Last Updated:May 13, 2025, 21:42 IST
Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि पति के एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर को 'क्रूरता' नहीं माना जा सकता, जब तक कि यह साबित न हो कि उससे पत्नी को परेशानी या पीड़ा हुई है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Generated with AI)
नई दिल्ली: क्या शादी के बाद पति का किसी और महिला से रिश्ता ‘क्रूरता’ नहीं कहा जा सकता? क्या यह रिश्ता उस पत्नी को आत्महत्या की ओर धकेलने का कारण नहीं हो सकता? दिल्ली हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले ने इन संवेदनशील सवालों को नए सिरे से सामने रख दिया है. मार्च 2024 में एक महिला की मौत उसके ससुराल में हो गई. शादी को पांच साल भी पूरे नहीं हुए थे. मायकेवालों ने पति पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने, मारपीट और शादी के बाहर रिश्ते का आरोप लगाया. पति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (क्रूरता), 304बी (दहेज हत्या) और 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज हुआ और उसे जेल भेज दिया गया. लेकिन मंगलवार को हाईकोर्ट ने पति को जमानत दे दी और कहा कि केवल अफेयर होना क्रूरता नहीं है, जब तक यह साबित न हो कि यह संबंध पत्नी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के मकसद से चलाया जा रहा था.
‘संबंध था, लेकिन इरादा क्या था?’
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा, ‘अगर मान भी लें कि अफेयर था, तो भी यह अपने आप में क्रूरता या आत्महत्या के लिए उकसावे की श्रेणी में नहीं आता, जब तक यह साबित न हो कि इस रिश्ते का मकसद पत्नी को जानबूझकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करना था.’ कोर्ट ने यह भी कहा कि अफेयर को दहेज हत्या के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, जब तक कि यह लिंक न किया जा सके कि उसी अफेयर के चलते पत्नी पर दहेज लाने का दबाव डाला गया या उसे मानसिक यातना दी गई.
परिवार के आरोप, लेकिन कोई लिखित शिकायत नहीं
महिला के परिवार का कहना था कि पति का अपनी महिला सहकर्मी से रिश्ता था और जब पत्नी ने इस पर आपत्ति की तो उसे पीटा गया. साथ ही उस पर कार की ईएमआई चुकाने के लिए मायके से पैसे लाने का दबाव बनाया गया. लेकिन कोर्ट ने इस आधार को कमजोर माना क्योंकि पत्नी ने कभी किसी थाने या मंच पर इसकी शिकायत नहीं की. अदालत ने माना कि यह आरोप गंभीर हैं, लेकिन महिला के जीवित रहते कोई शिकायत नहीं होना केस की गंभीरता को कम करता है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी अब तक मार्च से जेल में है, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, ट्रायल जल्द शुरू नहीं होगा और न ही कोई सबूत मिटाने का खतरा है. ऐसे में उसकी जेल में और अधिक समय तक बंदी न्याय का उद्देश्य नहीं है. कोर्ट ने उसे ₹50,000 के निजी मुचलके और दो जमानती शर्तों के साथ रिहा करने का आदेश दिया.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi