुरु नारायणी अम्मा ने करवाया है. उनके भक्त उन्हें श्री शक्ति नारायणी अम्मा (Sri Sakthi Narayani Amma) भी कहते हैं. इस मंदिर के निर्माण की शुरुआत साल 2000 के आसपास हुई थी और 2007 में बनकर तैयार हुआ.

मंदिर के उपरी हिस्से को सोने से कवर किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर के ऊपर करीब 1500 किलो सोने की परत चढ़ाई गई है. तारे के आकार के इस मंदिर पर 9 से 10 लेयर की गोल्ड कोटिंग है. मंदिर का हर कोना कठोर परिश्रम का परिणाम है. कच्चे सोने की छड़ों को सावधानीपूर्वक नाज़ुक, पतली पन्नियों में बदला गया है. फिर इन पन्नियों को बारीक नक्काशीदार तांबे की प्लेटों पर कुशलता से लगाया गया है. जिससे एक ऐसी सतह बनती है जो प्रकाश को ग्रहण करती है और मंदिर के आध्यात्मिक वातावरण को और भी निखार देती है.

आपको बता दें कि अमृतसर के गोल्डन टेंपल में करीब 750 किलो सोना इस्तेमाल किया गया है. महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे का ऊपरी हिस्सा 750 किलो शुद्ध सोने से मढ़वाया था. इस हिसाब से श्रीपुरम गोल्डन टेंपल में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के मुकाबले करीब दोगुना सोना लगा है.

श्री लक्ष्मी नारायणी स्वर्ण मंदिर स्थापत्य कला और आध्यात्मिक प्रतीकात्मकता के अद्भुत मिश्रण को दर्शाता है. मंदिर की प्रमुख देवी श्री लक्ष्मी नारायणी हैं, जो धन, शक्ति और समृद्धि की प्रतीक हैं. अपने उद्घाटन के बाद से तमिलनाडु का यह मंदिर आध्यात्मिकता के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में विकसित हुआ है.दुनिया भर से लाखों पर्यटक यहां आते हैं.

मंदिर का विशाल परिसर लगभग 100 एकड़ में फैला है. यह बगीचों और मूर्तियों से सुसज्जित है जो इसके शांत वातावरण को और भी निखारते हैं. इस मंदिर की स्थापना श्री नारायणी पीडम नामक धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा की गई थी, जो आध्यात्मिक विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है.

मंदिर के डिजाइन में एक जटिल तारे के आकार का पथ है, जिसे श्री चक्र कहा जाता है. यह 1.8 किलोमीटर तक फैला हुआ है. यह अद्भुत पथ हरे-भरे परिदृश्यों से घिरा है, जो एक शांत वातावरण बनाता है. आध्यात्मिक यात्रा को और भी बेहतर बनाता है. जैसे ही आगंतुक मंदिर जाते हुए इस 'तारा पथ' पर चलते हैं, उन्हें सोच-समझकर लिखे गए आध्यात्मिक संदेशों की एक श्रृंखला दिखाई देती है.