बांग्लादेश में एक बार फिर हिंसा भड़क उठी है. इस बार वहां के गोपालगंज में मार-काट हुई है. मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर आरोप है कि उसने राज्य बलों के जरिए आम नागरिकों पर हमला करवाया. सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी ने इसे निहत्थे नागरिकों का सफाया करार देते हुए यूनुस सरकार की कड़ी आलोचना की है.
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प
असल में स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को हजारों लोग गोपालगंज की सड़कों पर उतरे और यूनुस सरकार के प्रायोजित दमन के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिनमें चार लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए. इसके बाद प्रशासन ने इलाके में कर्फ्यू लागू कर दिया, जो शनिवार सुबह तक जारी रहेगा.
जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाया?
अवामी लीग ने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार ने जानबूझकर उन नागरिकों को निशाना बनाया जो नेशनल सिटिजन्स पार्टी एनसीपी का समर्थन करने से इनकार कर रहे थे. पार्टी का कहना है कि सुरक्षा बल आधी रात को घरों में घुसकर लोगों को उठा रहे हैं. उन्हें टॉर्चर कर रहे हैं और बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के गिरफ्तारियां की जा रही हैं.
पार्टी ने यह भी दावा किया कि जिन लोगों की मौत हुई उन्हें बिना पोस्टमार्टम के दफनाया गया और उनके परिवारों को न्याय की मांग करने तक की इजाजत नहीं दी जा रही है. सरकार ने अब तक न तो किसी परिजनों से संपर्क किया है न ही किसी अधिकारी ने पीड़ितों की सुध ली है.
अवामी लीग ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह पीड़ित परिवारों और चश्मदीदों की सोशल मीडिया पर आ रही गवाही को गंभीरता से ले और यूनुस सरकार पर दबाव बनाए ताकि मानवाधिकारों का सम्मान हो और दोषियों पर कार्रवाई हो. Ians Input