भारत-पाकिस्तान सीमा पर सारा - औरंगजेब के आंसुओं की विदाई

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Last Updated:May 01, 2025, 19:45 IST

India - Pakistan Relation : सारा खान अटारी-वाघा बॉर्डर पर रो रही थी, पहलगाम नरसंहार के गुनहगारों की सजा भुगतने जा रही है. मोदी सरकार ने पाकिस्तानियों को वापस भेजने का हुक्म दिया.

भारत-पाकिस्तान सीमा पर सारा - औरंगजेब के आंसुओं की विदाई

पाकिस्तान की कारस्तानी ने रिश्तों में न भूलने वाला दरार पैदा किया है

30 अप्रैल 2025 को अटारी-वाघा बॉर्डर पर तपती दुपहरिया में सारा खान रो रही थी. गोद में मासूम और आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए. वो एक पाकिस्तानी है और पहलगाम में हिंदुओं के नरसंहार के गुनहगारों की सजा भुगतने जा रही है. पाकिस्तानी आर्मी और सरकार के किए कराए की सजा. पाकिस्तानी आर्मी चीफ मौलाना असीम मुनीर और आईएसआई ने पहलगाम में मानवता का जो कत्ल किया उसकी सजा. हमारे 27 निहत्थे सैलानियों को जिस कायराना तरीके से आतंकवादियों ने मारा है उसकी सजा . शाहबाज की सरकार तो बस कहने के लिए है. सत्ता तो मुनीर और आईएसआई के पास है. इसी के इशारों पर लश्कर-ए-तैयबा ने इंसानियत का खून बहाया है. जनरल मुनीर को मौलाना इसलिए कहा कि उसने हाल ही में इस्लामाबाद में जो चर्चित भाषण दिया वो कट्टरपंथी तकरीर से कम नहीं. हिंदुओं के लिए नफरत भरे पैगाम में उसने पाकिस्तानी मुसलमानों के वजूद को अलग साबित करने की कोशिश की. पाकिस्तान आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के तौर पर इस्तेमाल करता है लेकिन जनरल मुनीर जिहाद को आम जनता के लेवल पर ले आए. इसीलिए आतंकियों ने पहलगाम में धर्म पूछ कर गोली दागी.

सारा-औरंगजेब का दर्द
अब जनरल असीम मुनीर के किए की सजा सारा खान और वो सारे पाकिस्तानी भुगत रहे हैं जिनका रोटी-बेटी का रिश्ता भारत में था. मोदी सरकार ने सारे पाकिस्तानियों को वापस भेजने का हुक्म दिया है. तो सारा को जाना ही था. उसके हाथ में नन्हा बच्चा है और पास में औरंगजेब खान खड़ा है. उसका शौहर. औरंगजेब भारतीय नागरिक है. इसलिए वो बेगम के साथ सीमा पार नहीं जा सकता. उसके हाथ में बड़ा बच्चा है. दोनों की आंखों में दर्द साफ झलक रहा है.

सारा और औरंगजेब की कहानी पांच साल पहले शुरू हुई थी. अमृतसर के पास गांव में दोनों की मुलाकात हुई. तब शांति की पहल की जा रही थी. औरंगजेब किसान है. उसे सारा से इश्क हो गया और ये 2021 में परवान चढ़ा. दोनों ने निकाह कर लिया. दो बच्चे हुए. बेटा चार साल का है और बेटी कुछ महीनों की. खुशहाल जिंदगी 22 अप्रैल तक ठीक ठाक कट रही थी. औरगंजेब खेत में काम करता तो सारा बच्चों को उर्दू पढ़ाती.

लेकिन पहलगाम हमले ने सब बदल दिया. वापस जाने के ऑर्डर के बाद औरंगजेब ने अधिकारियों से गुहार लगाई. लेकिन आतंकवाद के खिलाफ जंग का जो ऐलान अब हुआ है उसमें रहम एक और पहलगाम को न्यौता देने की तरह है. इसलिए सारा और औरंगजेब की आवाज दब गई.

विदाई का वक्त आया तो सारा ने अपने बेटे के हाथ में औरंगजेब की फोटो वाला लॉकेट दिया. बोली – हम फिर मिलेंगे. औरंगजेब ने सामान का बैग दिया फुसफुसाया- हमारे बच्चों का ध्यान रखना. बच्चे डरे हुए थे. उन्हें क्या मालूम कि अम्मी के देश के आकाओं ने क्या गुनाह किया है. थोड़ी ही देर में सुरक्षाकर्मियों ने सारा को बस में बिठाया औरंगजेब देखता रहा. सारा पाकिस्तान में अनजान भविष्य की ओर कदम बढ़ा रही है. औरंगजेब भारत में अकेला है. उसके पास सिर्फ यादें हैं. यह कहानी प्यार की है जो संघर्ष में फंस गई है. यह आंसुओं और मिलने की उम्मीद की कहानी है

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