पटना. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार दौरे को लेकर सूबे में सियासी खलबली मचे न मचे, लेकिन बीजेपी-जेडीयू के अंदर खलबली जरूर मच सकती है. कहा ये भी जा रहा है कि बिहार चुनाव को देखते हुए बीजेपी के शीर्ष नेताओं में बड़े पैमाने पर उठापटक हो सकती है. गुरुवार को नड्डा ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले छठ के मौके पर छठ डिप्लोमेसी शुरू कर दिया है. इसके तहत बिहार में मनाने और समझाने का दौर शुरू हो गया है. नड्डा ने सबसे पहले सीएम नीतीश कुमार के साथ टूटते तारों को जोड़ने का प्रयास किया. फिर बीजेपी के दोनों उपमुख्यमंत्रियों और मंत्रियों का कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया. बिहार में नड्डा के छठ डिप्लोमेसी की चर्चा शुरू हो गई है. नड्डा का एक ही दिन पटना आना और फिर कुछ ही घंटों में चले जाना राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है.
क्या नड्डा का छठ के दिन बिहार आना, किसी प्लान का हिस्सा था, जिसमें असली मुद्दा भूलकर मीडिया छठ-छठ रटते रहे और नड्डा अपना काम कर के दिल्ली चले जाएं. सबसे पहले ये जान लीजिए कि 15 नवंबर को पीएम मोदी की जमुई में बिरसा मुंडा की 150 जयंती पर सभा होनी है. इस सभा को लेकर पहले बीजेपी नेताओं के द्वारा यह कहा जा रहा था यह कार्यक्रम पीएम मोदी का है और कौन आएंगे और कौन नहीं आएंगे यह केंद्र तय करेगा. क्योंकि, झारखंड में चुनाव हो रहे हैं ऐसे में इस दौरे को लेकर जेडीयू नेता भी कुछ बोलने से कतरा रहे थे. सीधे शब्दों में कहें तो पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार का इस कार्यक्रम में शामिल होने का प्रोग्राम नहीं था. लेकिन, अब नड्डा से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं.
क्यों नड्डा कुछ ही घंटों के लिए आए बिहार?
ऐसे में आप समझ गए होंगे कि शायद पीएम मोदी की सभा में मंच शेयर करने को लेकर जेडीयू और बीजेपी में कुछ कशमकश चल रही होगी? ऐसे में नड्डा का पटना पहुंचना और सीएम नीतीश कुमार के साथ एक ही जहाज में गंगा घाटों पर जाना कई संकेत दे रहा है. सीएम नीतीश कुमार के साथ गंगा घाट पर नड्डा के साथ बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम भी मौजूद थे.
झारखंड-महाराष्ट्र चुनाव के बीच बिहार क्यों हुआ अहम?
बिहार के बगल में झारखंड में विधानसभा का चुनाव हो रहा है. नड्डा वहां न जाकर सीधे पटना आना कई सवालों को जन्म दे रहा है. पहला सवाल, क्या नड्डा का बिहार दौरा गलतफहमियों को दूर करने की कवायद थी? दूसरा सवाल, क्या नड्डा बीजेपी नेताओं को कुछ मैसेज देने के लिए आए थे? तीसरा सवाल, क्या नड्डा राज्य बीजेपी नेतृत्व से खुश नहीं हैं? चौथा सवाल, क्या नड्डा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी को बड़े भाई की भूमिका में देखना चाह रहे हैं? पांचवां सवाल, क्या जेडीयू और बीजेपी में आ गई दूरी को कम करने की यह कवायद थी?
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क्या कहते हैं जानकार?
बिहार की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार जितेंद्र कुमार कहते हैं, ‘निश्चित रूप से जेपी नड्डा का यह दौरा बेजीपी और जेडीयू में बन रही दूरियों को कम करने की दिशा में एक कदम था. साथ बीजेपी अब नीतीश कुमार की उम्र और उनके स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए नेतृत्व अपने हाथ में लेना चाहती है. ऐसे में बीजेपी को नीतीश कुमार के कद न सही पर पार्टी में एक सुलझे हुए नेता की तलाश है, जो पार्टी का नेतृत्व कर सके. मौजूदा दौर में बीजेपी के अंदर कोई भी ऐसा चेहरा नहीं है, जिससे बीजेपी आलाकमान खुश रहे. क्योंकि, नड्डा बिहार में रहे हैं और उनको पता है कि यहां की पॉलिटिक्स को साधना कितना कठिन है. शायद इन्हीं सारी संभावनाओं को टटोलने के लिए उनका दौरा हुआ होगा.’
नड्डा के बिहार दौरे की चाहे जिस नजरिए से आप देखें. लेकिन, एक बात तो तय है कि बीजेपी देश की दूसरी पार्टियों से अलग पार्टी क्यों है? देखिए, अभी महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हो रहे हैं. अभी दो दिन पहले ही दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए दिल्ली में भी अमित साह के नेतृत्व में एक बैठक हुई थी. अब, छठ के दिन देखिए नड्डा बिहार पहुंच गए. जबकि, बिहार विधानसभा चुनाव होने में तकरीबन अभी एक साल बचे हैं. इसलिए, बीजेपी मोदी-शाह युग में कांग्रेस या अन्य पार्टियों से बिल्कुल अलग पार्टी है.
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FIRST PUBLISHED :
November 8, 2024, 15:55 IST