'फिल्मों में होता है' बुजुर्ग ने कुत्ते के साथ की हैवानियत, मांगी रहम की भीख

1 month ago

नई दिल्ली: कोई इतना निर्दयी कैसे हो सकता है. एक बेजुबान के साथ इतनी बड़ी हैवानियत, आप कऐसा कैसे कर सकते हैं- ये बातें दिल्ली के एक स्थानीय अदालत ने कही, जब कुत्ते पर तेजाब फेंकने के मामले में सुनवाई कर रहा था. शक्स पर 2020 में कुत्ते पर तेजाब फेंकने का आरोप लगा था. आज चार साल बाद कोर्ट ने उसे एक साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा कि आपने इस तरह से अपराध किया है, जो न केवल इस अदालत की अंतरात्मा को झकझोरता है, बल्कि रोंगटे खड़े कर देने वाला भी है.

दिल्ली हाईकोर्ट की एडिशनल चीफ जस्टिस ऋचा शर्मा की पीठ इसस मामले पर सुनवाई कर रही थी. उन्होंने कहा, ‘कुत्ते पर कोई ACID/जलाने वाला पदार्थ फेंकना, जिसके कारण उसकी एक आंख चली गई, यह काफी गंभीर और संगीन है. ऐसे व्यक्ति को कम सजा देकर छोड़ देना और दोषी को कोई रियायत देना समाज में एक प्रतिकूल संदेश देगा.’ हालांकि, दोषी को एक महीने की जमानत मिली थी ताकि वह आरोपमुक्त होने के लिए अपील कर सके.

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मामला क्या और कब का है
कुत्ते पर तेजाब फेंकने वाला यह मामला कोविड के दौरान 2020 की है. पहाड़गंज के रहने वाले ओनवती यादव ने केस दर्ज कराई थी. उसके कुत्ते पर एक शख्स ने उसके कुत्ते की आंख, चेहरे और शरीर के अन्य अंगों पर तेजाब फेंका. उसका यह भीआरोप था कि जब वह अपने कुत्ते को नहला रही थी, तो उसने उसके साथ शख्स ने उसके साथ अश्लील हरकत की और कुत्ते को जान से मारने की धमकी दी.

कोर्ट में क्या हुआ
कोर्ट ने आरोपी को दोषी मानते हुए आईपीसी की 1860 की धारा 429 (मवेशियों को मारना या अपंग करना आदि) और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) (पशुओं के साथ क्रूरता करना) के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया था. इसमें आरोपी को एक साल के साधारण कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए, अदालत ने कहा कि ‘अभियोजन पक्ष ने सभी उचित संदेहों से परे आरोपी की पहचान स्थापित की है और यह भी साबित किया है कि आरोपी व्यक्ति ने कुत्ते को चोट पहुंचाई है.’

दार्शनिकों का दिया उदाहरण
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महात्मा गांधी और इमैनुएल कांट जैसे दार्शनिक को कोट किया. कोर्ट ने कहा, ‘एक बेजुबान प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है, जितना कि किसी भी इंसान के लिए. एक इंसान से यह याद रखने की उम्मीद की जाती है कि जानवरों के प्रति उसका व्यवहार मानवता जैसा हो. जानवरों के प्रति दयालु और दयालु होना हमारी जिम्मेदारी है.’

कोई नरमी नहीं
बचाव पक्ष ने अदालत से विनती की कि उसका मुव्किकल 70 साल का है और वह दैनिक जीवन के लिए दूसरे पर आश्रित है, उसके प्रति नरमी बरती जाए. लेकिन अदालत ने उनके अनुरोध को रिजेक्ट कर दिया. अदालत ने कहा कि आपराधिक मुकदमे की तुलना किसी स्टंट फिल्म के नकली दृश्य से नहीं की जा सकती और आरोपी के दोषी या निर्दोष होने का पता लगाने के लिए कानूनी मुकदमा चलाया जाता है. अदालतों को अभियोजन पक्ष को छूट देने या आरोपी के पक्ष में कानून की ढीली व्याख्या करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है.

Tags: DELHI HIGH COURT, Dog Lover

FIRST PUBLISHED :

July 31, 2024, 14:20 IST

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