Last Updated:July 16, 2025, 17:40 IST
Khirmohan Sweet: सीतामढ़ी के अथरी गांव की मिठाई 'खीरमोहन' बिहार की शान है. रामसेवक साह ने इसे 1980 में बनाया, 2010 में पहचान मिली. इसके स्वाद के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी दीवाने हैं. एक किलो में 5 पीस होते हैं...और पढ़ें

मिठाई खीरमोहन अपने साइज और स्वाद के लिए काफी प्रसिद्ध है.
सीतामढ़ीः बिहार अपनी समृद्ध पाक विरासत, खासकर अपनी पारंपरिक मिठाइयों के लिए जाना जाता है. मिथिला क्षेत्र की मिठाइयों का स्वाद पूरे देश में प्रसिद्ध है, और इन्हीं में से एक है सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के अथरी गांव की अनोखी मिठाई ‘खीरमोहन’. यह मिठाई इतनी भरपूर और स्वादिष्ट होती है कि इसका एक पीस ही पेट भरने के लिए काफी है, जो इसके वजन और स्वाद की खासियत है. दिलचस्प बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस मिठाई के दीवाने हैं.
रामसेवक साह ने दिया अनोखा स्वाद, 2010 में मिली पहचान
अथरी गांव के निवासी रामसेवक साह को इस लाजवाब मिठाई का जन्मदाता माना जाता है. उन्होंने 1980 के दशक में खीरमोहन बनाना शुरू किया था, और शुरुआती दौर में यह मिठाई केवल स्थानीय स्तर पर ही बिकती थी. वर्ष 2010 में इसे पूरे बिहार में पहचान मिली, जब जदयू के वरिष्ठ नेता और वर्तमान सांसद देवेश चंद्र ठाकुर ने राजगीर में आयोजित एक सम्मेलन के लिए पहली बार रामसेवक साह से खीरमोहन का ऑर्डर मंगाया। उसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार इस मिठाई का स्वाद चखा और तब से यह उनकी पसंदीदा मिठाई बन गई. आज भी जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीतामढ़ी या आसपास के इलाके में आते हैं, तो खीरमोहन की विशेष मांग रहती है.
त्योहारों में भारी डिमांड: एक किलो में केवल 5 पीस
खीरमोहन की खासियत सिर्फ इसके अनोखे स्वाद में ही नहीं, बल्कि इसके आकार और बनाने की पारंपरिक कला में भी है. एक किलो में केवल 5 पीस तैयार होते हैं. हर पीस का वजन और भरावन इतना अधिक होता है कि वह अकेले ही किसी की भूख मिटाने के लिए काफी है. रामसेवक साह बताते हैं कि आम दिनों में भी वे 30 किलो तक खीरमोहन बेच लेते हैं, जबकि शादी-ब्याह, पर्व-त्योहार या बाहर से बड़े ऑर्डर आने पर यह बिक्री कई गुना बढ़ जाती है. इस मिठाई की कीमत समय के अनुसार थोड़ी बदलती रहती है, लेकिन ज्यादा फर्क नहीं आता. वर्तमान में यह 220 रुपए प्रति किलो बिक रही है.
पटना में बिहार दिवस पर लगता है विशेष स्टॉल
हर साल बिहार दिवस के मौके पर पटना में विशेष स्टॉल लगाकर इस खीरमोहन को पेश किया जाता है, जहां इसकी लंबी कतारें लगती हैं. रुन्नीसैदपुर की बालूशाही की तरह अब खीरमोहन भी बिहार की मिठाइयों की शान बन चुकी है. अथरी गांव की इस मिठाई की खासियत यह है कि आज भी इसे रामसेवक साह और उनके दोनों पुत्र मिलकर पारंपरिक तरीके से बनाते हैं. यही वजह है कि इसका स्वाद आज भी वही है जो 40 साल पहले था.
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले...और पढ़ें
मैंने अपने 12 वर्षों के करियर में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और डिजिटल मीडिया में काम किया है। मेरा सफर स्टार न्यूज से शुरू हुआ और दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर डिजिटल और लोकल 18 तक पहुंचा। रिपोर्टिंग से ले...
और पढ़ें
Location :
Sitamarhi,Bihar