Last Updated:July 16, 2025, 17:54 IST
American Dairy Product : भारत और अमेरिका के बीच जारी ट्रेड डील में सबसे बड़ी बाधा अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट है. भारत इसे अपने बाजार में आने की अनुमति नहीं दे रहा और अमेरिका इसके लिए भारतीय बाजार में एंट्री चाहता ...और पढ़ें

भारत ने अमेरिका के नॉनवेज मिल्क को बाजार में आने की अनुमति नहीं दी है.
हाइलाइट्स
भारत-अमेरिका ट्रेड डील में अमेरिकी दूध बाधा हैभारत नॉनवेज दूध को मंजूरी देने के मूड में नहींअमेरिका भारतीय बाजार में डेयरी प्रोडक्ट्स बेचना चाहता हैनई दिल्ली. भारत और अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील पूरी नहीं हो पा रही है. अधिकारियों की मानें तो दोनों ही देश लगभग सभी बातों और शर्तों पर सहमत हो चुके हैं, लेकिन अमेरिकी दूध पर बात नहीं बन रही. दोनों देशों में डेयरी और एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है. भारत को सबसे ज्यादा आपत्ति नॉन वेज मिल्क को लेकर है, जिसे वह किसी भी कीमत पर मंजूरी देने के मूड में दिख नहीं रहा है. दूसरी ओर अमेरिका टैरिफ का दबाव डालकर भारत को इसे मंजूरी देने के लिए मजबूर कर रहा है.
सवाल ये है कि आखिर यह नॉनवेज मिल्क है क्या और क्यों इसे अमेरिका भारत को बेचने पर उतारू दिख रहा है. अमेरिका को डेयरी प्रोडक्ट के रूप में भारत में 1.40 अरब जनसंख्या वाला बाजार दिख रहा है तो 8 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाला कारोबार भी. डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त की डेडलाइन दी है, जिसके बाद भारतीय उत्पादों पर अमेरिका 26 फीसदी का टैरिफ लगाना शुरू कर देगा. इससे पहले ही डेयरी और एग्री प्रोडक्ट के मुद्दे को सुलझाना होगा.
क्या है नॉन वेज मिल्क
अमेरिका में गायों सहित ज्यादातर दुधारू पशुओं को नॉनवेज वाले खाद्य पदार्थ खिलाए जाते हैं. इनमें मांस और खून की मिलावट रहती है. कई रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी पशुओं को जानवरों से बने प्रोडक्ट खिलाए जाते हैं. गायों को ऐसे खाद्य पदार्थ दिए जाते हैं, जिसमें सुअर, मछली, मुर्गे, घोड़े यहां तक कि बिल्ली और कुत्ते के भी मांस व खून मिलाए जाते हैं. ये दुधारू पशु सुअर व घोड़े के खून को मिलाकर खिलाते हैं, ताकि प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाए. भारत को बस इसी बात से दिक्कत है, क्योंकि भारतीय गायों को ऐसा कोई भी प्रोडक्ट नहीं दिया जाता और पूरी तरह शाकाहारी चीजें ही खाने-पीने के लिए दी जाती हैं.
नॉन मिल्क से भारत को क्या दिक्कत
भारत में दूध और घी का इस्तेमाल तमाम धार्मिक अनुष्ठानों में भी किया जाता है. यही वजह है कि सरकार ने अमेरिकी डेयरी प्रोडक्ट को किसी भी कीमत पर मंजूरी नहीं दी है. भारत ने साफ कहा है कि देश के बाहर से उसी डेयरी प्रोडक्ट को आने की अनुमति दी जा सकती है, जो हमारे शाकाहारी सर्टिफिकेशन को पास करेगा. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GTRI) के अधिकारी अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अंदाजा लगाइये आप गाय के दूध से बना मक्खन खा रहे हैं, जिसमें दूसरी गाय का खून या मांस पड़ा हुआ है तो यह भारतीय उपभोक्ताओं के लिए कितनी खराब बात होगी.
अमेरिका का क्या कहना है
भारत के इस विरोध को अमेरिका गैर जरूरी बाधा बता रहा है. हालांकि, मामले से जुड़े एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी का कहना है कि यह हमारे लिए रेड लाइन है और इसे किसी भी कीमत पर पार नहीं किया जा सकता है. अमेरिका ने इस मुद्दे को डब्ल्यूटीओ के सामने भी उठाया है. उसका कहना है कि पहले जब भारत ने अपने डेयरी सर्टिफिकेशन के बारे में बताया था तो उसने इस तरह के किसी मुद्दे का जिक्र नहीं किया था.
क्या होगा अगर भारत दे दे मंजूरी
अमेरिका तो अपने डेयरी प्रोडक्ट के लिए भारतीय बाजार में एंट्री चाहता है, लेकिन अगर भारत ने मंजूरी दे दी तो अमेरिका के डेयरी प्रोडक्ट यहां कम कीमत पर बिकेंगे, जिससे घरेलू डेयरी उत्पादों पर असर पड़ेगा और किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा. इससे भारतीय डेयरी उद्योग को सालाना 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान होगा. भारत का डेयरी उद्योग जीडीपी का करीब 3 फीसदी यानी 9 लाख करोड़ रुपये के आसपास है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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