निमिषा प्रिया कैसे आखिरी वक्त में सजा-ए-मौत से बची? जानें अब क्या है रास्ता

10 hours ago

Last Updated:July 16, 2025, 07:30 IST

Nimishi Priya News: केरल की नर्स निमिषा प्रिया की जिंदगी का आस एक बार फिर जग गई है. एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में दोषी करार दी गई निमिषा की मौत की सजा आखिरी वक्त में कैसे टल गई और अब आगे क्या है रास्ता? ...और पढ़ें

निमिषा प्रिया कैसे आखिरी वक्त में सजा-ए-मौत से बची? जानें अब क्या है रास्ता

केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा टल गई है.

हाइलाइट्स

यमन में निमिषा प्रिया की मौत की सजा टल गई है.उसपर एक यमनी नागरिक की हत्या का आरोप है.अब ब्लड मनी समझौते से माफी मिलने की संभावना है.

यमन में एक शख्स की हत्या के मामले में मौत की सजा पाई केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए उम्मीद की नई किरण दिखने लगी है. निमिषा को आज यानी 16 जुलाई को ही मौत की सजा दी जाने वाली थी. हालांकि आखिरी वक्त में इसे टाल दिया गया. यमन के हूति प्रशासन के इस फैसले के पीछे भारत सरकार की हालिया कूटनीतिक कोशिशों को बड़ा कारण माना जा रहा है. सरकार ने पीड़ित परिवार और निमिषा के परिवार के बीच समझौता कराने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था ताकि ‘ब्लड मनी’ के तहत शरिया कानून के अनुसार माफी मिल सके.

भारत सरकार की तरफ से शुरुआत से ही इस मामले में सभी तरह के मदद दिए जा रहे हैं, लेकिन यमन की कूटनीतिक स्थिति को देखते हुए यह एक बेहद संवेदनशील मामला बना हुआ है. सूत्रों के अनुसार, भारतीय अधिकारी लगातार यमन के जेल प्रशासन और अभियोजन विभाग से संपर्क में बने हुए थे. इन्हीं कोशिशों का नतीजा है कि उसकी सजा ए मौत को अस्थायी रूप से टाल दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट में भी उठी थी आवाज

निमिषा प्रिया का बचाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में उठा था. सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह इस मामले में हर संभव कदम उठा रही है. अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने अदालत में कहा था, ‘यमन एक कूटनीतिक रूप से मान्यता प्राप्त देश नहीं है. हम उस सीमा तक जा चुके हैं, जितना भारत सरकार कर सकती है. हम इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे, इसलिए हम पर्दे के पीछे निजी तौर पर कोशिश कर रहे हैं.’

ईसाई समाजसेवी और मुस्लिम धर्मगुरु का बड़ा रोल

निमिषा को मौत से बचाने के लिए समाजसेवी सैमुअल जेरोम भास्करन यमन में बातचीत की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने यमन सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्रालय को धन्यवाद दिया.

वहीं केरल से मुस्लिम धर्मगुरु कंथापुरम ए पी अबूबकर मुसलियार ने भी हस्तक्षेप किया है. उन्होंने यमन के एक प्रमुख सूफी विद्वान से पीड़ित परिवार से बातचीत कर माफी दिलाने की कोशिश करने की अपील की है.

क्या है पूरा मामला?

केरल के पलक्कड़ की रहने वाली निमिषा प्रिया पेशे से नर्स हैं और 2008 में नौकरी के लिए यमन गई थीं. उन्होंने 2011 में केरल निवासी टॉमी थॉमस से शादी की. दोनों ने यमन में क्लिनिक खोलने की योजना बनाई, जिसके लिए स्थानीय साझेदार अनिवार्य था. इसलिए उन्होंने तलाल अब्दो महदी नामक यमनी नागरिक की मदद ली. लेकिन बाद में महदी ने निमिषा को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया, उनके दस्तावेज जब्त कर लिए और कथित तौर पर उनके साथ दुष्कर्म किया.

2017 में निमिषा ने अपनी साथी नर्स हन्नान की मदद से महदी को बेहोश कर दस्तावेज वापस लेने की कोशिश की. बेहद ज्यादा डोज़ देने के कारण महदी की मौत हो गई. घबराकर दोनों ने महदी का शव काटकर पानी की टंकी में फेंक दिया. हालांकि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 2018 में यमन की अदालत ने मौत की सजा सुनाई, जिसे यमन की सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति रशाद अल-अलीमी ने भी बरकरार रखा.

बेटी को बचाने में जुटी मां

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी पिछले साल से यमन में डटी हुई हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने पिछले महीने जेल में अपनी बेटी से मुलाकात की. वह बहुत कुछ सह रही है, लेकिन कुछ नहीं कहती.’

अब आगे क्या?

अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगर ब्लड मनी समझौता हो गया तो शरिया कानून के तहत निमिषा को माफी मिल सकती है. इसके लिए निमिषा का परिवार और भारत सरकार दोनों कूटनीतिक और सामुदायिक प्रयासों में लगे हैं.

फिलहाल उनकी मौत की सजा टल गई है, लेकिन अंतिम फैसला तलाल महदी के परिवार की सहमति और स्थानीय अदालतों पर निर्भर करेगा.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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