नई दिल्ली. पाकिस्तान और चीन के होश उड़ गए हैं. भारत ने एक ऐसे टैंक का ट्रायल शुरू कर दिया है, जो बिजली की रफ्तार से चलेगी साथ ही दुश्मन पर तेजी से हमला भी करेगी. यह टैंक दिन हो या रात, मैदान हो या पहाड़, पानी हो रेगिस्तान सबपर एक समान गति से चलेगी. यहां तक की रिवर्स में भी ये टैंक हर टेरेन में फर्स्ट राउंड हिट होगा यानी की एक राउंड में ही दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को सटीक निशाना बनाएगा. इसका डिज़ाइन ऐसा होगा जो कि रोड और रेल के जरिए आसानी से मूव कराए जा सकें. इस टैंक में जितने भी सिस्टम लगे होंगे वो हाई एल्टीट्यूड के माइनस तापमान और रेगिस्तान के ज्यादा तापमान में भी अधिकतम फायर रेंज होगी. इस लाइट टैंक में क्रू 2 से 3 होंगे. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 13 सितंबर 2024 को भारतीय लाइट टैंक जोरावर के सफल प्रारंभिक ऑटोमोटिव परीक्षण किए हैं.
जोरावर टैंक मैदानी इलाकों के साथ-साथ ऊंचे-ऊंचे पहाड़ी इलाकों में अत्यधिक उपयोगी साबित होने वाला है. रेगिस्तानी इलाकों में किए गए फील्ड परीक्षणों के दौरान, लाइट टैंक ने असाधारण प्रदर्शन करते हुए सभी टारगेट को कुशलतापूर्वक पूरा किया है. डीआरडीओ ने शुरुआती चरण में इस टैंक के फायरिंग प्रदर्शन का कड़ाई से मूल्यांकन किया. इस जोरावर टैंक ने अपने तय लक्ष्यों पर सफलतापूर्वक और सटीकता से हासिल किया. अगले छह महीने तक इसके डेवलपमेंट ट्रायल होने हैं और फिर 2025 में इसे सेना को सुपुर्द किया जाएगा. ट्रायल के बाद माना जा रहा है कि 2027 तक भारतीय सेना के पास लाइट टैंक जोरावर होगा.
टैंक नहीं पाकिस्तान और चीन के लिए काल है
आपको बता दें कि जोरावर को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (एलएनटी) के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है. यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित अनेक भारतीय उद्योगों ने विभिन्न उप-प्रणालियों के विकास में योगदान देते हुए देश के भीतर स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षमताओं के सामर्थ्य को प्रदर्शित किया है.
चीन-पाकिस्तान को लगेगा जोरावर का करंट
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय लाइट टैंक के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी संबद्ध उद्योग भागीदारों की सराहना की है. उन्होंने इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया है.
आपको बता दें कि साल 2020 में पैंगाग के दक्षिणी छोर पर चीन के टैंकों के सामने जब भारतीय T-72 और T-90 टैंकों ने मोर्चा संभाला तो चीन को उल्टे पैर अपने टैंकों को वापस ले जाना पड़ा था. चीन के साथ भविष्य के तनातनी की संभावनाओं के मद्देनजर भारतीय सेना ने भी हाई ऑलटेट्यूड एरिया में अपनी ताकत को दोगुना करने के लिए प्रोजेक्ट जोरावर बनाया था.
इसिलए नाम पड़ा जोरावर
अब जोरावर टैंक का परीक्षण शुरू हो गया है. जोरावर टैंक उस महान सेनापति जोरावर सिंह कहलुरिया के नाम पर रखा गया है, जिसने लद्दाख, तिब्बत, बल्तिस्तान, स्कर्दू आदि को जीता था. उन्हें ‘भारत का नैपोलियन’ भी कहा जाता है. भारतीय सेना ने उस योद्धा को सम्मान देते हुए अब उनके नाम पर एलएसी के हाई एल्टीट्यूड एरिया में अपने जोरावर लाइट टैंक उतारने जा रही है.
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FIRST PUBLISHED :
September 13, 2024, 22:10 IST