Last Updated:July 26, 2025, 22:36 IST

नई दिल्ली. गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में स्वीकार्य दस्तावेजों की सूची से आधार और राशन कार्ड को बाहर रखना ‘स्पष्ट तौर पर बेतुका’ है तथा निर्वाचन आयोग ने अपने फैसले के पक्ष में कोई वैध कारण नहीं बताया है.
शीर्ष अदालत में दाखिल जवाब में एनजीओ ने कहा कि आधार कार्ड स्थायी निवास प्रमाण पत्र, ओबीसी/एससी/एसटी प्रमाण पत्र और पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेज में से एक है. एनजीओ ने कहा कि ऐसे में ‘मौजूदा एसआईआर आदेश के तहत आयोग द्वारा आधार (जो सबसे व्यापक रूप से मान्य दस्तावेज है) को अस्वीकार करना स्पष्ट रूप से बेतुका हो जाता है.’
इसमें कहा गया है कि निर्वाचन आयोग ने आधार और राशन कार्ड को स्वीकार्य दस्तावेज की सूची से बाहर करने का कोई वैध कारण नहीं बताया है. एनजीओ ने दलील दी है कि निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को ‘व्यापक और अनियंत्रित’ विवेकाधिकार दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप बिहार की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मताधिकार से वंचित हो सकता है.
एनजीओ ने कहा, ‘याचिका में कहा गया है कि 24 जून, 2025 के एसआईआर आदेश को यदि रद्द नहीं किया गया तो मनमाने ढंग से और बिना उचित प्रक्रिया के लाखों नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, जिससे स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव बाधित हो सकता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है.’
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi