फ्यूचर में अमेरिका लौटना चाहते हैं... Email आया और F-1 वीजा हो गया रद्द, 3.31 लाख भारतीय छात्रों की बढ़ी टेंशन

2 days ago

America: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की कड़ी आव्रजन नीतियों ने अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों में चिंता बढ़ा दी है. इस चिंता की वजह अमेरिकी विदेश विभाग (DOS) का ईमेल है. दरअसल, अमेरिका में पढ़ रहे सैकड़ों इंटरनेशल स्टूडेंट्स को को अमेरिकी विदेश विभाग (DOS) से ईमेल मिले हैं, जिसमें उन्हें स्व-निर्वासन ( Self-exile ) करने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं, कैंपस में सक्रियता के कारण उनके F-1 वीजा (छात्र वीजा) कैंसिल कर दिए गए हैं. यह सिर्फ इन छात्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि कथित तौर पर इन ईमेल में उन लोगों को भी निशाना बनाया गया है जिन्होंने सोशल मीडिया पर 'राष्ट्र-विरोधी' पोस्ट को शेयर या लाइक किया है.

3.31 लाख भारतीय छात्र 
टाइम्स ऑफ इंडिया ने आव्रजन वकीलों के हवाले से खबर दी है कि कुछ भारतीय छात्रों को भी सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने जैसी मामूली बात के लिए इस तरह के ईमेल मिल सकते हैं. ओपन डोर्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2023-24 में अमेरिका में पढ़ने वाले 1.1 मिलियन इंटरनेशनल स्टूडेंट्स में से 3.31 लाख भारतीय छात्र हैं. यह आदेश अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा तथाकथित राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के लिए कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द करने की घोषणा के बाद आया है.

रुबियो ने गुरुवार को गुयाना में ने कहा था, 'इस वक्त यह संख्या 300 से अधिक हो सकती है. हम ऐसा हर दिन करते हैं. जब भी मुझे इनमें से कोई पागल मिलता है, मैं उसका वीजा छीन लेता हूं... दुनिया के हर देश को यह तय करने का अधिकार है कि कौन आगंतुक के रूप में उनके यहां आए और कौन नहीं.' हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि किन लोगों के वीजा रद्द किए गए हैं.

वहीं, रुबियो के कार्यालय ने हाल ही में एक AI-संचालित ऐप, टकैच एंड रिवोकट भी लॉन्च किया है, ताकि हमास या अन्य नामित आतंकवादी संगठनों का समर्थन करने वाले छात्रों का पता लगाकर उनका वीजा रद्द किया जा सके. कार्रवाई के हिस्से के रूप में, DOS (जिसमें वाणिज्य दूतावास के अधिकारी शामिल हैं) नए छात्र आवेदनों की भी जांच कर रहा है, चाहे वह F (अकादमिक अध्ययन वीजा), M (व्यावसायिक अध्ययन वीजा), या J (एक्सचेंज वीजा) के लिए हो। दोषी पाए जाने पर, आवेदकों को अमेरिका में अध्ययन करने का अवसर नहीं दिया जाएगा.

ईमेल में क्या लिखा था?
अधिकारियों से छात्रों को मिले ईमेल में उनसे सीबीपी होम ऐप का इस्तेमाल करके खुद को निर्वासित करने के लिए कहा गया था, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने 10 मार्च को लॉन्च किया था. TOI ने ईमेल का हवाला देते हुए बताया, 'यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट की तरफ से, ब्यूरो ऑफ़ कांसुलर अफेयर्स वीज़ा ऑफिस आपको सूचित करता है कि आपका वीज़ा जारी होने के बाद अतिरिक्त जानकारी उपलब्ध हो गई है. परिणामस्वरूप, आपके F-1 वीज़ा की समाप्ति तिथि XXXXX को यूनाइटेड स्टेट्स इमिग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 221 (i) के मुताबिक रद्द कर दिया गया है, जैसा कि संशोधित किया गया है.'

छात्रों को मिली ये चेतावनी
इसमें आगे कहा गया है कि 'ब्यूरो ऑफ कांसुलर अफेयर्स वीज़ा ऑफिस ने होमलैंड सिक्योरिटी के इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट विभाग को सचेत कर दिया है, जो स्टूडेंट एक्सचेंज विज़िटर प्रोग्राम का प्रबंधन करता है और निष्कासन कार्यवाही के लिए जिम्मेदार है. वे आपके नामित स्कूल अधिकारी को आपके F-1 वीज़ा के निरस्तीकरण के बारे में सूचित कर सकते हैं.' साथ ही, छात्र को चेतावनी दी कि अगर वे वैध आव्रजन स्थिति के बिना संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं, तो उन्हें जुर्माना, हिरासत और/या निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है और भविष्य में अमेरिकी वीज़ा के लिए भी अयोग्य हो सकता है. हालांकि, इसमें आगे कहा गया है कि अगर निर्वासित छात्र फ्यूचर में अमेरिका लौटना चाहते हैं, तो उन्हें नए वीज़ा के लिए एप्लीकेशन करना होगा और फिर उनकी पात्रता का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा.

'वीज़ा जन्मसिद्ध अधिकार नहीं'
इस सप्ताह की शुरुआत में रूबियो ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि यू.एस. वीज़ा 'जन्मसिद्ध अधिकार नहीं' है और जो लोग इन शर्तों का उल्लंघन करते पाए गए, उन्हें देश छोड़ना होगा. सीबीएस न्यूज़ के फ़ेस द नेशन शो में यू.एस. के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि हमें कब यह बात समझ में आई कि वीज़ा किसी तरह का जन्मसिद्ध अधिकार है। ऐसा नहीं है.' उन्होंने आगे कहा, 'यह हमारे देश में आने वाला आगंतुक है और अगर आप मुलाक़ात की शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो आपको देश छोड़ना होगा.'

Read Full Article at Source