पाकिस्तान और ईरान का पानी बंद करने की तैयारी? तालिबान सरकार के फरमान से क्या भारत को कोई चिंता

7 hours ago

Taliban canal projects: करीब 40 सालों तक चले युद्ध के बाद, अफगानिस्तान अपने आस-पास मौजूद जल संसाधनों पर संप्रभुता जता रहा है. तालिबान सरकार की ये फैसला अफगानिस्तान की नीतियों में किया गया वो बदलाव है, जो पड़ोसी देशों के साथ नाज़ुक संबंधों की परीक्षा ले रहा है. अगस्त 2021 में अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद काबुल के सिंघासन पर बैठे तालिबान नेता दुनिया में अपने बढ़ते कद से गदगद हैं. नए डेवलपमेंट की बात करें तो तालिबान ने ईरान, पाकिस्तान और मध्य एशिया में बहने वाली नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बांधों और नहरों सहित बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं.

तालिबान सरकार के फैसले पर विवाद

अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के इस फैसले से उसके पड़ोसी देशों की चिंता बढ़ गई है. उन्हें ऐसा लगता है कि धमकी देकर तालिबान आर-पार के मूड में है. दरअसल अफगानिस्तान की ये कोशिशें विवाद बढ़ा रही हैं, क्योंकि जलवायु परिवर्तन पूरे क्षेत्र में पानी की कमी को बद से बदतर बना दिया है. क़ोश तेपा नहर को लेकर मध्य एशिया अलर्ट पर है. सबसे विवादास्पद पहल कोश तेपा नहर है, जो उत्तरी अफगानिस्तान में 560,000 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई के लिए डिज़ाइन की गई एक विशाल परियोजना है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि तालिबान का ये प्रोजेक्ट अमू दरिया यानी नदी का प्रवाह का 21 प्रतिशत तक मोड़ सकती है, जो पहले से ही जल-संकटग्रस्त मध्य एशियाई देशों के लिए महत्वपूर्ण नदी है.

FAQ-

सवाल-तालिबान सरकार के इस फैसले से किन देशों में चिंता है और प्रमुख चिंता क्या है?
जवाब-
ईरान, पाकिस्तान के अलावा कजकिस्तान समर्थित उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ने चिंता जताते हुए कहा, 'ये परियोजना अरल सागर को और सिकोड़ सकती है और क्षेत्र की जल-बंटवारे की व्यवस्था को अस्थिर कर सकती है, जो सोवियत काल से चली आ रही है. जल प्रशासन विशेषज्ञ मोहम्मद फैज़ी ने चेतावनी दी है और एएफपी ने उनके हवाले से कहा है, अभी चाहे कितना भी दोस्ताना रुख क्यों न अपनाया जाए, नहर का संचालन शुरू होने पर उज़्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को कुछ न कुछ परिणाम भुगतने ही होंगे.

सवाल- तालिबान अधिकारियों का क्या तर्क है?
जवाब- 
हालांकि, तालिबान अधिकारियों का कहना है कि नहर से कोई खास नुकसान नहीं होगा. प्रोजेक्ट मैनेजर सैयद जबीहुल्लाह मिरी ने न्यूज़ एजेंसी एएफपी ने कहा है कि अमु दरिया में पानी की कोई कमी नहीं है, वहां पानी की प्रचुरता है, खासकर जब बाढ़ आती है और ग्लेशियरों का पिघला हुआ पानी इसमें बहता है.'

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