महाभारत: मृत राजा से क्यों किया रानी ने मिलन, इससे 1-2 नहीं 7 बच्चे हुए पैदा

4 hours ago

महाभारत की कहानियों में एक वाकया ऐसा भी है जब एक प्रतापी राजा की मृत्यु हो गई. लेकिन तब तक उनके कोई संतान नहीं थी. ऐसे में चिंतित रानी ने किसी सलाह पर मृत राजा के साथ संसर्ग किया. बेशक इसको चमत्कार कहें या कुछ और लेकिन रानी गर्भवती हुई. फिर उसके सात बेटे हुए. वैसे मौजूदा साइंस भी कहती है कि ऐसा हो सकता है.

महाभारत में एक राजा थे, जिनका नाम व्यूषिताश्व था. ये कहानी उन्हीं के साथा जुड़ी हुई है . उन्हें अपार शक्तियां हासिल थीं. जब उनकी मृत्यु हुई तो वह संतानविहीन थे. तब रानी ने मृत राजा के शरीर से मिलन किया, इससे उन्हें सात बेटे हुए.

दरअसल महाभारत में इस प्रतापी राजा का जिक्र राजा पांडु यानि पांडवों के पिता ने अपनी बड़ी रानी कुंती से किया था. पांडु को शाप मिला था कि वह जब भी पत्नी के साथ मिलन करेंगे तो तुरंत उनकी मृत्यु हो जाएगी. ये शाप उन्हें तब मिला जब उन्होंने प्रेमरत हिरणों की जोड़ी को अपने बाणों से भेदकर कर मार डाला.

तब पांडु वन में रहने लगे
इस श्राप के बाद पांडु कोई संतान पैदा नहीं कर सकते थे. क्योंकि ऐसा करते ही तुरंत उनकी मृत्यु हो जाती. पांडु के अब तक कोई संतान नहीं थी. वह अपनी दोनों पत्नियों कुंती और माद्री के साथ वन में रहने लगे.

राजा पांडु को संतान नहीं हो पाने पर काफी चिंता रहती थी. एक दिन उन्होंने एकांत में कुंती से कहा, तुम संतान प्राप्ति की कोशिश करो. महाभारत दौर में स्त्रियां आपात स्थिति में उत्तम वर्ण के पुरुष या देवर से पुत्र प्राप्त कर सकती थीं. खुद राजा पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर का जन्म इसी तरह ऋषि व्यास के साथ संसर्ग से हुआ था.

राजा व्यूषिताश्व (AI generated image)

मृत राजा ने कैसे पैदा किए 7 बेटे
वो राजा व्यूषिताक्ष थे, जिन्होंने मरने के बाद भी पत्नी के मिलन से 7 बेटे पैदा किए थे. ये बात कुंती ने पांडु से की थी. इसका उल्लेख राजशेखर बसु की “महाभारत” में है, जो बांग्ला में बहुत लोकप्रिय है. इसी तरह राजा व्यूषिताश्व के बारे में पेंगुइन से प्रकाशित “महाभारत: खंड 1″ के पृष्ठ 148 पर जानकारी दी गई है.

कौशिकी बुक्स की “महाभारत आदि पर्व अंग्रेजी भाग 2″ में भी इसका उल्लेख है. इसके अनुसार, पांडु से कुंती ने यही कहा कि अगर राजा व्यूषिताश्व की मृत्यु के बाद भी रानी भद्रा ने उनसे मिलन किया. गर्भवती हुई. 7 बेटों को जन्म दिया. तो आप भी तपस्या के प्रभाव से मेरे गर्भ में मानस पुत्र की उत्पत्ति कर सकते हैं. तब पांडु बोले, व्यूषिताश्व देवता समान बलशाली थे, मुझमें वह शक्ति नहीं है.

कौन थे राजा व्यूषिताश्व और रानी भद्रा
अब जानते हैं कि कौन थे राजा व्यूषिताश्व और उनकी रानी भद्रा. वह चंद्र वंश के राजा शंखण के पुत्र थे. व्यूषिताश्व ने राजा कक्षीवत की पुत्री भद्रा से विवाह किया, जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थीं.

रानी भद्रा (AI generated Image)

महाभारत में व्युषिताश्व को एक धर्मी राजा बताया गया है. कहा जाता है कि उसने एक महान बलिदान किया था, जिसमें इंद्र के नेतृत्व में सभी आकाशीय देवता आए थे. इस बलिदान के बाद व्युषिताश्व ने महान शक्ति प्राप्त की. उन्होंने अश्वमेध समारोह के माध्यम से सभी दिशाओं के राज्यों पर विजय प्राप्त की.

कहा जाता है कि उन्होंने अपना अधिकांश धन ब्राह्मणों को दान कर दिया था. उनका विवाह भद्रा से हुआ था, जिससे वह बहुत प्यार करते थे. रानी भद्रा को उस समय भारत की सबसे सुंदर स्त्री माना जाता था. उनके कोई संतान नहीं थी. क्षय रोग जिसे तब यक्ष्मा रोग कहा जाता था, उससे उनकी उसकी मृत्यु हो गई. भद्रा दुःख से ग्रस्त हो गई. उन्होंने अपने पति के साथ मरने का इरादा किया.

आकाशीय आवाज सुनकर रानी भद्रा ने क्या किया
तब आकाशीय आवाज ने उन्हें ऐसा करने से रोका और पखवाड़े के आठवें और चौदहवें दिन राजा के शरीर के साथ लेटने का संकेत दिया. उन्होंने वैसा ही किया, जैसा उनसे करने को कहा गया था. उस संभोग से भद्रा ने सात पुत्रों को जन्म दिया.

व्यूषिताश्व पुरु वंश के राजा थे, जो धर्मात्मा और न्यायप्रिय थे. उन्होंने कई यज्ञ किए. (Image generated by Leonardo AI)

जब रानी मृत शरीर से लिपट रोती रहीं तो क्या हुआ
पौराणिक विश्वकोश के अनुसार महाभारत आदि पर्व के अध्याय 120 में लिखा है, व्यूषिताश्व पुरु वंश के राजा थे, जो धर्मात्मा और न्यायप्रिय थे. उन्होंने कई यज्ञ किए. जब राजा की मृत्यु हुई तो भद्रा राजा के मृत शरीर को गले लगाकर बहुत देर तक रोती रहीं. तब व्यूषिताश्व की आत्मा, जो शरीर से बाहर थी, उसने भद्रा से कहा, “मेरी प्रिये. अपने मासिक धर्म के आठवें या चौदहवें दिन अपने बिस्तर पर मेरे साथ सो जाओ. मैं तुम्हें पुत्र दूंगा.” उसने राजा की इच्छा के अनुसार कार्य किया. मृत शरीर से सात पुत्र प्राप्त किए.

पांडु की बातों का असर कुंती पर क्या पड़ा
पांडु की बात सुनने के बाद कुंती ने तब कहा, महाराज, अगर आप अनुमति दें तो मैं किसी देवता या ब्राह्मण का मंत्रबल से आह्वान कर सकती हूं. इससे तुरंत पुत्र लाभ होगा. पांडु ने इसकी सहर्ष अनुमति दी. फिर इसके जरिए कुंती ने युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन जैसे पुत्र हासिल किए. जब उन्होंने ये तरीका पांडु के कहने पर दूसरी पत्नी माद्री को बताया तो उन्हें नकुल और सहदेव की प्राप्ति हुई.

साइंस क्या कहती है
एक अध्ययन के दौरान मिले साक्ष्यों को आधार मानते हुए वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह दावा किया कि ‘इंसान की मौत के 48 घंटे बाद तक उसके शुक्राणु (स्पर्म) गर्भधारण के लिए इस्तेमाल किये जा सकते हैं और उससे स्वस्थ बच्चे पैदा हो सकते हैं’.

यह अध्ययन ‘जर्नल ऑफ़ मेडिकल एथिक्स’ में प्रकाशित हुआ है जिसमें दावा किया गया है कि ‘इंसान की मौत के बाद उसके शुक्राणुओं को स्पर्म बैंक में जमा भी किया जा सकता है’.

वैज्ञानिकों का कहना है कि मौत होने के 48 घंटे के भीतर दो तरीक़ों से शव के शुक्राणु निकाले जा सकते हैं जिनमें सर्जरी की मदद से शव के शुक्राणु निकालना शामिल है. बाद में इसे फ़्रिज में प्रिज़र्व करके रखा जा सकता है. यानि साइंस भी मानती है कि महाभारत की जिन बातों को चमत्कार माना गया, उसमें से कई घटनाएं वाकई हो सकती हैं. उन पर हैरान नहीं होना चाहिए.

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