पिता को मिला था मौसम वैज्ञानिक का तमगा, चिराग बनेंगे अब बिहार का 'ध्रुवतारा'?

3 hours ago

Last Updated:May 01, 2025, 18:32 IST

Chirag Paswan Politics: चिराग पासवान पिता रामविलास पासवान की केंद्र और बिहार की राजनीति से इतर अब एक नई लाइन खींचने का प्रयास कर रहे हैं. पिता के मौसम वैज्ञानिक वाली छवि के साथ-साथ वह अब ध्रुवतारा वाली छवि के भ...और पढ़ें

पिता को मिला था मौसम वैज्ञानिक का तमगा, चिराग बनेंगे अब बिहार का 'ध्रुवतारा'?

क्या पिता से अलग चिराग की पॉलिटिक्स होगी?

हाइलाइट्स

चिराग पासवान बिहार में ध्रुवतारा बनने की कोशिश में हैं.2024 लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर जीत से चिराग का कद बढ़ा.विधानसभा चुनाव 2025 में 40 सीटों की मांग कर रहे हैं.

पटना. बिहार चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की सियासी राह को लेकर चर्चा गर्म है. क्या उनकी किस्मत में बिहार का मुख्यमंत्री बनना है या फिर पिता की तरह ही केंद्र की राजनीति करना है? चिराग पासवान के हालिया बयानों से लगता है कि जो काम उनके पिता नहीं कर सके, वह करने के लिए बेटे में उत्सुकता हिलोरें मार रही है. चिराग का ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का नारा और विधानसभा चुनाव-2025 में 40 सीटों की मांग उनकी महत्वाकांक्षा को दर्शाती है. 2024 के लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत ने उनके कद को और मजबूत किया है. पासवान समुदाय और युवाओं में उनकी लोकप्रियता उन्हें बिहार में एक मजबूत दावेदार के तौर पर उभार रही है.

ऐसे में क्या चिराग अपने पिता रामविलास पासवान की तरह ‘मौसम वैज्ञानिक’ बनेंगे, जो गठबंधन की हवाओं को भांपकर सही समय पर फैसले लेते थे? या फिर चिराग पासवान बिहार की राजनीति में उस ध्रुवतारा की तरह उगते रहेंगे, जो आकाश में उत्तर दिशा में हमेशा के लिए विराजमान रहता है?  चिराग का 2020 में जेडीयू के खिलाफ बगावत और 2024 में बीजेपी के साथ गठजोड़ रणनीतिक चतुराई का सबूत है? चिराग चतुर हैं, लेकिन बिहार में नीतीश कुमार और बीजेपी के साथ सीट बंटवारे की जटिलता उनकी सबसे बड़ी चुनौती है. उनके हालिया बयान गठबंधन में सौदेबाजी का हिस्सा प्रतीत होते हैं. चिराग की उम्र और ऊर्जा उन्हें लंबी रेस का घोड़ा बनाती है, लेकिन उनकी किस्मत इस बात पर निर्भर करेगी कि वह गठबंधन की राजनीति में कितनी कुशलता से ‘मौसम’ भांपते हैं.

चिराग पासवान बनेंगे सीएम या करेंगे केंद्र की राजनीति?
चिराग पासवान ने एक बार फिर से अपना बिहार प्रेम जाहिर किया है. कुछ दिन पहले भी एक टीवी चैनल के इंटरव्यू के दौरान उनका यह प्रेम जागा था. अब मोदी सरकार के जाति जनगणना कराने के फैसले के बाद एक बार फिर से उनका बिहार प्रेम जागा है. चिराग पासवान ने कहा कि पीएम मोदी की मजबूत इच्छाशक्ति का परिणाम है कि अब पूरे देश में जाति जनगणना होने जा रही है. ‘उनका राजनीति में आना बिहार और बिहारी ही एकमात्र कारण है. मेरे पिता की केंद्र की राजनीति में रुचि थी, लेकिन मेरी सोच उनसे अलग है. मैं बिहार में रहकर यहां के विकास के लिए काम करना चाहता हूं.’

2015 और 2020 में बिहार प्रेम क्यों नहीं जागा था?
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि चिराग पासवान ने ये बातें उस समय क्यों नहीं कहीं, जब उनके पिता केंद्र की राजनीति में थे और वह जमुई सुरक्षित सीट से एक बार नहीं, दो-दो बार जीतकर लोकसभा सांसद चुने गए. इस दौरान बिहार में दो विधानसभा चुनाव हुए. उनको चुनाव लड़ने से कौन रोक रहा था? चिराग पासवान चाहते तो साल 2015 और 2020 का विधानसभा चुनाव भी लड़कर बिहार प्रेम दिखा सकते थे. चिराग को किसने रोका था?

जानकारों की राय में चिराग का बार-बार बिहार प्रेम जाहिर करना उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है. चिराग अपनी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को बिहार में एक मजबूत क्षेत्रीय ताकत के रूप में स्थापित करना चाहते हैं. खासकर पासवान समुदाय और युवाओं में पैठ बनाना चाह रहे हैं. बिहार प्रेम के जरिए वह एनडीए के भीतर अपनी प्रासंगिकता को बढ़ाना चाहते हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल की, जिससे उनका कद बढ़ा है. अब वह विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं. जबकि, बीजेपी और जेडीयू उन्हें 10-15 सीटें देने की तैयारी में है.

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Patna,Patna,Bihar

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