Last Updated:April 20, 2025, 14:15 IST
Maharashtra Politics News: राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच सुलह की खबरें महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती हैं. अगर दोनों मिलते हैं तो बीजेपी और शिंदे गुट के लिए आने वाले दिनों में कौन-कौन सी चुनौती ...और पढ़ें

महाराष्ट्र में कुछ बड़ा होने वाला है?
हाइलाइट्स
राज और उद्धव ठाकरे की सुलह से महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव संभव.बीजेपी और शिंदे गुट के लिए उद्धव-राज गठबंधन चुनौती बन सकता है.मराठी वोटों का ध्रुवीकरण उद्धव-राज गठबंधन के पक्ष में हो सकता है.मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति 19 साल के बाद एक बार फिर से नई करवट ले सकती है. शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे के दो वारिसों के बीच सुलह की खबरें आ रही हैं. अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच सुलह होती है, तो महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव से इंकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि, शिवसेना (उद्धव) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आए हैं. बता दें कि पिछले कुछ सालों से राज्य की राजनीति में काफी उथल-पुथल मच रही है. शिवसेना का एक गुट शरद पवार की पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी गठबंधन में है, तो दूसरा गुट बीजेपी के साथ महायुति गठबंधन में है. ऐसे में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अगर हाथ मिलाते हैं, तो महाराष्ट्र की राजनीति में अगले कुछ दिनों में तूफान आ सकता है.
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने का राजनीतिक प्रभाव कई कारकों पर निर्भर करेगा. जैसे कि यह गठबंधन कितना मजबूत होगा, दोनों नेताओं के बीच तालमेल कैसा रहेगा? साथ ही शिवसेना के कैडर इसको किस रूप में लेंगे? उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अगर मराठी मानुस और हिंदुत्व के मुद्दों पर एक साथ आते हैं, तो क्या यह मजबूत क्षेत्रीय ताकत बन सकता है? दोनों नेताओं का मराठी अस्मिता और महाराष्ट्र के हितों पर जोर उन्हें एक साझा मंच प्रदान करता है. इस गठबंधन से शिवसेना उद्धव गुट का पारंपरिक वोट बैंक, जो 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद बंट गया था, फिर से मजबूत हो सकता है?
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे में होगी सुलह?
मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) का पहले से ही दबदबा रहा है. अगर राज ठाकरे का मनसे साथ आता है, तो यह गठबंधन बीजेपी और शिंदे गुट के लिए गंभीर चुनौती पेश कर सकता है. बीजेपी ने हाल के वर्षों में मुंबई में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, लेकिन उद्धव-राज गठबंधन इस रणनीति को कमजोर कर सकता है, क्योंकि मराठी वोटों का ध्रुवीकरण उनके पक्ष में हो सकता है. दोनों नेता मराठी अस्मिता और हिंदुत्व के मुद्दों पर मुखर रहे हैं. यह गठबंधन इन मुद्दों को और आक्रामक तरीके से उठा सकता है, जिससे बीजेपी और शिंदे गुट के लिए अपने हिंदुत्ववादी और मराठी वोट बैंक को बचाए रखना मुश्किल हो सकता है.
क्या महाराष्ट्र की राजनीति बदल जाएगी?
बता दें कि बीजेपी ने 2024 के विधानसभा चुनाव में 132 सीटें जीतकर महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत की थी, लेकिन यह जीत शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी के सहयोग से थी. उद्धव-राज गठबंधन बीजेपी के मराठी और हिंदुत्ववादी वोटों में सेंध लगा सकता है, खासकर मुंबई और ठाणे जैसे क्षेत्रों में, जहां मनसे का प्रभाव है. बीजेपी पहले ही मनसे को समर्थन देने में असफल रही है, जैसा कि 2024 में राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे की हार से स्पष्ट है. यह गठबंधन बीजेपी के लिए एक नई चुनौती बन सकता है.
बीएमसी और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों में उद्धव-राज गठबंधन शिंदे गुट और बीजेपी को तगड़ा झटका दे सकता है, क्योंकि मराठी वोटों का एकीकरण और शहरी क्षेत्रों में मनसे की मौजूदगी उनके पक्ष में काम कर सकती है. हालांकि, विधानसभा या लोकसभा चुनावों में प्रभाव सीमित हो सकता है, क्योंकि बीजेपी की संगठनात्मक ताकत और शिंदे गुट का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव अभी भी मजबूत है. उद्धव ठाकरे के महाविकास अघाड़ी के साथ गठबंधन और राज ठाकरे की इन दलों के प्रति नापसंदगी इस सुलह को कमजोर कर सकती है, जिसका फायदा बीजेपी और शिंदे गुट को मिल सकता है. राज और उद्धव के बीच लंबे समय से व्यक्तिगत और राजनीतिक मतभेद रहे हैं. 2006 में राज ने शिवसेना छोड़कर मनसे बनाई थी और तब से दोनों के बीच तनाव रहा है. ऐसे में इस सुलह को टिकाऊ बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा.
Location :
Mumbai,Maharashtra
First Published :
April 20, 2025, 14:15 IST
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