Last Updated:December 08, 2025, 02:56 IST
8 दिसंबर 2021 में तमिलनाडु के कुन्नूर में एक हेलिकॉप्टर क्रैश में जनरल बिपिन रावत का निधन हो गया था. (फाइल फोटो)आज 8 दिसंबर है और पूरा देश भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत को याद कर रहा है. आज ही के दिन 2021 में तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए एक दर्दनाक हेलिकॉप्टर क्रैश में जनरल रावत का निधन हो गया था. वे अदम्य साहस और बेमिसाल लीडरशिप के प्रतीक थे. जनरल रावत ने अपने चार दशकों के करियर में भारतीय सेना को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनका जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के गढ़वाल में हुआ था. उनका परिवार कई पीढ़ियों से सेना में सेवा देता आ रहा है. उनके पिता भी लेफ्टिनेंट जनरल थे. जनरल रावत ने अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग उसी जज्बे के साथ पूरी की. आज उनकी चौथी पुण्यतिथि पर देश उनके बलिदान और योगदान को नमन कर रहा है.
पीढ़ियों से सेना में सेवा का जज्बा: जनरल बिपिन रावत का खून ही फौजी था. उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में एक बड़े ओहदे से रिटायर हुए थे. बिपिन रावत ने देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) से ट्रेनिंग ली थी. 16 दिसंबर 1978 को उन्हें 11वीं गोरखा राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला. अपनी पहली पोस्टिंग पर वे जनवरी 1979 में मिजोरम गए. वहां से शुरू हुआ उनका सफर भारतीय सेना के सर्वोच्च पद तक पहुंचा. उन्होंने हमेशा फ्रंट से लीड किया और सैनिकों का मनोबल बढ़ाया.
सर्जिकल स्ट्राइक और चीन को करारा जवाब: जनरल रावत को उनके सख्त फैसलों के लिए जाना जाता है. 2017 में जब डोकलाम में चीन के साथ विवाद हुआ, तब सेना की कमान उन्हीं के हाथ में थी. उन्होंने चीन की आंखों में आंखें डालकर बात की. 2020 में गलवान घाटी की घटना के वक्त भी वे चीन के हमलावर तेवर से सख्ती से निपटे. उनके सेना प्रमुख रहते हुए ही पाकिस्तान के खिलाफ पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था. म्यांमार में स्पेशल फोर्सेज का ऑपरेशन भी उनकी देखरेख में हुआ था. उन्होंने भारत की रक्षा नीति को संयम से बदलकर आक्रामक बना दिया.
पहले CDS के रूप में ऐतिहासिक सुधार: 31 दिसंबर 2019 को सेना प्रमुख के पद से रिटायर होने के बाद उन्हें एक नई जिम्मेदारी मिली. 1 जनवरी 2020 को वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बने. यह भारतीय सैन्य इतिहास का सबसे बड़ा सुधार था. इसका मकसद तीनों सेनाओं – जल, थल और वायु – के बीच तालमेल बढ़ाना था. जनरल रावत ने इस पद पर रहते हुए सेना के मॉडर्नाइजेशन पर जोर दिया. वे चाहते थे कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए किसी और पर निर्भर न रहे. कुन्नूर हादसे ने देश से एक महान रणनीतिकार छीन लिया, लेकिन उनकी विरासत आज भी सेना के हर जवान में जिंदा है.
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राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
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December 08, 2025, 02:56 IST

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