Last Updated:April 27, 2025, 07:45 IST
India-Bangladesh Ganga River Water Treaty: भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता स्थगित किया जिससे पाकिस्तान में जल संकट आ सकता है. वहीं, बिहार और पश्चिम बंगाल सरकार गंगा नदी का पानी बांग्लादेश को देने वा...और पढ़ें

बांग्लादेश जल संधि को रद्द करने के लिए सीएम नीतीश सरकार पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिख चुकी है.
हाइलाइट्स
भारत ने सिंधु जल समझौता स्थगित किया, अब बांग्लादेश को लेकर उठी बड़ी मांग. अब भारत-बांग्लादेश गंगा नदी जल समझौता रद्द करने की नीतीश सरकार की मांग. बिहार सरकार का मानना है कि गंगा पर फरक्का बांध ध्वस्त कर दिया जाना चाहिये.पटना. सिंधु नदी जल समझौता को स्थगित करने की जानकारी भारत ने पाकिस्तान को दे दी है. हिंदुस्तान के इस कदम से पाकिस्तान में आने वाले जल संकट को देखकर पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और इस स्थिति को भारत की ओर से एक तरह से युद्ध की घोषणा बता रहा है. दरअसल, सिंधु जल समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच असामान समझौता है जिसमें पाकिस्तान को तमाम एक तरफ अधिकार दे दिया गया था. खास बात यह है कि 1960 में इस समझौते की अस्तित्व में आने के बाद भारत की दृष्टि से इसको संतुलित करने की आवश्यकता लंबे समय से अनुभव की जा रही थी. बता दें कि इस समझौते के तहत 80% पानी पाकिस्तान जाता रहा और मात्र 20% पानी का उपयोग भारत कर पा रहा था.अब जब भारत ने इसको लेकर एक कदम उठा लिया है तो एक और समझौते का जिक्र हो रहा है जिसका हमारे अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश से रिश्ता है और इसका कनेक्शन पश्चिम बंगाल के साथ बिहार से भी जुड़ता है.
बता दें कि बिहार बांग्लादेश के साथ हुए गंगा नदी जल समझौते की समीक्षा की मांग लगातार करता रहा है. इतना ही नहीं बिहार में तो एक कदम बढ़ाकर इसे समाप्त करने की भी मांग की थी. बीते जनवरी महीने में बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने साफ-साफ कहा था कि 1996 के गंगाजल समझौते में हमारी राय नहीं ली गई थी और समझौते में बिहार की उपेक्षा की गई. दरअसल, जल संसाधन मंत्री का कहना है कि बिहार में जो बाढ़ की समस्या है उसके पीछे एक बड़ा कारण गंगा नदी में भरने वाली गाद यानी सिल्ट है. उनका तो यहां तक कहना है कि एक तरह से गंगा गाद से भर रही है तो दूसरी ओर से गंगा मर रही है यानी समाप्त हो रही है.
बांग्लादेश से गंगा नदी जल के बंटवारे का हिसाब-किताब जानिये
दरअसल, बिहार सरकार का मानना है कि न सिर्फ बाढ़ ही नहीं, बल्कि गंगा के प्रवाह समेत इसके जलीय जंतुओं पर भी बेहद ही दुष्प्रभाव पड़ रहा है और पारिस्थितिकी संतुलन में भी बदलाव और बिगड़ाव हो गया है. जल संसाधन मंत्री ने कहा कि इन सब चिताओं के निराकरण के कारण ही को की निराकरण के लिए समझौते का नवीकरण यानी रीन्यूअल हो. बता दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच समझौते के तहत गंगा के पानी का बंटवारा 70000 क्यूसेक में 35000 भारत के पास और 35000 क्यूसेक बांग्लादेश को देने की बात है. इस समझौते के तहत गंगा के पानी के बंटवारे में अगर यह मात्र 70 से 75000 क्यूसेक है तो शेष जो प्रवाह है वह भारत के पास रहेगा और बाकी 35000 क्यूसेक पानी बांग्लादेश के पास चला जाएगा. 75000 क्यूसेक से अधिक होने पर 40000 कि क्यूसेक भारत के पास रह जाएगा और शेष प्रवाह बांग्लादेश को जाएगा.
बिहार में बाढ़ की बहुत बड़ी वजह है फरक्का बांध!
अब इस बात की मांग इसलिए उठी है कि इस समझौते की समीक्षा 30 वर्षों बाद होनी थी जो 2026 में पूरी होगी. अगले वर्ष इस समझौते का नवीकरण होना है और समस्या के बिंदुओं पर विचार किया जाना है. बिहार का कहना है कि बांग्लादेश को गंगाजल की अधिकांश मात्रा बिहार देता है, जबकि गंगा नदी के किनारे वाले राज्य अपने यहां पर बेधड़क उसके पानी का उपयोग कर रहे हैं. वहां, बिजली परियोजनाएं बनी हैं और बराज भी बने हैं. यही नहीं सिंचाई के लिए भी गंगाजल के का उपयोग हो रहा है, जबकि बिहार को हर कार्य के लिए केंद्र से अनुमति लेनी पड़ती है. बिहार का मानना है कि बांग्लादेश जाने वाले जल का कोटा बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के लिए भी समान रूप से तय हो. यहां यह भी बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने भी बीते जून में ही यह कहा था कि बांग्लादेश से गंगा वॉटर ट्रीटी में पश्चिम बंगाल सरकार से भी राय नहीं ली गई थी.
ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा था पत्र
दरअसल, पश्चिम बंगाल का भी मानना है कि इस समझौते के कारण गाद और गंगा नदी में कटाव की विकराल समस्या है. पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे राज्यों ने इस संधि पर कई चिंताएं जताई हैं और इसके लिए फरक्का बराज को भी जिम्मेदार ठहराया है. बता दें कि वर्ष 2022 में भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मालदा, मुर्शिदाबाद और नदिया जिलों में गंगा के किनारे लगातार हो रहे कटाव पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने फरक्का बराज परियोजना प्राधिकरण के विस्तारित अधिकार क्षेत्र को वापस लेने के लिए 2017 में केंद्र के फैसले पर पुनर्विचार करने की भी मांग की थी. वहीं, बिहार ने भी कई मौकों पर गाद बढ़ाने के लिए फरक्का बराज को जिम्मेदार ठहराया है. वर्ष 2016 में भी पीएम मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गंगा नदी पर फरक्का बैराज को हटाने ( ध्वस्त करने) की मांग करते हुए कहा था कि इससे लाभ की तुलना में अधिक नुकसान हो रहा है.
First Published :
April 27, 2025, 07:45 IST