Last Updated:September 28, 2025, 19:43 IST
अमित शाह ने माओवादियों को हथियार डालने का संदेश दिया, सीजफायर से इनकार किया. छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र में सुरक्षा बलों की कार्रवाई तेज, 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का वादा.

गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को माओवादियों को साफ-साफ शब्दों में मैसेज दे दिया, ‘हथियार डाल दो, पुलिस गोली नहीं चलाएगी.’ कोई समझौता या सीजफायर नहीं होगा. शाह ने CNN-News18 से बात करते हुए कहा, एक पत्र वायरल हुआ है जिसमें माओवादियों ने अब तक की गतिविधियों को गलती बताया और सीजफायर की मांग की क्योंकि वे आत्मसमर्पण करना चाहते हैं. मैं स्पष्ट कर हूं कि कोई सीजफायर नहीं होगा. अगर वे सही में सरेंडर करना चाहते हैं, तो उन्हें बस अपने हथियार डालने हैं, पुलिस एक भी गोली नहीं चलाएगी.
शाह का यह बयान 15 अगस्त को जारी एक पत्र के सामने आने के बाद आया. दावा किया गया कि यह पत्र माओवादी प्रवक्ता मल्लुजोल्ला वेनुगोपाल (उर्फ अभय) ने जारी किया है. इसमें माओवादियों ने अपने सशस्त्र संघर्ष को एकतरफा रोकने और केंद्र सरकार के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई गई है. इसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अपील की गई है. हालांकि केंद्र ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, राज्य सरकारें अभी सतर्क हैं. छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने पुष्टि की कि पत्र और उससे जुड़े वॉइस नोट की प्रामाणिकता जांची गई और सही पाई गई. उन्होंने कहा कि माओवादी पहले अपनी नीयत साबित करें, यानी राज्य में फैले आईईडी (Improvised Explosive Devices) हटाएं.
सुरक्षा बलों की कड़ी कार्रवाई
माओवादी प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब सुरक्षा बलों ने संगठन को कई राज्यों में भारी झटका दिया है. फरवरी 2025 में, छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क में हुए मुठभेड़ में 31 माओवादी मारे गए. मई 2025 में, संगठन को अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा जब इसके महासचिव नंबाला केशव राव (उर्फ बसवराजू) नारायणपुर में मारे गए, साथ ही 25 से अधिक लड़ाके भी मारे गए. इसके बाद से सुरक्षा अभियान कई राज्यों में जारी रहे. पिछले हफ्ते ही झारखंड के हजारीबाग में Rs 1 करोड़ इनामी नेता साहदेव सोरेन मारा गया, साथ ही दो अन्य माओवादी भी मारे गए. सीआरपीएफ और महाराष्ट्र पुलिस कमांडो ने गढ़चिरोली में लंबे समय से सक्रिय माओवादी नेटवर्क को भी खत्म किया.
आत्मसमर्पण का सिलसिला
इस माह की शुरुआत में, पोतुला पद्मावती (उर्फ सुजाता), जो कि केंद्रीय समिति की वरिष्ठ सदस्य और मारे गए माओवादी पोलितब्यूरो नेता किशनजी की पत्नी हैं, तेलंगाना में आत्मसमर्पण कर दिया. वह 40 साल से भूमिगत थीं और उनके खिलाफ 70 से अधिक मामले दर्ज थे, साथ ही उनका रिवार्ड 40 लाख रुपये था. माओवादी प्रस्ताव के बीच, अमित शाह पहले ही मार्च 2026 तक संगठन को खत्म करने का वादा कर चुके हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि माओवादी यदि सच्चे मन से शांति चाहते हैं, तो उन्हें हथियार डालने होंगे और कानून उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा. शाह ने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार का औपचारिक सीज़फायर नहीं होगा, क्योंकि इसका मतलब होगा कि हिंसा को वैध ठहराया जाए.
31 मार्च तक नक्सल समस्या खत्म
इस बीच गृहमंत्री नक्सल मुक्त भारत’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, आज नक्सलवाद के दोनों पहलू सुरक्षा और विकास पर चर्चा हुई…मैंने कहा है कि 31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा. बहुत सारे लोग ऐसा मानते हैं कि नक्सलवाद की हथियारी गतिविधियां समाप्त होने के साथ ही नक्सलवाद की समस्या समाप्त हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं है. देश में नक्सलवाद क्यों विकसित हुआ? इसका वैचारिक पोषण किसने किया? जब तक भारत का समाज नक्सलवाद के विचार का वैचारिक पोषण, लीगल समर्थन और वित्तिय पोषण करने वाले समाज में बैठे लोगों को समझ नहीं लेता है और उनको हम वापस नहीं लाते हैं तब तक नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई समाप्त नहीं होगी.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
September 28, 2025, 19:43 IST