हाइलाइट्स
40 साल इंतजार के बाद महिला को मिली भारतीय नागरिकता. महिला ने चार दशक तक झेला उपेक्षा और दुर्व्यवहार का दौर. सीएए कानून लाने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद दिया.
आरा/चंदन कुमार. कहते हैं इंतजार की घड़ियां लंबी होती हैं…मगर कितना? यह आरा की रहने वाली सुमित्रा प्रसाद उर्फ रानी साहा से पूछिये. बिहार के आरा में एक महिला ने भारतीय नागरिकता के लिए 40 वर्षों का लंबा इंतजार किया. महिला पिछले 40 वर्षों से आरा शहर के चित्र टोली रोड में वीजा लेकर रह रही थी, लेकिन अब महिला को भारतीय नागरिकता मिल चुकी है. यह महिला पिछले 40 वर्षों से अपनी नागरिकता को लेकर कभी थाने तो कभी वीजा के लिए एंबेसी के चक्कर लगा रही थी. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद देते हुए महिला सुमित्रा प्रसाद उर्फ रानी साहा ने अपनी पूरी कहानी बताई जो काफी हैरान करती है. उन्हें इस दौरान अपने ही लोगों के बीच उपेक्षा झेलनी पड़ी. पुलिसवालों के सख्त तेवर के साथ ही लोगों से दुर्व्यवहार भी झेलना पड़ा. लेकिन, अब वह इत्मीनान हैं.
दरअसल, सुमित्रा प्रसाद का यह केस बिहार के लिए पहला मामला है, जिन्हें नागरिकता नियम, 2009 के 11 (क) के उपनियम (1) और नियम 13 (क) के तहत राज्य स्तरीय सशक्त समिति की नागरिक निबंधन के तहत नागरिकता मिली है. सुमित्रा प्रसाद उर्फ रानी शाहा ने बताया कि जब वह पांच साल की थी तब अपनी बुआ के घर बांग्लादेश गई थी. उस समय बांग्लादेश का विभाजन नहीं हुआ था. उसी दौरान सुमित्रा अपनी बुआ के घर गई. जहां उन्होंने बुआ के घर रहकर पढ़ाई पूरी की और 1985 में भारत आ गई. सुमित्रा 1985 के बाद कभी बांग्लादेश लौट कर नहीं गई, लेकिन उनको भारत में ही वीजा लेकर रहना होता था, क्योंकि तब तक बांग्लादेश का विभाजन हो चुका था.
बांग्लादेश में रहते हुए हो गया विभाजन
सुमित्रा ने बताया कि उनके पिता के पास इतना पैसा नहीं था कि वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सके. दरअसल, सुमित्रा के पिता मदन गोपाल चौधरी को दो बेटी सुमित्रा रानी साहा, कृष्णा रानी साहा और दो बेटे विजय प्रसाद, नरेश प्रसाद थे. छह लोगों का खर्च मदन गोपाल नहीं उठा पा रहे थे. इसी बीच मदन गोपाल चौधरी की तबीयत भी खराब हो गई. इस वजह से सुमित्रा अपनी बुआ के घर 1970 में चली गई. उस समय वो महज पांच साल की थी, जिसके बाद 16 दिसंबर 1971 में बांग्लादेश विभाजित हो गया. फिर सुमित्रा 15 साल बाद जनवरी 1985 को भारत लौट आई उसके बाद कभी बांग्लादेश नहीं गई.
कटिहार में पली और आरा में ब्याही गईं
सुमित्रा रानी साहा ने बताया कि भारत लौटने के बाद वो बिहार के कटिहार जिले में अपने पिता के पास गई. वहां 10 मार्च 1985 को आरा शहर के चित्र टोली रोड में उनकी शादी परमेश्वर प्रसाद से हुई. इसके बाद से ही सुमित्रा आरा में अपने परिवार के साथ रहने लगी. सुमित्रा रानी साहा को तीन बेटी प्रियंका प्रसाद, प्रियदर्शिनी और ऐश्वर्या हुई. उसके बाद 2010 में बैक बोन कैंसर की वजह से सुमित्रा रानी साहा के पति परमेश्वर प्रसाद की मृत्यु हो गई. इस दौरान सुमित्रा रानी साहा को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. सुमित्रा वीजा लेकर यहां रह रही थीं. हर साल वीजा के लिए इन्हें परेशान होना पड़ता था.
सीएए में दिखा अंधेरे से निकलने के रास्ता
वहीं, सुमित्रा रानी साहा को इन 40 वर्षों में बहुत बार वीजा के लिए भटकना पड़ा. मोहल्ले में भी कई लोग उन्हें बार-बार बांग्लादेश जाने के लिए बोलते थे. वहीं 2023 में वीजा में देरी होने के कारण टाउन थाना में बुलाकर उन्हें बांग्लादेश वापस लौटने के लिए बोला गया था. आस-पास के लोग काफी डराते-धमकाते थे… कहते थे कि बांग्लादेश भेज देंगे. जेल भेज देंगे. लेकिन अंत में कोलकाता से वीजा मिला और पिछले तीन बार से कोलकाता से ही सुमित्रा जी को वीजा मिल रहा था. इसी दौरान जब 2024 में वीजा के लिए कोलकाता में आवेदन दिया, तो सुमित्रा के परिवार वालों को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के बारे में जानकारी दी गयी.
बेटी ऐश्वर्या के साथ सुमित्रा साहा ने संघर्ष यात्रा की कहानी सुनाई.
सीएए कानून के आसरे थी जीत की उम्मीद
नागरिकता संशोधन कानून के बारे में पता चलने के बाद सुमित्रा की बेटी ऐश्वर्या प्रसाद ने सीएए के लिए आवेदन करना शुरू कर दिया. इस बीच उन्हें वीजा का एक्सटेंशन भी तीन साल का मिल गया. अक्टूबर 2024 से ही ऐश्वर्या CAA के लिए लग गई. दरअसल, भारत आने के बाद से ही ये परिवार संघर्षों से भरा जीवन जी रहा था. आरा में सुमित्रा के पति होम अप्लायंस की दुकान चलाते थे. सुमित्रा की तीन बेटी है. दो की शादी हो गयी है. एक बेटी ऐश्वर्या प्रसाद जो अभी इनका ख्याल रख रही है.
बेटी ऐश्वर्या ने सुनाई मां के दर्द की दास्तां
वहीं, भारतीय नागरिकता मिलने के बाद सुमित्रा का परिवार काफी खुश है. उनकी बेटी ऐश्वर्या का कहना है कि उनकी मां को अभी तक सभी सरकारी सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा था. आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड अभी तक नहीं बन पाया था. गैस कनेक्शन भी नहीं मिलता था. लेकिन, अब सभी सुविधाएं मिलेंगी. ऐश्वर्या ने कहा कि अब सभी डॉक्यूमेंट बनाया जायेगा. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी हूं. कोरोना काल में तीन साल तक वीजा एक्सटेंशन नहीं हुआ था, तो उस दौरान काफी परेशान थी. लेकिन, अब यह सभी परेशानियों से मुक्ति मिल गयी है.
बेटी की कोशिशों ने लाया रंग, मिली सफलता
ऐश्वर्या बताती हैं कि उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी मां दुकान चलाती थी. आरा शहर के चित्र टोली रोड में प्रसाद इंटरप्राइजेज दुकान है, जहां अब ऐश्वर्या और उनकी मां सुमित्रा प्रसाद उर्फ सुमित्रा रानी साहा देखती हैं. दुकान से ही सुमित्रा जी ने अपनी दो बेटियों की शादी की. वहीं, अब भारतीय नागरिकता मिलने के बाद से ही पूरे परिवार में खुशी की लहर है. 40 वर्षों से नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहा परिवार को आखिरकार नागरिकता मिल चुकी है. पहली बार में आवेदन को रिजेक्ट कर दिया गया था, लेकिन ऐश्वर्या ने हार नहीं मानी और अपनी मां को नागरिकता दिलवाने में कामयाब हो गई.
वीजा की उलझन और सीएए कानून से मिली राहत के बारे में बताती हुईं सुमित्रा प्रसाद. साथ में बेटी ऐश्वर्या.
मुझे नहीं जाना था, पर बांग्लादेश चली गई..
नागरिकता मिलने के बाद सुमित्रा प्रसाद उर्फ सुमित्रा रानी साहा ने कहा कि मेरे पिता की स्थिति बहुत खराब थी, उस समय मेरी उम्र पांच साल थी. उस समय बुआ लेकर बांग्लादेश चली गई. मैं बहुत रो रही थी, मुझे पिता को छोड़कर नहीं जाना था, लेकिन जाना पड़ा. फिर वहां दसवीं तक पढ़ाई की. उस दौरान बांग्लादेश के राजशाही नामक जगह रहती थी, वहां की स्थिति बहुत खराब थी. हिंदुओं को वहां पर कोई देखता नहीं था. मारकाट होती रहती थी. हमेशा खराब नजरों से हिंदुओं को देखा जाता था.
खुशी इतनी कि खाना भी नहीं खा पा रहीं
उन्होंने बताया कि उसके बाद भारत आए फिर आरा में पिता जी ने लड़का देखा फिर शादी हो गयी. इस दौरान बहुत कठिनाई हुई. कभी कोलकाता जाओ तो कभी पटना जाओ कई प्रकार का कागज लेकर आओ. बहुत अधिकारी जानकारी लेने के लिए घर पर आते रहते थे. मुझे बहुत दिक्कत होती थी. अब नागरिकता मिली है मैं बहुत खुश हूं, इतनी खुशी है कि कल से खाना भी नहीं खा पा रहे हैं. भारतवासी जितने हकदार हैं आज से मैं भी हिस्सेदार बन रही हूं. वहीं मैं मोदी सरकार को भी बहुत धन्यवाद देती हूं. जिनकी वजह से मुझे भारतीय नागरिकता मिल गयी.
नरेंद्र मोदी सरकार को बार-बार धन्यवाद
सुमित्रा जी के भतीजे पंकज ने कहा कि यह जो गवर्मेंट ऑफ इंडिया की पॉलिसी जिसे मोदी जी लेकर के आए हैं. वे सोचे हैं आखिर अराउंड द वर्ल्ड जो इंडियन हैं यहां नागरिकता के लिए संघर्ष कर रहे हैं. जितना विरोध हमारे अपने भाई कर रहे थे और सीएए के विरोध में प्रदर्शन करते हैं, उनको पता नहीं है वह क्या चीज करना चाहते हैं. उसका क्या फायदा है, किसको मिलेगा वह किस सोच से किया जा रहा है. इसके बारे में लोगों को जानकारी नहीं थी. विपक्ष द्वारा भ्रमित किया जा रहा था, जनता को भ्रमित करके यह बताया जा रहा था ऐसे हो जाएगा या वैसे हो जाएगा. लेकिन जो जरूरतमंद है जिन्हें सही में इसकी जरूरत थी उनके लिए जो मोदी जी ने किया मैं धन्यवाद देना चाहता हूं.
विपक्ष फैलाता रहा भ्रम, काम करते रहे पीएम मोदी
सुमित्रा जी को भारतीय नागरिकता मिलने के बाद पड़ोसी बिभु जैन ने कहा कि भारतीय नागरिकता कानून लाने पर भारत के प्रधानमंत्री को मैं बहुत धन्यवाद देता हूं. बांग्लादेश, पाकिस्तान अफगानिस्तान में जो वहां रहने वाले हिंदू हैं या बुद्धिस्ट या पारसी लोग हैं. उनको नागरिकता कानून ला करके भारत में रहने का मौका दिया. लेकिन, विपक्षियों के द्वारा भ्रमित कर लोगों को यह बताते थे कि यह नागरिकता छीनने वाला कानून है. लेकिन यह नागरिकता देने वाला कानून है.
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FIRST PUBLISHED :
January 5, 2025, 15:08 IST