पुतिन ने याद किया PM मोदी के साथ कार में बिताए पल, कहा- हम बस दो दोस्त थे

41 minutes ago

नई दिल्ली: भारत के ऐतिहासिक दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में वह पल याद किया, जिसने दुनिया को भारत-रूस दोस्ती का सबसे मानवीय चेहरा दिखाया था. यह वही पल था जब शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन अचानक एक ही कार में बैठकर निकले थे. इस अनौपचारिक सफर की तस्वीरें और वीडियो ने उस समय वैश्विक कूटनीति की सभी औपचारिकताओं को पीछे छोड़ दिया था.

पुतिन ने सहजता से कहा कि उस कार में वे दोनों बस दो दोस्त थे. कोई पूर्व योजना नहीं, कोई निर्धारित कार्यक्रम नहीं बस एक ऐसा क्षण जो दो देशों की रणनीतिक साझेदारी को निजी रिश्तों की गर्माहट के साथ जोड़ता दिखा. इस एक लाइन ने दुनिया को यह भी समझा दिया कि मोदी और पुतिन का संबंध सिर्फ औपचारिक बैठकों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी गहरा विश्वास मौजूद है.

After the proceedings at the SCO Summit venue, President Putin and I travelled together to the venue of our bilateral meeting. Conversations with him are always insightful. pic.twitter.com/oYZVGDLxtc

क्या कहा पुतिन ने?

पुतिन ने बताया कि कार में साथ बैठने का विचार अचानक ही आया था. उनका कहना था कि बैठक खत्म होने के बाद वे बाहर निकले और उनकी कार पास में खड़ी थी. उसी समय उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को साथ चलने का प्रस्ताव दिया. उन्होंने कहा कि दोनों नेता सहजता के साथ कार में बैठे और रास्ते भर बातचीत करते रहे. होटल पहुंचने के बाद भी वे कुछ देर तक कार में ही बैठे रहे और बातचीत जारी रखी. पुतिन ने कहा कि यह उनके लिए एक बेहद सरल, सहज और स्वाभाविक पल था. इसमें न किसी औपचारिकता की दीवार थी और न ही किसी तरह की कूटनीतिक दूरी.

कैसे शुरू हुआ यह अनोखा सफर?

यह घटना उस दिन की है जब दोनों नेता तियानजिन में आयोजित सम्मेलन में शामिल हुए थे. समारोह समाप्त होने के बाद जब पुतिन कार के पास पहुंचे, उसी समय प्रधानमंत्री मोदी भी बाहर आए. पुतिन ने उन्हें मुस्कुराकर साथ चलने का निमंत्रण दिया. दोनों नेता कार में बैठकर होटल की ओर रवाना हुए. सफर के दौरान बातचीत लगातार जारी रही. सम्मेलन के एजेंडे से लेकर वैश्विक परिस्थितियों पर दोनों ने अपने विचार साझा किए. होटल पहुंचने के बाद भी बातचीत वहीं समाप्त नहीं हुई. दोनों कार में बैठे रहे और कुछ देर तक चर्चा जारी रही. इसके बाद औपचारिक बैठक हुई, जिसमें ऊर्जा, रक्षा, सहयोग और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत वार्ता की गई.

पुतिन ने कहा कि यह सहज, दोस्ताना और अनौपचारिक पल था.

क्यों था यह पल इतना खास?

यह सिर्फ दो प्रमुख नेताओं का साथ बैठना नहीं था. यह उस भरोसे का प्रतीक था जो दशकों से भारत और रूस के संबंधों की बुनियाद रहा है. एक ऐसे दौर में जब दुनिया लगातार बदल रही है, दो वैश्विक नेता अचानक साथ बैठकर सफर करते हैं, सहजता से बातें करते हैं, यह कूटनीति में दुर्लभ दृश्य है. इस घटना ने यह भी दिखाया कि रिश्तों की मजबूती अक्सर अनौपचारिक क्षणों में नजर आती है, न कि सिर्फ औपचारिक बयानों में.

यह भी महत्वपूर्ण है कि यह पल उस समय आया जब वैश्विक व्यापार, ऊर्जा बाजार और अंतरराष्ट्रीय समीकरणों में बड़े बदलाव हो रहे थे. ऐसे माहौल में यह दोस्ताना संकेत दुनिया के लिए एक मजबूत संदेश था.

क्या है पूरा मामला?

यह पूरी घटना सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा में रही. तस्वीरें और वीडियो वायरल होते ही दुनिया ने भारत-रूस संबंधों का एक नया रूप देखा. लाखों लोगों ने इसे दो देशों के बीच भरोसे की झलक माना. प्रधानमंत्री मोदी ने भी उस दिन तस्वीरें साझा की थीं, जिनमें वे और पुतिन मुस्कुराते हुए साथ दिखाई दे रहे थे. यह दृश्य वैश्विक समाचार मंचों पर भी खूब चर्चा में रहा और इसे दोनों देशों की ऐतिहासिक साझेदारी का प्रतीक बताया गया.

भारत-रूस रिश्तों का महत्व

पुतिन का यह भारत दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि यह दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी के 25 साल पूरे होने का समय है. इसके अलावा यह 2021 के बाद पुतिन का पहला भारत दौरा है. इस यात्रा के दौरान ऊर्जा, रक्षा, विज्ञान और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर कई महत्वपूर्ण निर्णय होने की उम्मीद है. दोनों नेता कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे और साझा बयान जारी करेंगे.

भारत–रूस संबंध हमेशा से भरोसे, सहयोग और पारस्परिक सम्मान पर आधारित रहे हैं, और पुतिन के इस बयान ने इन रिश्तों की मानवीय गहराई को फिर से सामने ला दिया है.

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