कोझिकोड: अंबलक्कंडी फईसाल और शफिना के बेटे का नाम अलु इशान है. अलु, मणल वयल ए.के.टी.एम. स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ता है. एक बार, अलु की साइकिल खराब हो गई, तो उसके माता-पिता ने नई साइकिल दिलाने के लिए शर्त रखी कि उसे सौ देशों के नाम याद करने होंगे. अलु ने साइकिल चैलेंज को स्वीकार करते हुए कुछ ही दिनों में कई देशों के झंडों को पहचान लिया. उसने मोबाइल फोन और लैपटॉप का उपयोग करके इन देशों के झंडों की पहचान की.
साइकिल चैलेंज के साथ अलु की यात्रा
विभिन्न देशों के झंडों के प्रिंट निकालकर उसने उन्हें पढ़ाई के लिए इस्तेमाल किया. करीब दस दिनों में इस सात वर्षीय बालक ने लगभग 120 देशों के नाम और झंडों को पहचान लिया. अलु की इस उपलब्धि ने उसके माता-पिता और शिक्षकों को भी चकित कर दिया. अपने बेटे की इस काबिलियत को देख, माता-पिता ने उसे और अधिक प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया.
अलु का असाधारण स्मरणशक्ति और ज्ञान की इच्छा
अलु की तेज स्मरणशक्ति और सीखने की उत्सुकता ने सभी को प्रभावित कर दिया. वह विभिन्न देशों के झंडों को इतनी जल्दी याद कर लेता था कि हर कोई हैरान रह जाता. नई साइकिल के लिए माता-पिता द्वारा दिए गए इस चैलेंज ने उसे झंडों में महारथ हासिल करने की दिशा में प्रेरित किया. कुछ ही दिनों में, इशान ने दृढ़ता के साथ इस चुनौती को पूरा किया और झंडों के ज्ञान में निपुणता हासिल की, जिसने सभी को चकित कर दिया.
अध्ययन साधनों से सीखने का सफर
अलु ने मोबाइल फोन, लैपटॉप, फ्लैश कार्ड और शैक्षणिक वीडियो जैसे अध्ययन साधनों का सहारा लेकर झंडों के बारे में सीखा. अलु के शिक्षकों ने उसकी अद्भुत प्रतिभा को पहचाना और उसे विभिन्न शैक्षणिक प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. अलु की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि एक साधारण चुनौती भी असाधारण उपलब्धियों तक ले जा सकती है और सही मार्गदर्शन और समर्थन से बच्चे अविश्वसनीय कार्य कर सकते हैं.
Tags: Ajab ajab news, Kerala, Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
October 26, 2024, 14:12 IST