Last Updated:September 15, 2025, 15:45 IST
Engineer's Day: बीते कुछ सालों में इंजीनियरिंग की दुनिया में काफी बदलाव आया है. अब ज्यादातर स्टूडेंट्स बीटेक के एआई और एमएल कोर्सेस में एडमिशन को प्राथमिकता दे रहे हैं. इसमें भी गर्ल स्टूडेंट्स की संख्या में भारी इजाफा दर्ज किया गया है.

नई दिल्ली (Engineer’s Day). भारत में महिलाओं की शिक्षा और करियर से जुड़ी सोच लगातार बदल रही है. जहां कभी इंजीनियरिंग और टेक्निकल शिक्षा को पुरुष-प्रधान क्षेत्र माना जाता था, वहीं अब महिलाएं भी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा रही हैं. आज की लड़कियां केवल पारंपरिक विषयों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी और डेटा साइंस जैसी डीप-टेक फील्ड्स में भी आगे बढ़कर नई पहचान बना रही हैं.
शिक्षा के क्षेत्र में इस बदलाव ने न केवल शिक्षा जगत की तस्वीर बदली है, बल्कि यह भी साबित किया है कि अगर अवसर और सहयोग मिले तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में कमाल कर सकती हैं. इंजीनियर्स डे के मौके पर College Vidya ने एक रिपोर्ट पब्लिश की है. इसमें लिखा है कि महिलाएं अब इंजीनियरिंग शिक्षा को नए आयाम दे रही हैं. 2022 में जहां तकनीकी शिक्षा में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 4% थी, वहीं 2025 में यह बढ़कर 17% तक पहुंच गई है.
Women in Engineering: इस कोर्स में महिलाओं का दबदबा
रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे तेज उछाल AI और ML प्रोग्राम्स में देखा गया है. 2024 में जहां सिर्फ 5% महिलाएं इन प्रोग्राम्स में दाखिला ले रही थीं, वहीं 2025 में यह आंकड़ा 20% तक पहुंच गया. आज हर 5 में से 1 छात्रा AI और ML मास्टर्स प्रोग्राम में रजिस्टर्ड है. यह रुझान केवल AI तक सीमित नहीं है. साइबर सिक्योरिटी में MCA स्तर पर अब लगभग 25% छात्राएं हैं, जबकि Generative AI में डॉक्टोरल लेवल पर 15% महिलाएं रिसर्च कर रही हैं. वहीं, बीएससी और एमएससी में भी महिला भागीदारी 10-12% (2019) से बढ़कर 40% तक पहुंच गई है.
Female Students in Engineering: टॉप पर हैं इन राज्यों की स्टूडेंट्स
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बदलाव की अगुवाई दक्षिण भारत कर रहा है. देशभर में जितनी महिलाएं टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर रही हैं, उनमें से लगभग 70% सिर्फ कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से हैं. वहीं पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार भी तेजी से उभरते क्षेत्र साबित हो रहे हैं. खास बात यह है कि इनकी एक बड़ी संख्या टियर 2 और टियर 3 शहरों से आती है, जो शिक्षा और करियर के लिए टियर 1 शहरों की तरफ बढ़ रही हैं. इस डेटा से एजुकेशन सेक्टर में बदलाव का अंदाजा लगा सकते हैं.
कैसे बढ़ी महिला स्टूडेंट्स की संख्या?
अब शिक्षा हासिल करने के लिए कॉलेज जाने की निर्भरता खत्म हो गई है. ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल्स, EMI सुविधा (4,999 रुपये से शुरू) और टॉप फैकल्टी का डिजिटल रूप में उपलब्ध होना.. ऐसे फैक्टर्स महिलाओं के लिए क्वॉलिटी एजुकेशन को आसान बना रहे हैं. परिवार भी अब बेटियों को इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. साथ ही, उद्योग जगत में महिला CXO और टेक लीडर्स का उभरना नई पीढ़ी की छात्राओं के लिए प्रेरणा बन रहा है.
क्लासरूम से बोर्डरूम तक
कॉलेज विद्या की रिपोर्ट के अनुसार, करीब दो-तिहाई महिला छात्राएं पहले से वर्किंग प्रोफेशनल हैं. अब ये करियर ग्रोथ के लिए अपस्किलिंग कर रही हैं. वहीं लगभग 30% छात्राएं फ्रेश ग्रेजुएट्स हैं. इनका लक्ष्य केवल नौकरी तक सीमित नहीं है, बल्कि उद्यमिता (Entrepreneurship) में भी योगदान देना है. इस तरह महिलाएं न केवल टेक्निकल वर्कफोर्स का हिस्सा बन रही हैं, बल्कि आने वाले समय में भारत की तकनीकी लीडरशिप संभालने के लिए भी आगे आएंगी.
Having an experience of more than 10 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle (health, beauty, fashion, travel, astrology, numerology), entertainment and career. She has covered...और पढ़ें
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First Published :
September 15, 2025, 15:45 IST