मिग 29 इंटरसेप्टर का खौफ बरकरार, जमीन और समंदर में पाक फौज पर लगा दी ब्रेक

1 day ago

Last Updated:May 30, 2025, 14:31 IST

MiG 29 INTERCEPTOR: एयर फोर्स और नेवी के फाइटर जेट भी एक दूसरे से अलग होते है तो इन्हें उड़ाने वाले पायलट भी अलग ही होते हैं. एयरक्राफ्ट कैरियर पर फाइटर कभी लैंड होने के लिए नहीं आता. उसकी रफ्तार उस वक्त उतनी ...और पढ़ें

मिग 29 इंटरसेप्टर का खौफ बरकरार, जमीन और समंदर में पाक फौज पर लगा दी ब्रेक

भारतीय मिग 29 बना पाक के लिए मुसीबत

हाइलाइट्स

मिग 29 ने ऑपरेशन सिंदूर में पाक नेवी को रोका.मिग 29K भारतीय नौसेना की ताकत है.मिग 29 एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड मिसाइल फायर कर सकता है.

MiG 29 INTERCEPTOR: ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने अपनी ताकत दिखाई. लेकिन एक एयरक्राफ्ट जो हर जगह नजर आया, वह था मिग 29. प्रधानमंत्री के अदमपुर एयर बेस दौरे के दौरान भी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के INS विक्रांत पर जाने के समय भी. यह रूस निर्मित मिग 29 और उसका मरीन वर्जन मिग 29K है. भारतीय वायुसेना और नौसेना की ताकत में इसका बड़ा योगदान है. नौसेना का मिग 29K समंदर में पाकिस्तानी एयरक्राफ्ट को फटकने तक नहीं देता. वायुसेना का मिग 29 क्लोज प्रोटेक्शन और इंटरसेप्टर के लिए माहिर माना जाता है.

मिग 29 से है पाक को डर
भारतीय वायुसेना के मिग 29 को 1987 में शामिल किया गया था. मिग 29 एक इंटरसेप्टर है, जो एयर कॉम्बेट में दुश्मन के विमानों को इंटरसेप्ट करने में माहिर है. इसे हाल ही में नई तकनीक से अपग्रेड किया गया है. मिग 29 अब लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है और एयर टू एयर रीफ्यूलिंग कर सकता है. इसकी रफ्तार 2.25 मैक यानी लगभग 2,400 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह एयर टू एयर और एयर टू ग्राउंड मिसाइल फायर कर सकता है. कारगिल की जंग में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था. उरी और पुलवामा के बाद की गई सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक में भी इसका उपयोग हुआ था. ऑपरेशन सिंदूर में भी मिग 29 ने अपना जलवा दिखाया.

पाक नेवी का खौफ है मिग 29K
नौसेना का मिग 29K भी बेहद खास और खतरनाक है. जब भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर अरब सागर में डिप्लॉय होता है, तब पाक के दिलों की धड़कनें बढ़ जाती हैं. वजह है कि पाक के पास ना तो कोई एयरक्राफ्ट कैरियर है और ना ही पाक नेवी के पास कोई फाइटर एयरक्राफ्ट. ऑपरेशन सिंदूर में कैरियर बैटल ग्रुप और मिग 29K ने पाक की नेवी को उनके घर में ही बंद कर दिया. मिग 29K का एक स्क्वॉड्रन गोवा के INS हंसा पर स्थापित है. जनवरी 2004 में 16 मिग 29K खरीद का करार रूस के साथ हुआ था. उसके बाद 29 अतिरिक्त मिग 29K की खरीद की गई. दो इंजन वाला यह फाइटर आवाज की रफ्तार से दोगुनी रफ्तार से उड़ान भर सकता है. 65,000 फीट तक यह उड़ान भरने की क्षमता है. एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की के चलते यह लंबी दूरी तक आसानी से अपने ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. इससे एयर टू सर्फेस, एयर टू एयर, बॉम, रॉकेट और गन फायर भी की जा सकती है. फिलहाल मिग 29K भारत के दो एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से ऑपरेट कर रहा है. भारत ने अभी INS विक्रांत से ऑपरेट करने के लिए फ्रांस के राफेल M की खरीद की डील साइन की है.

नेवी और एयरफोर्स के जेट होते हैं अलग
क्या भारतीय वायुसेना के मिग 29 एयरक्राफ्ट कैरियर पर लैंड कर सकते हैं? इसका जवाब है नहीं. क्योंकि नौसेना के फाइटर जेट एयरफोर्स के फाइटर जेट से काफी अलग होते हैं. एयरफोर्स के पास टेकऑफ के लिए पर्याप्त 3 किलोमीटर तक का रनवे होता है, लेकिन नेवी के पास सिर्फ एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक का रनवे होता है. इसी पर उसे टेकऑफ भी करना होता है और लैंड भी. मरीन फाइटर विमानों की लाइफ रेगुलर फाइटर जेट से कम होती है. वजह है एयरक्राफ्ट कैरियर में फाइटर जेट की लैंडिंग अरेस्टेड रिकवरी से होती है, जिसमें फाइटर में लगे टेल हुक अरेस्टिंग वायर में फंसता है. यह वायर अरेस्टिंग गियर सिस्टम से जुड़ी होती है. जैसे ही हुक वायर में फंसता है, यह सिस्टम काम करने लगता है और रिवर्स घूमता है जिससे एयरक्राफ्ट की स्पीड कम हो जाती है. इससे एयरक्राफ्ट के फ्रेम पर काफी असर पड़ता है.

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