नई दिल्ली (School Admission). ज्यादातर स्कूलों में अप्रैल से नए सेशन की शुरुआत होती है. नर्सरी स्कूल भी इसी महीने में शुरू होते हैं. 3-4 साल की उम्र के बच्चों के लिए पहली बार स्कूल जाना आसान नहीं होता है. देखा जाए तो माता-पाता के लिए भी यह सफर कई तरह की मुश्किलों भरा होता है. बच्चे का पहली बार स्कूल जाना काफी बड़ा और इमोशनल बदलाव होता है. इसके लिए बच्चे के साथ ही माता-पिता को भी खास तैयारी करनी पड़ती है.
पहली बार स्कूल जाना बच्चे के लिए काफी बड़ा कदम होता है. यह उसकी लाइफ के नए सफर की शुरुआत होती है. बच्चे को नए माहौल में सेटल करवाने की जितनी जिम्मेदारी टीचर्स पर होती है, उतनी ही उसके माता-पिता पर भी. बच्चे को स्कूल भेजने से पहले उसे मेंटली तैयार करना बहुत जरूरी होता है वरना स्कूल में उसका पहला दिन रोते हुए ही बीतेगा. जानिए कुछ टिप्स, जिनसे बच्चे का स्कूल का पहला दिन यादगार बना सकते हैं.
Parenting Tips: बच्चे को स्कूल के लिए कैसे तैयार करें?
ज्यादातर स्कूल इसी हफ्ते खुल जाएंगे. ऐसे में घर पर कुछ घंटे स्कूली माहौल देकर बच्चे को नए सफर के लिए तैयार कर सकते हैं. इसके लिए नीचे लिखे टिप्स आपके काम आ सकते हैं:
1- बच्चे से स्कूल के बारे में बात करें: बच्चे के सामने स्कूल को एक मजेदार जगह के रूप में पेश करें. उसे समझाएं कि वहां नए दोस्त बनेंगे, गेम्स मिलेंगे और सीखने की मजेदार चीजें होंगी.
2- रूटीन की प्रैक्टिस शुरू करें: स्कूल शुरू होने से पहले सुबह जल्दी उठने, नाश्ता करने और तैयार होने का रूटीन बनाएं. दिन का कुछ वक्त ‘स्कूल टाइम’ की तरह समय बिताएं, जैसे किताब पढ़ना या ड्रॉइंग करना.
3- स्कूल की चीजों से परिचय कराएं: बच्चे को बैग, लंच बॉक्स, पानी की बोतल और स्कूल यूनिफॉर्म दिखाएं, सहज बनाने के लिए उसे इनके साथ खेलने दें. अगर मुमकिन हो तो 1 बार स्कूल विजिट करवा दें. इससे उसे जगह और माहौल की आदत हो जाएगी.
4- सोशल स्किल्स से दोस्ती: बच्चे को स्कूल भेजने से पहले ‘हाय’, ‘थैंक यू’, ‘सॉरी’, ‘प्लीज़’ जैसे बेसिक शब्द और उनकी अहमियत बताएं. उसे खिलौने शेयर करने जैसे बेसिक्स भी सिखाएं. पड़ोस के बच्चों या रिश्तेदारों के साथ खेलने का मौका दें. इससे वह दूसरों के साथ घुलना-मिलना सीखेगा.
5- भावनाओं को समझें और सपोर्ट करें: बच्चे को बताएं कि पहले दिन थोड़ा डर लगना या रोना नॉर्मल है, लेकिन आप और टीचर उसकी मदद करेंगे. कोई छोटा खिलौना या रुमाल जैसी कोई बेसिक और पर्सनल चीज उसके साथ भेज दें. इससे उसे सिक्योर महसूस होगा.
स्कूल के पहले दिन क्या करें?
स्कूल खुलने से पहले बच्चे को उस माहौल के लिए तैयार करना जरूरी है, यह तो आप ऊपर समझ ही गए हैं. अब जानिए कि स्कूल के पहले दिन क्या करना चाहिए-
1- पॉजिटिव माहौल बनाएं: बच्चे के लिए पहले दिन की सुबह बहुत नई है. इसलिए उस पर गुस्सा न करें. सुबह बच्चे को प्यार से उठाएं और स्कूल के लिए उत्साह दिखाएं.
2- सही समय पर पहुंचें: स्कूल समय से थोड़ा पहले पहुंचें. इससे जल्दबाजी नहीं होगी और बच्चा भी परेशान नहीं होगा. अगर वो Tantrum दिखाएगा तो आप उसे हैंडल भी कर पाएंगे.
3- कैसे कहें गुडबाय: बच्चे को गले लगाएं, मुस्कुराएं और कहें, ‘मैं तुम्हें थोड़ी देर में लेने आऊंगा/आऊंगी. तब तक नए फ्रेंड्स के साथ एंजॉय करो’. इसमें ज्यादा टाइम न लें, वरना बच्चा परेशान हो सकता है.
4- टीचर से संपर्क करें: टीचर को बच्चे की आदतों (जैसे खाना, टॉयलेट जाना) के बारे में बता दें. बच्चे को अगर कोई एलर्जी हो तो उसकी जानकारी भी जरूर दें. इससे उसके लिए वहां रहना आसान होगा.
स्कूल के पहले दिन मम्मी-पापा क्या करें?
बच्चे का स्कूल में पहला दिन माता-पिता के लिए भी काफी कठिन होता है. उन्हें इतनी देर बच्चे से दूर रहने की आदत नहीं होती है और नई जगह में बच्चे के एडजस्टमेंट को लेकर एक डर भी रहता है.
1- इमोशंस पर रखें कंट्रोल: आपका रोना या चिंता करना बच्चे को भी परेशान कर सकता है. इसलिए शांत और पॉजिटिव रहें.
2- पहले दिन की तैयारी करें: बच्चे का बैग और यूनिफॉर्म रात में ही तैयार कर लें. उसके ब्रेकफास्ट और लंच की तैयारी भी करके रखें. इससे सुबह हड़बड़ाहट नहीं होगी.
3- बच्चे की बात सुनें: स्कूल से लौटने पर उससे पूछें कि दिन कैसा रहा. उसकी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें और तारीफ करें.
4- धैर्य रखें: शुरुआत में कुछ दिन बच्चे का रोना या स्कूल जाने से मना करना नॉर्मल है. उसे नए बदलाव को स्वीकारने के लिए समय दें. धीरे-धीरे वह सहज हो जाएगा.
5- स्कूल से संपर्क में रहें: टीचर से फीडबैक लें कि बच्चा वहां कैसे एडजस्ट कर रहा है. जरूरत पड़ने पर सलाह लें.
काम की बात
नियमित रूटीन बनाए रखें: सोने, उठने और होमवर्क का समय फिक्स करें.
प्रोत्साहन दें: बच्चे की छोटी उपलब्धियों (जैसे नया दोस्त बनाना) की तारीफ करें.
खेल और पढ़ाई का बैलेंस: स्कूल के बाद उसे खेलने के लिए भी समय दें.
हर बच्चा अलग होता है. कोई तुरंत एडजस्ट कर लेता है तो किसी को कई हफ्ते लग सकते हैं. प्यार, सपोर्ट और थोड़े धैर्य के साथ इस बदलाव को अपने और उसके लिए यादगार बना सकते हैं.