फाइटर-पायलट कम, फिर कैसे जंग की तैयारी कर रहे हैं हम?

16 hours ago

Indian air force news:  चीन लगातार अपने पांचवी पीढ़ी के विमानों के जखीरे को बढ़ा रहा है. वह अपने ऑल वेदर फ़्रेंड पाकिस्तान की भी ताकत बढ़ाने में जुटा है. लगातार बढ़ती चुनौतियों के बीच भारतीय वायुसेना ने भी अपनी रफ़्तार को तेज किया है. अब जरूरत है इस रफ़्तार को सुपरसोनिक तरीके से बढ़ाने की है. डिफेंस की स्टैंडिंग कमेटी और CAG ने भी इसकी जरूरतों पर जोर देने की बाद कही है. खास तौर पर फाइटर एयरक्राफ्ट, पायलट और ट्रेनिंग को लेकर. भारतीय वायुसेना अभी इन्हीं तीनों पर तेजी से काम करना शुरू भी कर चुकी है. सूत्रों के मुताबिक इस कमी को दूर करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक हाई लेवल कमेटी का भी गठन कर दिया है.

पायलट और ट्रेनिंग की कमी पूरा करना चुनौती
स्टैंडिंग कमेटी और CAG की रिपोर्ट में वायुसेना में की मौजूदा कमियों के बारे में जिक्र है. भारतीय वायुसेना में फिलहाल 1013 अफसरों की कमी है तो 6154 एयरमैन कम हैं. ट्रेनिंग के लिए ट्रेनर एयरक्राफ्ट भी मौजूदा स्ट्रेंथ 368 होनी चाहिए थी वो 283 ही हैं. 130 एयरक्राफ्ट की कमी से वायुसेना जूझ रही है. 596 पायलटों की कमी भारतीय वायुसेना में इस वक्त है. साल 2015 में 486 पायलट की कमी थी तो कि अब बढ़कर 596 हो गई है. जितने पायलट साल में भर में आने चाहिए उतने मिल ही नहीं रहे हैं.

भारतीय वायुसेना की फाइटर प्लान
भारतीय वायुसेना 42 फाइटर स्क्वाड्रन के बजाए सिर 31 से ही काम चला रही है. इस कमी को पूरा करने के लिए 15 साल का लंबा वक्त लग सकता है. करार के मुताबिक 40 LCA मार्क 1 ‘तेजस’ के दो स्क्वाड्रन अब तक स्थापित किए जा चुके है. स्वदेशी निर्मित 83 तेजस मार्क 1A के लिए करार हो चुका है. यह सभी 83 विमानों की डिलीवरी शुरू होनी थी लेकिन इंजन न मिलने के चलते यह अभी तक शुरू नहीं हो सका हैं. यह आधुनिक 4+ जेनेरेशन का फाइटर एयरक्राफ्ट है. तेजस मार्क 1A से कुल 4 स्क्वाड्रन बनेंगे. 5 अतिरिक्त स्क्वाड्रन के लिए 97 तेजस मार्क 1A की ख़रीद की मंज़ूरी भी दे दी गई है. तेजस मार्क 1A का एडवांस वर्जन यानी की तेजस मार्क-2 पर काम ज़ोरों पर चल रहा है. यह मार्क-1 ए से ज्यादा आधुनिक होगा. यह अभी डिजाइन और डिवेलपमेंट स्टेज में है. भारतीय वायुसेना  114 MRFA ( मल्टी रोल फाइटर एयरक्राफ़्ट) की ख़रीद की तैयारी में हैं. इस रेस में रूस की सुखोई 35, फ़्रांस का रफाल, अमेरिका के F-16, F-18, स्वीडन का ग्रिपेन और यूरोप का युरोफाइटर टाइफ़ून शामिल है. यह सभी खरीद मेक इन इंडिया के तहत किया जाएगा.

वायुसेना के फाइटर बेड़े की हालत
2035 तक की बात करे तो मौजूद लडाकू विमानों की मिग 21 और मिग 29 पूरी तरह से फेज आउट हो जाएंगे. जैगुआर का पहला स्क्वाड्रन फेज आउट होना शुरू हो जाएगा. इसके बाद नंबर आएगा मिराज 2000 के फोज आउट होने की. भारतीय वायुसेना के मौजूदा फाइटर फ्लीट के मिग 21 के 2 स्क्वाड्रन, मिग 29 अपग्रेड के 3, मिराज 2000 के 3 और जेगुआर के 6 स्क्वाड्रन के अपग्रेड हो चुका है. दो स्क्वाड्रन रफाल और तेजस के भी मिल चुके हैं. फ्रंट लाइन फाइटर सुखोई 30 इस वक्त सबसे ज्यादा भारतीय वायुसेना के पास है इनकी संख्या 250 से उपर है.

स्वदेशी 5th जेनरेशन फाइटर हो रहा है तैयार
पांचवी पीढ़ी के एयरक्राफ़्ट के लिए भारतीय वायुसेना 5th जेनेरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर काम कर रही है. AMCA प्रोजेक्ट भी सरकार की मंज़ूरी मिल गई है. डीआरडीओ के ADA यानी एयरोनाटिक्ल डिज़ाइन एजेंसी  LCA Mk 2 पर भी तेज़ी से काम कर रहे है. अगर AMCA की बात करें तो ये पहला स्वदेशी दो इंजन वाला फाइटर जेट होगा और इसका डिजाइन ऐसा है कि दुश्मन के रडार भी इसे नही पकड़ पाएँगे. यह फाइटर 1.2 से 1.8 मैक की स्पीड से उड़ान भरने के लिए बनाया जा रहा.

चीन ने बदल दिए पुराने फाइटर
चीन की वायुसेना की ताकत पर नजर डालें तो चीन ने अपने सभी पुराने फाइटर एयरक्रफ्ट को 4.5 से 5वीं पीढ़ी के विमानों से बदलना शुरू कर दिया है. पेंटागन की ताजा रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि चीनी वायुसेना और नौसेना के पास 3150 एयरक्राफ्ट मौजूद है. इनमें के पास 2400 लड़ाकू विमान है. जिनमें 1900 फाइटर एयरक्रफ्ट है जिनमें 1300 से ज़्यादा चौथी श्रेणी के हैं. चीन ने पांचवी श्रेणी के विमान J-20 को भी अपनी वायुसेना में शामिल कर चुका है. पश्चिमी मीडिया में छपी कई रिपोर्ट के मुताबिक़ 200 के करीब J-20 एयरक्रफ्ट चीन की वायुसेना में शामिल किए जा चुके है. चीन का लक्ष्य है 2025 तक 500 के करीब 5वीं श्रेणी के फाइटर चीन की वायुसेना में शामिल करना.

Tags: Indian air force, Indian Airforce, Ministry of defence

FIRST PUBLISHED :

December 24, 2024, 14:59 IST

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