Last Updated:March 19, 2025, 21:03 IST
Builder-Bank Nexus: बिल्डरों और बैंकों के गठजोड़ की वजह से मकान खरीदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इसकी शिकायत होने पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच कराने की बात कही है. कोर्ट का कहना है कि इस ज...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डर और बैंक की साठगांठ को उजागर करने का आदेश दिया है.
हाइलाइट्स
सीबीआई करेगी बिल्डर-बैंक साठगांठ की जांच.सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों की समस्याओं पर जताई नाराजगी.बैंकों और बिल्डरों की मिलीभगत से खरीदारों को हो रहा नुकसान.नई दिल्ली. बैंक और बिल्डरों की साठगांठ से घर खरीदारों को होने वाली परेशानी और नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है. शीर्ष अदालत ने कहा कि इस गठजोड़ का पर्दाफाश करने के लिए सीबीआई जांच जरूरी है. साथ ही जांच एजेंसी से आग्रह किया कि वह दो हफ्तों में यह प्रस्ताव लेकर आए कि जांच कैसे की जाएगी. प्रोजेक्ट के हिसाब से या क्षेत्र के हिसाब से. हम निश्चित रूप से सीबीआई जांच कराएंगे. आखिर सुप्रीम कोर्ट के इस सख्त लहजे का मतलब क्या है और यह किस तरह घर खरीदारों से जुड़ा है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि रियल एस्टेट कंपनियों और बैंकों की मिलीभगत के कारण घर खरीदार रो रहे हैं, क्योंकि परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो रही हैं और उन्हें ईएमआई चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. हम उनके आंसू नहीं पोंछ सकते, लेकिन हम उनकी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं. कुछ बहुत प्रभावी तरीके से समयबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए.
पूरे रियल एस्टेट क्षेत्र की होगी जांच
कोर्ट ने यह मानते हुए कि पूरे रियल एस्टेट क्षेत्र को जांच के दायरे में लाने के लिए विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी, पूर्व इंटेलिजेंस ब्यूरो प्रमुख राजीव जैन की सहायता मांगी और उनसे मामले में आगे कैसे बढ़ना है, इस पर एक नोट दाखिल करने का आग्रह किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उन हजारों घर खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई के दौरान की. इन खरीदारों ने एनसीआर के विभिन्न हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक कराए थे. इन लोगों ने आरोप लगाया था कि उन्हें अपने फ्लैट का कब्जा न मिलने के बावजूद बैंकों द्वारा ईएमआई चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
सबवेंशन योजना से लगाते हैं चूना
सबवेंशन योजना के तहत बैंक स्वीकृत राशि को सीधे बिल्डर्स के खातों में जमा करते हैं, जो फ्लैट्स को होमबायर्स को सौंपने तक उस राशि पर ईएमआई का भुगतान करते हैं. हालांकि, कई बिल्डर्स ने त्रिपक्षीय समझौते के अनुसार ईएमआई का भुगतान करना बंद कर दिया, जिसके बाद बैंकों ने होमबायर्स से भुगतान वसूलने की कार्रवाई शुरू कर दी. इतना ही नहीं उन्होंने मकान खरीदारों को डिफॉल्टर भी बना दिया है.
बैंकों ने अभी से शुरू कर दिया विरोध
सीबीआई जांच के परिणाम को समझते हुए कुछ वित्तीय संस्थानों ने अदालत से अनुरोध किया कि प्रमुख जांच एजेंसी द्वारा जांच से अस्थिरता पैदा होगी और आरबीआई को मामले की जांच करने के लिए कहा जाए. वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और रंजीत कुमार, जो वित्तीय संस्थानों की ओर से पेश हुए, उन्होंने तर्क दिया कि अदालत को सभी बैंकों को एक ही नजर से नहीं देखना चाहिए. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई भी बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन जिन्होंने ईमानदारी से काम किया है, उन्हें जांच से डरने की जरूरत नहीं है.
40 बिल्डरों के खिलाफ शिकायत
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम लगभग 40 बिल्डरों और 30 बैंकों/वित्तीय संस्थानों के खिलाफ दायर याचिकाओं के बाद आया है. बेंच ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों की इस तरह की अनदेखी और उपेक्षा साथ ही कोर्ट की सही तरीके से मदद करने में उनकी अनिच्छा, बिल्डरों-कम-डेवलपर्स और बैंकों/वित्तीय संस्थानों के बीच संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करती है. इसका खामियाजा सिर्फ मकान खरीदारों को ही भुगतना पड़ रहा है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 19, 2025, 21:03 IST