नेपाल की तरह बिहार में भी जेन-जी में बढ़ा आक्रोश... किसकी होगी खटिया खड़ी?

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Last Updated:September 14, 2025, 15:58 IST

Bihar Chunav Survey 2025: Vote Vibe सर्वे में बिहार के 18 से 34 साल के युवाओं ने नीतीश कुमार और एनडीए सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई, तेजस्वी यादव को सीएम के लिए सबसे ज्यादा समर्थन मिला है.

नेपाल की तरह बिहार में भी जेन-जी में बढ़ा आक्रोश... किसकी होगी खटिया खड़ी?बिहार में जेन-जी का किसके खिलाफ बढ़ा आक्रोश?

Bihar Chunav Vote Vibe Opinion Poll 2025: बिहार चुनाव की तारीखों का तो अभी ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन वोटर्स के मूड का रुझान आने लगा है. वोट वाइव (Vote Vibe) के एक ताजा सर्वे ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है. इस सर्वे में ऐसा खुलासा हुआ है, जिससे सीएम नीतीश कुमार तो हिलेंगे ही, एनडीए के बड़े-बड़े नेता भी चौंक जाएंगे. दरअसल, इस सर्वे में नीतीश सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा नाराजगी जेन-जी यानी 18 से 34 साल के आयु वर्ग में देखी गई है. हाल ही में इसी आयु वर्ग के लोगों ने नेपाल की सत्ता में भूचाल ला दिया था. नेपाल की जमी-जमाई केपी शर्मा ओली की सरकार 24 घंटे में ही गायब हो गई. इसी आयु वर्ग का गुस्सा अब बिहार में भी वोट वाइव सर्वे के पोल में नजर आ रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या जेन-जी का आक्रोश बिहार में नीतीश सरकार के लिए खतरे की घंटी है?

वोट वाइब की एक ताजा सर्वे ने बिहार की जनता का मूड भांपा है, जो एनडीए के लिए चिंता की बात है. इस सर्वे की अगर मानें तो बिहार में जेन-जी इस बार बड़ा खेल करने वाली है. 18 साल से 34 साल के उम्र के नौजनवानों ने नीतीश सरकार से नाखुशी जाहिर की है. इस वर्ग के लोगों की पहली पसंद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव हैं. सर्वे में पूछा गया कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है या नहीं. इस सवाल के जवाब में 48 प्रतिशत लोगों ने कहा हां. बिहार का यह ताजा सर्वे सियासत के असली मूड को दिखाने का दावा करता है.

जेन-जी किसका बिहार में बिगाड़ेगी खेल?

वोट वाइब के सर्वे में 33.50 प्रतिशत लोगों ने तेजस्वी यादव को सीएम देखना चाहते हैं. 24 प्रतिशत लोग नीतीश कुमार को सीएम देखना चाहते हैं, वहीं, प्रशांत किशोर को 13.70 प्रतिशत, सम्राट चौधरी को 5.20 प्रतिशत लोग, चिराग पासवान को 8.30 प्रतिशत लोग, राजेश राम को 1.50 प्रतिशत लोग, जीतन राम मांझी 0.50 प्रतिशत लोग सीएम बनते देखना चाहते हैं. खास बात यह है कि 22 प्रतिशत ग्रामीण लोग नीतीश को और 35 प्रतिशत ग्रामीण लोग तेजस्वी को सीएम बनते देखना चाहते हैं. वहीं, शहरी आबादी में 26 प्रतिशत लोग नीतीश कुमार और 32 प्रतिशत लोग तेजस्वी को सीएम बनते देखना चाहते हैं. वहीं 15 प्रतिशत शहरी और 13 प्रतिशत ग्रामीण वोटर प्रशांत किशोर को सीएम बनते देखना चाहते हैं.

एनडीए या महागठबंधन?

नीतीश कुमार के खिलाफ 18 से 24 साल के उम्र के 57 प्रतिशत युवा हैं. 25 साल से 34 साल उम्र के 51 प्रतिशत खिलाफ हैं. वहीं 35 साल से 44 साल उम्र के 46 प्रतिशत लोगों की पसंद नीतीश नहीं हैं. सर्वे में सबसे पहला सवाल था कि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए की सरकार के संबंध में आप क्या सोचते हैं? सत्ता विरोधी रुझान है या समर्थन का रुझान है? इसके जवाब में 48 प्रतिशत लोगों ने साफ तौर पर माना है कि बिहार में मजबूत सत्ता विरोधी लहर है. जबकि 27.1% लोगों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सत्ता के समर्थन में लोग खड़े हैं. वहीं तटस्थ रहने वालों की संख्या करीब 20.6% है. जबकि, पता नहीं या फिर कह नहीं सकते कहने वालों की संख्या 4.3% है.

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कुलमिलाकर बिहार में भी जेन-जी या जेन-जेड लोगों की संख्या आने वाले चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है. हाल ही में नेपाल की सड़कों पर उतरकर 18 से 34 साल के युवाओं ने विद्रोह कर सत्ता पलट दी. प्रधानमंत्री केपी शर्मा को गद्दी छोड़ना पड़ा. अन्य मंत्रियों को भी इस्तीफा देना पड़ा. जेन जेड उन लोगों को कहा जाता है जो 1997 से 2012 के बीच जन्मे हैं. यह पीढ़ी इंटरनेट और सोशल मीडिया के युग में पली-बढ़ी है, जिसके कारण यह तकनीक-संपन्न तो है ही. ये जागरूक और सामाजिक मुद्दों पर सक्रिय भी मानी जाती है. ये ज़िलेनियल्स भी कहे जाते हैं. ऐसे में बिहार चुनाव के ताजा सर्वे रिपोर्ट से एनडीए की बेचैनी बढ़ सकती है. क्योंकि, सीएम नीतीश कुमार और बिहार एनडीए के कामकाज से जेन-जी में काफी आक्रोश है.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

September 14, 2025, 15:58 IST

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