बतौर LoP राहुल गांधी के एक साल पूरे, लेकिन क्या महफिल लूट गईं बहन प्रियंका?

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Last Updated:July 04, 2025, 12:31 IST

Rahul gandhi- Priyanka Gandhi News: राहुल गांधी ने विपक्ष के नेता के तौर पर अपना एक साल पूरा कर लिया है. इस दौरान प्रियंका गांधी की भी लोकसभा में एंट्री हो गई. ऐसे में दोनों भाई-बहन के कामकाज पर पूरी दुनिया की ...और पढ़ें

बतौर LoP राहुल गांधी के एक साल पूरे, लेकिन क्या महफिल लूट गईं बहन प्रियंका?

बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का एक साल का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा.

हाइलाइट्स

फिलिस्तीनियों के समर्थन वाली बैग लेकर पहुंची थीं प्रियंका.प्रियंका ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के खिलाफ आवाज उठाया.दूसरी तरफ राहुल का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा.

Rahul gandhi- Priyanka Gandhi News: कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में एक साल पूरे होने का जश्न मना रही है. दो जुलाई को यह मौका आया और पार्टी इस दौरान राहुल के भाषणों, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार पर उनके तीखे हमलों और प्रेस के साथ उनकी लगातार बातचीत को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है और कांग्रेस इसको देखते हुए राहुल की उपलब्धियों को मीडिया के सामने ला रही है. लेकिन इस बीच उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा की संसद में शांत लेकिन प्रभावशाली उपस्थिति ने ज्यादा ध्यान खींचा है. प्रियंका ने अपने काम और प्रतीकात्मक इशारों से सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया, जिससे राहुल की मौजूदगी थोड़ी फीकी पड़ गई है.

पिछले साल राहुल का विपक्ष के नेता बनना कांग्रेस के लिए एक बड़ा क्षण था. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं, जिसके बाद दस साल में पहली बार पार्टी के पास लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद हासिल करने के लिए जरूरी संख्या थी. राहुल की नियुक्ति के साथ ही प्रियंका गांधी ने भी वायनाड से सांसद के रूप में अपनी शुरुआत की. इस तरह गांधी भाई-बहन एक बार फिर संसद में केंद्र में आ गए. यह कांग्रेस के लिए एक नई शुरुआत थी, क्योंकि पार्टी लंबे समय बाद इस तरह की स्थिति में थी. हैरानी की बात है कि पिछले एक साल में प्रियंका ने संसद में ज्यादा प्रभाव छोड़ा. उनके हस्तक्षेप, अनौपचारिक बातचीत और प्रतीकात्मक इशारे चर्चा का विषय बने. खास तौर पर उनके हैंडबैग ने राजनीतिक हलकों में खूब सुर्खियां बटोरीं.

प्रियंका ने लूट ली महफिल

एक संसद सत्र के दौरान उनका एक बैग फिलिस्तीनियों के समर्थन का प्रतीक माना गया, जिसके लिए बीजेपी ने उन पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया. कुछ दिन बाद एक और बैग के जरिए उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं और ईसाइयों पर हो रहे हमलों के खिलाफ आवाज उठाया. ये छोटे-छोटे कदम भले ही प्रतीकात्मक हों, लेकिन इनसे प्रियंका की सियासी समझ और रणनीति की झलक मिलती है. प्रियंका ने वायनाड से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात की, कांग्रेस सांसदों के साथ अच्छा तालमेल बनाया और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर वायनाड के लिए विशेष पैकेज की मांग की. ये कदम छोटे लग सकते हैं, लेकिन इनसे प्रियंका ने संसद में अपनी अलग पहचान बनाई. उनकी ये सक्रियता कई बार राहुल की मौजूदगी को पीछे छोड़ गई. प्रियंका की शांत लेकिन प्रभावी शैली ने उन्हें पार्टी के लिए एक नई ताकत के रूप में उभारा है.

दूसरी ओर, राहुल गांधी का कार्यकाल अधिक आक्रामक लेकिन विवादों से भरा रहा. उनके बयानों ने कई बार तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाईं. अभय मुद्रा पर उनकी टिप्पणी, बीजेपी को हिंदू-विरोधी कहना और मोदी सरकार पर संविधान को खतरे में डालने का आरोप लगाने से उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस तक आया. उन्होंने अपनी शपथ संविधान की प्रति हाथ में लेकर ली, जो उनके कार्यकाल की टोन सेट करने वाला एक प्रतीकात्मक क्षण था. राहुल ने संसद में कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश की, लेकिन उनके बयानों ने अक्सर विवाद को जन्म दिया.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल ने यह पद इसलिए स्वीकार किया ताकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बेहतर हुई स्थिति और मोमेंटम को बनाए रखा जाए और इसे राज्यों में जीत में बदला जाए. उनके खेमे ने इसे मोदी बनाम राहुल की सीधी टक्कर के रूप में पेश किया. लेकिन यह रणनीति पूरी तरह सफल नहीं रही. कांग्रेस को महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों में हार का सामना करना पड़ा. राहुल की अगुवाई से वह चुनावी बुस्ट नहीं मिला, जिसकी पार्टी को उम्मीद थी. सबसे बड़ी चुनौती रही है इंडिया गठबंधन को एकजुट करना. राहुल की अगुवाई में गठबंधन को मजबूत करने के बजाय उन्हें खासकर तृणमूल कांग्रेस से विरोध का सामना करना पड़ा. टीएमसी ने उनकी राष्ट्रीय नेतृत्व की उपयुक्तता पर सवाल उठाए और ममता बनर्जी को विपक्ष का नेतृत्व देने की वकालत की.

राहुल के लिए बड़ा झटका

यह राहुल के लिए एक बड़ा झटका रहा, क्योंकि इंडिया गठबंधन की एकजुटता उनकी अगुवाई की सबसे बड़ी परीक्षा थी. बीजेपी ने भी राहुल की खूब आलोचना की. उन्होंने राहुल पर विपक्ष के नेता के पद को हल्का करने का आरोप लगाया. बीजेपी ने उनके बयानों को तुच्छ और वक्फ बिल जैसे गंभीर चर्चाओं के दौरान ट्रैक पैंट पहनने जैसे उनके व्यवहार को गैर-जिम्मेदार बताया. बीजेपी ने उन्हें गैर-गंभीर नेता करार दिया और कहा कि उनका रवैया इस पद की गरिमा को कम करता है. बीजेपी का यह हमला राहुल की छवि को और नुकसान पहुंचाने की कोशिश थी. लोकसभा के मौजूदा कार्यकाल में अभी चार साल बाकी हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल इस पद पर और प्रभावी नेतृत्व दिखाएंगे.

पार्टी के कुछ लोग मानते हैं कि अब उन्हें प्रतीकात्मकता से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाने होंगे. उन्हें इंडिया गठबंधन को एकजुट करना होगा और बीजेपी को चुनावी तौर पर कड़ी चुनौती देनी होगी. अगर राहुल ऐसा करने में सफल नहीं हुए तो पार्टी के लिए भविष्य की राह मुश्किल हो सकती है.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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