पीएम नरेंद्र मोदी की विदेश नीति से चीन की बढ़ी टेंशन

1 week ago

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश नीति ने आजकल भारत के पड़ोसी चीन को बेहद परेशान कर रखा है. पीएम नरेंद्र मोदी के ब्रूनेई और फिर सिंगापुर के हालिये दौरे ने चीन की टेंशन बढ़ा दी है. एक तरफ जहां रूस और यूक्रेन से बराबरी के रिश्ते को बरकरार करके पीएम मोदी ने दुनिया में एक मिशाल कायम कर दी, वहीं लुक ईस्ट नीति ने पड़ोसी चीन को सकते में डाल दिया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल में ही ब्रूनेई और सिंगापुर का दौरा किया. इस दौरान इन दोनों देशो से कई अहम समझौते हुए, जो मील का पत्थर हैं. यूं तो प्रधानमंत्री के सिंगापुर दौरे पर दोनों देशों के बीच कई ऐसे अहम समझौते हुए हैं, जो दोनों देशों के बीच के रिश्ते को मजबूत करेंगे. इनमें स्किल डेवलेपमेंट, डिजिटल तकनीक, सेमीकंडक्टर, एआई सहयोग शामिल हैं. लेकिन पीएम मोदी का इस दौरे पर यह कहना कि ‘भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए भी सिंगापुर अहम देश है’, चीन की नींदें उड़ा देने के लिए काफी है.

दक्षिण चीन सागर में एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण द्वीप ब्रूनेई है. यह भारत की एक्ट ईस्ट नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लुक ईस्ट पॉलिसी को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने 1992 में शुरू किया था, लेकिन इसका सही तरीके से जमीन पर उतारा है केंद्र की मोदी सरकार ने. पीएम मोदी ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत नवंबर 2014 में 12वें आसियान-भारत शिखर समिट के दौरान की थी. लुक ईस्ट पॉलिसी जब शुरू की गई तब यह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ आर्थिक रूप से मजबूती पैदा करने पर फोकस्ड थी. जबकि अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी का फोकस आर्थिक और सुरक्षा सहयोग पर है. दरअसल यह लुक ईस्ट नीति का ही विस्तार है, जिसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों के साथ संबंधों को गहरा, बेहतर और प्रोग्रेसिव रखने पर जोर दिया जाता है. लुक ईस्ट पॉलिसी का फोकस क्षेत्र केवल दक्षिण-पूर्व एशिया तक था, जबकि एक्ट ईस्ट पॉलिसी का फोकस क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ-साथ पूर्वी एशिया तक भी बढ़ा है.

आसियान से बिजनेस बढ़ा
पिछले 10 साल में आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार 65 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 120 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है. भारत ने रूस के फार ईस्ट (Far East) में कई तरह के विकास कार्यों के लिए 1 अरब डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा भी की थी. भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी चीन के लिए कई तरह से चुनौतीपूर्ण है. चीन, साउथ चाइना-सी में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है. एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत भारत चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला कर रहा है और इसमें सिंगापुर से मजबूत संबंध अहम साबित होंगे.

रूस- यूक्रेन रिश्ते से भी चीन सकते में
यूक्रेन रिश्ता हो, इजरायल से रिश्ते की बात हो या फिर फिलिस्तीन से, पीएम मोदी ने दिखा दिया है कि भारत का रुख किसी एक साथ नहीं बल्कि हर किसी के साथ समानता का है. यही वजह है कि दुनिया की कूटनीति में भारत का साख खासी बढ़ी है. आज दुनिया के तमाम देश भारत की तरफ टकटकी लगाए बैठे हैं. भारत की बढ़ती साख ने भी चीन को परेशान कर रखा है.

चीन पर ध्यान
इस दशक के दौरान जो सबसे बड़ा बदलाव इस मामले में देखने को मिला, वह है पाकिस्तान के साथ उलझे रहने के बजाय बंगाल की खाड़ी के समुद्री भूगोल पर बढ़ता जोर. जिससे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच जुड़ाव को बढ़ावा मिलता है. इसे एक बड़ी उपलब्धि इस रूप में भी कही जा सकती है कि भारत के लिए पाकिस्तान के बजाय अपनी असली रणनीतिक चुनौती चीन पर ध्यान केंद्रित करना आसान हो गया है. गलवान घाटी में हुई भिड़ंत के बाद भारत ने यह स्टैंड लिया कि जब तक सीमा पर हालात सामान्य नहीं हो जाते, तब तक दोनों देशों के रिश्ते भी सामान्य नहीं हो सकते. देखा जाए तो यह रुख बेहद कड़ा है, लेकिन पीछे हटने की कोई सूरत नहीं. पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया में भारत की बढ़ती मौजूदगी और हिंद प्रशांत क्षेत्र के सामरिक समीकरणों को आकार देने में भारत की बढ़ती दिलचस्पी नई वास्तविकता की ओर संकेत करती हैं. भारत अब अपने लिए बड़ी वैश्विक और क्षेत्रीय भूमिका सुनिश्चित करना चाहता है. इसलिए उसे पीछे हटना मंजूर नहीं.

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भारत दोस्तों को साथ लाने में सफल
पिछले कुछ साल में भारत, विरोधियों को चुनौती देने और वैचारिक पृष्ठभूमि की चिंता किए बगैर दोस्तों को साथ लाने में सफल रहा है. चाहे शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव का 2014 से विरोध करने की बात हो या उसकी सैन्य आक्रामकता का उसी की शैली में जवाब देने की. चाहे किसी औपचारिक गठबंधन में गए बगैर ही अमेरिका से करीबी स्थापित करने की बात हो या यूरोपीय देशों के सहयोग से अपनी घरेलू क्षमता बढ़ाने की. भारत ने इस दौरान गजब की व्यावहारिकता दिखाई है. अतीत में सिद्धांत को लेकर उलझे रहने वाला भारत आज विश्व मंच पर एक जिम्मेदार स्टेकहोल्डर के तौर पर मौजूद है. कोरोना महामारी के दौरान उसकी वैक्सीन मैत्री पहल के जरिए दुनिया इस नई भूमिका में उसके आत्मविश्वास की झलक देख चुकी है. भारत अब वैश्विक समस्याएं हल करने में दिलचस्पी ले रहा है. नेतृत्वहीनता के दौर से गुजर रही दुनिया में मोदी के नेतृत्व ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी है.

Tags: China, Foreign policy, Pm narendra modi, PM Narendra Modi News

FIRST PUBLISHED :

September 9, 2024, 15:47 IST

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