Last Updated:May 30, 2025, 10:01 IST
Operation Sindoor: पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया गया. भारत के वीर जवानों ने ऐसा वार किया कि दुश्मनों के छक्के छूट गए. इसमें बीएसएफ की महिला जवानों ने भी बढ़-चढ़ कर भू...और पढ़ें

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान BSF की महिला जवानों ने बॉर्डर पर तीन दिन और तीन रात तक मोर्चा संभाले रखा था. (फाइल फोटो/PTI)
हाइलाइट्स
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने 23 मिनट में आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दियाअखनूर सेक्टर के फॉरवर्ड पोस्ट पर BSF की 7 महिला जवानों ने घंटों तक संभाला मोर्चामोर्चे से हटने के प्रस्ताव को किया था खारिज, पाकिस्तानियों को धूल चटाकर ही मानींनई दिल्ली. पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या की थी. इसके बाद भारत ने आतंकियों और उनके आका को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी. इंडियन आर्म्ड फोर्सेज ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च कर न केवल आतंकवादी शिविरों को तबाह किया, बल्कि पाकिस्तान फौज के 11 एयरबेस को भी मिट्टी में मिला दिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला जवानों ने भी बढ़-चढ़ हिस्सा लिया और देशसेवा की थी. BSF की 7 महिला जवानों ने पाकिस्तान की सीमा से लगते अखनूर सेक्टर के फॉरवर्ड पोस्ट पर तीन दिन और तीन रात तक मोर्चा संभाले रखा था. इन वीरांगनाओं ने पाकिस्तानियों को धूल चटाकर ही दम लिया.
जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) पर हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने इतिहास रच दिया है. इस अभियान में सीमा सुरक्षा बल (BSF) की महिला जवानों ने न केवल मोर्चा संभाला, बल्कि दुश्मन को करारा जवाब भी दिया. महज तीन साल पहले BSF में शामिल हुईं सहायक कमांडेंट नेहा भंडारी के नेतृत्व में आधा दर्जन महिला जवानों ने पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी गोलीबारी और गोला-बारी का डटकर मुकाबला किया. तीन दिन और तीन रात चले इस संघर्ष में महिला जवानों ने सियालकोट के सामने स्थित पाकिस्तानी चौकियों पर जमकर जवाबी हमला किया. उनकी सटीक और भारी गोलीबारी के चलते दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा और उन्होंने अपने अग्रिम चौकियों को छोड़ दिया.
मोर्चे से हटने का था विकल्प
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान BSF की महिला जवानों को सीनियर अधिकारियों ने अखनूर के फॉरवर्ड पोस्ट से हटने का विकल्प दिया था. ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, महिला बीएसएफ जवानों ने पीछ हटने से साफ इंकार कर दिया. नेहा भंडारी ने कहा, ‘हमने पुरुषों के बराबर प्रशिक्षण लिया है और जब अवसर आया, तो पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं था. यह हमारे करियर की शुरुआत में ही खुद को साबित करने का मौका था.’ इस दल में पंजाब की मंजीत कौर और मलकीत कौर जैसे 17 साल के अनुभवी जवानों के साथ-साथ बंगाल की स्वप्ना रथ, शम्पा बसाक, झारखंड की सुमी एक्सेस और ओडिशा की ज्योति बनियन जैसी नई नियुक्त महिला जवान भी शामिल थीं. उन्होंने साल 2023 में ही बीएसएफ ज्वाइन किया है.
लिखा नया इतिहास
बीएसएफ के सुंदरबनी सेक्टर के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल वरिंदर दत्ता ने कहा, ‘नेहा ने न केवल बीएसएफ जवानों का नेतृत्व किया, बल्कि सेना के अतिरिक्त बलों के साथ समन्वय कर स्वतंत्र रूप से हथियारों और रणनीतियों पर निर्णय भी लिया. यह पहली बार है जब किसी महिला अधिकारी ने सक्रिय युद्ध में कमान संभाली है, जबकि सेना अब भी महिलाओं को केवल कम्यूनिकेशन जैसे गैर-युद्ध क्षेत्रों में तैनात करती है.’ दत्ता ने आगे बताया कि पाकिस्तानी पोस्ट्स से महज 150 मीटर की दूरी पर भारी गोलीबारी के बावजूद, नेहा ने अपने जवानों को मजबूती से मोर्चे पर डटे रहने के लिए प्रेरित किया. दुश्मन की चौकियों को भारी नुकसान पहुंचा और पाकिस्तानी रेंजरों को उन्हें बंद करना पड़ा. ऑपरेशन सिंदूर न केवल एक सैन्य सफलता थी, बल्कि इसने भारत की महिला सैनिकों की क्षमता, साहस और समानता के संकल्प को भी पूरे देश के सामने उजागर किया. यह ऐतिहासिक पल भारतीय सुरक्षाबलों में महिलाओं की भूमिका को एक नई ऊंचाई देता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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