मथुरा-काशी के आंदोलन में शामिल हो सकते हैं स्वंयसेवक, RSS ने का स्टैंड क्लियर

1 day ago

Last Updated:April 01, 2025, 12:17 IST

आरएसएस ने मथुरा और काशी के आंदोलन में संघ कार्यकर्ताओं की भागीदारी पर सहमति जताई है. महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि अगर मथुरा और काशी के आंदोलन में कार्यकर्ता शामिल होते हैं तो संघ को इससे आपत्ति नहीं.

मथुरा-काशी के आंदोलन में शामिल हो सकते हैं स्वंयसेवक, RSS ने का स्टैंड क्लियर

आरएसएस का मथुरा-काशी पर स्टैंड साफ, महासचिव दत्तात्रेय होसबले का बयान

अयोध्या स्थित राम मंदिर के निर्माण में आरएसएस यानी संघ ने बड़ी भूमिका निभाई है. अब आरएसएस की नजर मथुरा और काशी पर है. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर और काशी में ज्ञानवापी विवाद पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ का स्टैंड साफ हो गया है. आरएसएस यानी संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने साफ किया कि अगर मथुरा और काशी के आंदोलन में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के कार्यकर्ता शामिल होते हैं तो संघ को कोई आपत्ति नहीं है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, आरएसएस यानी संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद को लेकर आंदोलनों में अगर संघ के कार्यकर्ता शामिल होते हैं, तो आरएसएस को कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि, उन्होंने सभी मस्जिदों को बड़े पैमाने पर फिर से वापस लेने के प्रयासों के प्रति आगाह किया. उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक झगड़ा बढ़ेगा. उन्होंने सामाजिक कलह से बचने की जरूरत पर जोर दिया.

अयोध्या के बाद अब मथुरा और काशी
आरएसएस के कन्नड़ मुखपत्र ‘विक्रम’ से बातचीत में दत्तात्रेय होसबले ने कहा, ‘उस समय (1984 में) विश्व हिंदू परिषद, संतों और महात्माओं ने तीन मंदिरों (अयोध्या, मथुरा और काशी) की बात कही थी. अगर हमारे स्वयंसेवकों का एक वर्ग इन तीन मंदिरों (अयोध्या में राम जन्मभूमि सहित) से जुड़े किसी आंदोल में शामिल होना चाहता है, तो हम उन्हें नहीं रोकेंगे.’

दत्तात्रेय ने किस बात पर चिंता जाहिर की?
दत्तात्रेय होसबले ने गौ हत्या, लव जिहाद और धर्मांतरण जैसी चिंताओं को स्वीकार किया. उन्होंने अस्पृश्यता यानी छुआछूत को खत्म करने, युवाओं में संस्कृति के संरक्षण और देशी भाषाओं की सुरक्षा जैसे समकालीन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया. भाषा नीति पर होसबाले ने त्रिभाषी दृष्टिकोण का समर्थन किया और इसे 95% भाषाई विवादों का समाधान बताया. उन्होंने भारतीय भाषाओं के संरक्षण और उनमें शिक्षित लोगों के लिए आर्थिक अवसर सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया.

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Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

April 01, 2025, 12:03 IST

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