पांडु ने पत्नी कुंती से किससे नियोग के लिए कहा, वो क्यों माद्री पर खफा हो गईं

13 hours ago

Last Updated:July 16, 2025, 14:32 IST

Mahabharata Katha: महाभारत में जब पांडु वन जाते हैं और उन्हें पता लगता है कि अब वह संतान पैदा नहीं कर पाएंगे तो उन्होंने कुंती से किससे नियोग करने के लिए कहा.

पांडु ने पत्नी कुंती से किससे नियोग के लिए कहा, वो क्यों माद्री पर खफा हो गईं

हाइलाइट्स

पांडु ने कुंती से सबसे पहले देवर से नियोग करने के लिए कहाफिर किसी श्रेष्ठ व्यक्ति के साथ ऐसा करने का सुझाव दियामाद्री की चतुराई से कुंती नाराज हो गई, फिर मदद नहीं की

क्या आपको मालूम है कि जब पांडवों के पिता पांडु वन में अपनी दोनों पत्नियों के साथ आखेट कर रहे थे. उन्हें शाप मिलने के बाद तय हो गया कि अब पुत्र पैदा नहीं कर पाएंगे तो उन्होंने पत्नी कुंती को किसके साथ नियोग करने को कहा. कुंती ने बेशक ऐसा किया लेकिन उससे नहीं, जिससे उनके पति ने कहा था. हालांकि ये किया पति की सहमति से ही. इसी प्रकरण में कुंती बुरी तरह माद्री पर नाराज भी हुईं.

महाराज पांडु वीर थे. उन्हें हस्तिनापुर का राजा बनाया जा चुका था. वह अपनी सेना लेकर निकले और कई देशों में विजय हासिल करके लौटे. फिर वह अपनी दोनों पत्नियों के साथ वन में जाकर आखेट करने लगे. इस समय तक उनकी जिंदगी में सबकुछ अच्छा था. वह अपनी दोनों पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन में आनंद कर रहे थे.

…तब पांडु को लगा कि उनकी दुनिया उजड़ गई

एक दिन ऐसा कुछ हुआ कि उन्हें अंदाज भी नहीं था. उन्होंने वन में घूमते हुए प्रेमरत हिरण के जोड़े पर तीर चला दिया. दोनों की मृत्यु हो गई. आहत हिरण जमीन पर गिरते हुए बोला, जैसा काम तुमने किया, वैसा कोई नहीं करता. क्या कोई ज्ञानवान पुरुष मैथुनरत हिरण दंपत्ति का वध करता है. फिर उस हिरण ने आगे कहा, महाराजा मैं किमिंदम मुनि हूं. पुत्र की इच्छा के लिए हिरण का रूप धारण करके पत्नी के साथ सहवास कर रहा था. मैं तुम्हें शाप देता हूं कि जब भी तुम स्त्री के साथ संभोग करोगे तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी.

वह अब पुत्र पैदा नहीं कर सकते थे

पांडु धक रह गए कि ये क्या अनर्थ हो गया. वह विलाप करने लगे. जीवन अनर्थ लगने लगा. उन्होंने अपनी दोनों पत्नियों से कहा, मैं अब संसार का त्याग करके भिक्षु बन जाऊंगा. कठोर तपस्या करूंगा. अब शाप की वजह से मेरा पुत्र तो होगा नहीं. तब कुंती और माद्री ने कहा, आप जो भी करेंगे, हम आपके साथ ही रहेंगी.

वन में रहने के दौरान पांडु ने अपनी पत्नी कुंती से नियोग करने का प्रस्ताव रखा.  (image generated by leonardo ai)

फिर ऋषियों ने उनसे पुत्रों के बारे में क्या कहा

एक दिन फिर उन्हें तब गहरा झटका लगा जबकि कुछ ऋषि ब्रह्मलोक एक सभा में जाने लगे. उन्होंने जब वहां जाने लगे तो ऋषियों ने मना करते हुए कहा कि तुम निस्संतान हो तो वहां नहीं जा सकते. लेकिन उन्हीं ऋषियों ने पांडु से ये भी कहा कि वो निस्संतान नहीं रहेंगे बल्कि उन्हें देवताओं जैसे तेजस्वी पुत्र होंगे.

तब पांडु ने कुंती से किससे नियोग के लिए कहा

इसके बाद पांडु ने कुंती से कहा, तुम संतान पाने के लिए नियोग करो. आपातकाल में स्त्रियां उत्तम वर्ण के पुरुष या देवर से पुत्र प्राप्त कर सकती हैं. मैं तुमसे अनुरोध कर रहा हूं कि तुम किसी तपस्वी ब्राह्मण से गुणवान पुत्र प्राप्त करो. तो पांडु ने कुंती से नियोग करने को कहा. उसके लिए ब्राह्मण की मदद लेने को कहा. पांडु इस समय बेताबी के साथ कोई पुत्र पाना चाहते थे. उन्हें क्या मालूम था कि कुंती को तो पहले से एक ऐसा आर्शीवाद मिला हुआ है कि वो तुरंत किसी देवता के आह्वान से संतान पा सकती है. वो बगैर गर्भ धारण किए.

कुंती ने फिर इस तरह पांडु को पुत्र दिए

जब कुंती ने ये बताया तो पांडु ने तुरंत अनुमति दे दी. कुंती ने मंत्रबल से धर्मराज का आह्वान किया. उन्हें तुरंत युधिष्ठिर पुत्र के रूप में मिल गए. इसके बाद पांडु की इच्छानुसार उन्होंने वायु और इंद्र के जरिए भीम और अर्जुन नाम के दो और पुत्रों को जन्म दिया.

कुंती ने देवताओं की मदद से बेटे पैदा करने में माद्री की मदद की लेकिन जब उसने एक साथ दो देवताओं का आह्वान कर लिया तो वह उसकी इस हरकत से चिढ़ गई. (image generated leonardo ai)

माद्री भी चाहती थी उसके बेटे हों लेकिन …

माद्री ने जब ये देखा तो उसे लगा इस तरीके से काश उसके भी पुत्र हो पाते. हालांकि उसकी हिम्मत सीधे कुंती से ये कहने की नहीं हुई. तो उसने पांडु से ये अनुरोध किया. माद्री ने एक दिन पांडु से कहा, महाराजा कुंती मेरी सौत हैं. मैं उनसे नहीं बोल सकती लेकिन अगर आप कहेंगे तो वह मुझे भी पुत्रवती बना देंगी.

तब माद्री ने चालाकी दो देवताओं को बुलाया और कुंती चिढ़ गई

पांडु के कहने पर कुंती मान गई और माद्री की मदद के लिए राजी हो गई. लेकिन माद्री ने चालाकी से एक देवता को बुलाने की बजाए दो देवताओं का आह्वान किया. ये अश्विनीकुमार द्वय थे. इससे माद्री ने नकुल और सहदेव को जन्म दिया. लेकिन माद्री की इस चालाकी से कुंती बुरी तरह चिढ़ गईं. इसी वजह से जब माद्री ने और पुत्रों के जन्म के लिए कुंती से मदद मांगी तो उसने मना कर दिया.

फिर नाराज कुंती ने नहीं की माद्री की मदद

कुंती ने पांडु से नाराजगी से कहा, मैने माद्री से एक देवता का स्मरण करने के लिए कहा था लेकिन उनसे दो देवताओं का स्मरण करके मुझे प्रताड़ित किया है. इसलिए अब मैं उसकी कोई मदद नहीं करूंगी. कुंती ने तब भी माद्री पर बुरी तरह नाराज हुईं थीं, जब उनकी गौरमौजूदगी में एकांत में पांडु ने माद्री के साथ संयम खो दिया. बलपूर्वक संगम किया. उसी क्षण पांडु की मृत्यु हो गई.

क्या थी नियोग परंपरा

नियोग एक प्राचीन हिंदू प्रथा थी, जिसका मुख्य उद्देश्य किसी निःसंतान विधवा या ऐसी महिला को संतान पैदा करने में मदद करना था, जिसका पति बच्चे पैदा करने में सक्षम नहीं था या जिसकी मृत्यु हो गई थी. इस प्रथा का मकसद परिवार की वंशावली को जारी रखना और निःसंतान विधवा को होने वाली सामाजिक और आर्थिक असुरक्षा को कम करना था.

इस प्रथा में विधवा या निःसंतान महिला को अपने पति के भाई (देवर) या परिवार के किसी अन्य योग्य पुरुष (जैसे गोत्र का कोई व्यक्ति) से संबंध बनाकर संतान उत्पन्न करने की अनुमति दी जाती थी. यह संबंध केवल संतान प्राप्ति के उद्देश्य से होता था, न कि किसी शारीरिक सुख के लिए. इस प्रथा से जन्मा बच्चा कानूनी रूप से मृत या अक्षम पति का ही माना जाता था, उस पुरुष का नहीं जिसने संतान उत्पन्न करने में मदद की.

कुछ नियमों के अनुसार, पुरुष को अपने जीवनकाल में अधिकतम तीन बार ही नियोग करने की अनुमति थी, ताकि इसका दुरुपयोग न हो.

संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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