मुंबई में जब मुस्लिम युवक ने जिन्ना की हत्या की कोशिश की, इस बात से था नाराज

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जुलाई 1943 का दिन. मुहम्मद अली जिन्ना के मुंबई स्थित मालाबार हिल बंगले में एक युवक दाखिल हुआ. कुछ देर बाद ही उसने वहां मौजूद जिन्ना पर चाकू से जानलेवा हमला कर दिया. वह लाहौर से खासतौर से जिन्ना से मिलने आया था. इस बात से नाराज था कि जिन्ना आखिर क्यों इस देश का बंटवारा करना चाहते हैं. वह उनसे इसी बारे में बात करना चाहता था, जब जिन्ना ने बात करने से मना कर दिया तो वो नाराज हो गया. जिन्ना पर हमला कर दिया.

‘स्क्रोल’ में इस बारे में अजय कमलाकरन की लंबी ऐतिहासिक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जो बताती है कि जिन्ना के इस देश का बंटवारा करके पाकिस्तान बनाने की योजना से देश के बहुत से मुस्लिम और मुस्लिम संगठन नाराज थे. वो नहीं चाहते थे कि जिन्ना इस योजना पर आगे बढ़ें और देश दो हिस्सों में बंटा जाए.

कहानी घटना के दिन से कुछ हफ़्ते पहले लाहौर में शुरू होती है, जब ये युवक रफीक सबीर मोजांगवी जिन्ना की योजना ने क्षुब्ध होकर दिल्ली जाने वाली ट्रेन में सवार हुआ था. वह केवल 32 साल का था. मोजांगवी इससे पहले कई काम कर चुका था. ये भी नहीं कहा जा सकता कि उसने कोई ऐसा काम किया हो, जिससे उसे नोटिस किया जाए.

कौन था ये युवक

उसने एक इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम किया. छोटे-मोटे अपराध किए. जेल में कुछ समय बिताया. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुस्लिम लीग और अहरार पार्टी में शामिल हुआ. आखिरकार वो खाकसार आंदोलन से जुड़ गया.ये आंदोलन इस्लामी विद्वान अल्लामा इनायतुल्लाह खान मशरिकी के नेतृत्व वाला एक अर्धसैनिक समूह था. ये समूह पाकिस्तान के निर्माण का विरोध करता था. मानता था कि मुसलमान एक अखंड भारत में ही बेहतर जिंदगी जी सकते हैं.

जब मोजांगवी को जिन्ना की हत्या की कोशिश में मुंबई में पकड़ा गया तो उसने वहां पुलिस को बताया, “मैं पहले दिल्ली में रुका, क्योंकि मुझे लगा था कि जिन्ना वहां हो सकते हैं. लेकिन वो वहां नहीं थे. बाद में पता लगा कि जिन्ना शायद बॉम्बे में हैं.”

मोहम्‍मद अली जिन्‍ना के कहने पर ही ब्रिट‍िश सरकार देश के बंटवारे का बिल लेकर आई थी. (Photo-AP)

कई ट्रेन बदलते हुए बेटिकट मुंबई पहुंचा

तब उसने दिल्ली से कानपुर के लिए ट्रेन पकड़ी. वहां कुछ घंटे बिताए. वहां से मुगलसराय गया. फिर बांबे. दरअसल उसने ये पूरी यात्रा बेटिकट होकर की. इसलिए वह हर स्टेशन पर ट्रेन बदलते हुए बांबे पहुंचा. जब वह जिन्ना के मालाबार स्थिति बंगले में उनसे मिलने पहुंचा तो उससे पिछली रात ही बांबे वीटी स्टेशन पर उतरा था.”
वह रात में बाजार में घूमा, फुटपाथ पर सोया. मस्जिद में नहाया. उसका दावा था कि वह किसी भी तरह बस जिन्ना से मिलकर उनसे बात करना चाहता था. ताकि उनसे कह सके कि वो बंटवारे की योजना छोड़ दें. मुस्लिम लीग के एक सदस्य ने उसको जिन्ना के माउंट प्लीजेंट रोड स्थित बंगले का पता दिया था.

हल्ला होने पर जिन्ना वहां पहुंचे

मोजांगवी जब जिन्ना के बंगले पर पहुंचा तो सुरक्षा गार्ड वह जिन्ना से मिलना चाहता है. तब उसे जिन्ना के सचिव, ए.आई. सैयद के पास ले जाया गया, जिन्होंने उससे कहा कि उसे जो कहना है वो लिखित रूप में उसे दे दे. वह लगातार जिन्ना से मिलने की जिद पर डटा हुआ था. जब ज्यादा हल्ला होने लगा तो बगल के कमरे से उठकर जिन्ना खुद वहां आ गए और पूछा कि ये युवक क्या चाहता है.

तब उसने जिन्ना के सामने ही उनसे कहा कि उसे उनसे मिलना है. जिन्ना ने कहा, वह बहुत बिजी हैं. उनके पास समय नहीं है. वह सेक्रेट्री से समय ले ले और एक दो दिन बाद आकर मिल ले.

मोहम्मद अली जिन्ना का मुंबई में मालाबार हिल्स स्थित बंगला, जिसको उन्होंने बनवाया था, जिसके स्वामित्व के लिए अब तक विवाद चल रहा है.

तब उसने जिन्ना के जबड़े पर घूंसा मारा, चाकू निकाला

इस पर मोजांगवी क्रोधित हो गया. उसने पहले जिन्ना के जबड़े पर घूंसा मारा. फिर उन्हें चाकू मारने की कोशिश की. जिन्ना के सचिव द्वारा उसके खिलाफ पुलिस और अन्य को दी गई शिकायत में कहा गया, “जिन्ना ने युवक के हमले से बचते हुए उसके दाहिने हाथ को अपने बाएं हाथ से पकड़ लिया. ऐसा करते हुए उनके बाएं हाथ के पिछले हिस्से पर डेढ़ इंच गहरा घाव हो गया.” उन्होंने आगे लिखा, “उनके बाएं जबड़े के कोने पर भी एक छोटा सा छेद हो गया.”

जिन्ना के कर्मचारियों ने तुरंत हमला कर रहे मोजांगवी को काबू में कर लिया. पुलिस को बुला लिया. पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया. मोजांगवी ने ये घटना अलग तरीके से बताई. उसने दावा किया कि जब वह जिन्ना के सेक्रेट्री के आफिस में पहुंचा तो जिन्ना वहां आ गए. सेक्रेट्री ने उसकी ओर इशारा करके अंग्रेज़ी में कुछ कहा.

युवक का आरोप जिन्ना ने उसे गालियां दीं

मोजांगवी ने कहा, “मैं खड़ा हुआ और सलाम करके मिस्टर जिन्ना को समझाया कि मैं उनसे मिलने के लिए इतनी लंबी यात्रा करके आया हूं. उनसे मेरी बात सुनने का अनुरोध किया. मिस्टर जिन्ना ने मना कर दिया. दरवाज़े की ओर इशारा करते हुए अंग्रेज़ी में कहा, ‘गेट आउट’ या ‘वॉक आउट’. मुझे याद नहीं कि उन्होंने कौन सा मुहावरा इस्तेमाल किया. उनके शब्दों का आशय यही था कि मुझे वहां से चले जाना चाहिए. मैं अंग्रेज़ी इतनी समझता हूं कि जान सकता हूं कि क्या कहा जा रहा है.”

मोजांगवी ने कहा कि उसने जाने से इनकार कर दिया. फिर जिन्ना से मिलने का अनुरोध किया. जिन्ना “गुस्से में आ गए”. उसे गालियां दीं, “कुत्ता” और “ज़लील” कहा. दावा किया कि जिन्ना के नौकरों ने उसको कमरे से बाहर धकेलने की कोशिश की. उस पर हमला किया. “मैंने भी जवाबी कार्रवाई में मुक्कों का इस्तेमाल किया,” उसने कहा, “जिन्ना पास ही खड़े थे. संघर्ष के दौरान, मुझे अपनी जेब में रखे एक चाकू की याद आई. मैंने आत्मरक्षा में उसे निकाला. मैं नहीं बता सकता कि जिन्ना कैसे घायल हुए.”

पूछताछ के दौरान, मोजांगवी ने ज़ोर देकर कहा कि जिन्ना से मिलने का उसका मिलने का एकमात्र उद्देश्य ये था कि उनसे गुजारिश करूं कि बंटवारे का इरादा छोड़कर वह गांधीजी से बात करें.” मुस्लिम लीग या जिन्ना से व्यक्तिगत रूप से मेरी कोई ख़ास दुश्मनी नहीं है, सिवाय इसके कि मैं उनकी कुछ नीतियों से असहमत हूं.”

युवक को लगा कि जिन्ना सबके साथ अन्याय कर रहे हैं

उसने आगे कहा, उसका मानना ​​है कि जिन्ना में गांधी के साथ रचनात्मक बातचीत करने की ईमानदारी की कमी थी. “मैं इस मामले में जिन्ना के रवैये से असहमत हूं. मानता हूं कि वे मुसलमानों और कुल मिलाकर भारत के साथ अन्याय कर रहे हैं. इस मामले पर गहराई से विचार करने पर मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं जिन्ना की असली नीति आत्म-प्रशंसा है. सभी भारतीयों के पारस्परिक लाभ के लिए कुछ भी करने की उनकी कोई वास्तविक इच्छा नहीं है.”

जिन्ना ने आरोप लगाया – ये उनकी हत्या की साजिश

पुलिस रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन्ना की चोटें गंभीर नहीं थीं. उनका इलाज पेडर रोड पर डॉ. मसीना ने किया. इसके तुरंत बाद, जिन्ना ने हमले के बारे में प्रेस को बताया. रॉयटर्स से कहा, ” ये गंभीर और सुनियोजित हमला था, लेकिन मुझे कोई गंभीर चोट नहीं आई.” उन्होंने आगे कहा, “मैं अभी कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन मैं मुसलमानों से अपील करता हूं कि वे शांत और संयमित रहें, हम सब इस चमत्कारिक बचाव के लिए ईश्वर का धन्यवाद करें.”

मुंबई में सनसनी फैल गई

हत्या के कोशिश की इस खबर से बंबई के मुस्लिम इलाकों में सनसनी फैल गई. कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें तब तक बंद रखीं जब तक मुस्लिम लीग कार्यकर्ताओं ने उन्हें आश्वस्त नहीं किया कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है. खुफिया ब्यूरो ने एक गोपनीय रिपोर्ट में लिखा, “सभी समाचार पत्रों ने, जिनमें अतिवादी कांग्रेसी प्रेस भी शामिल थी, इस प्रयास की निंदा की थी.”

बम्बई पुलिस ने लाहौर में संपर्क किया. वह जानना चाहती थी कि जिन्ना पर हमला किसी गंभीर साजिश का तो नतीजा नहीं है. जिन्ना का मानना था कि ये हमला खाकसार नेता अल्लामा मशरिकी द्वारा कराया गया था.”अंग्रेज कमिश्नर कोलविले से जिन्ना ने कहा, मशरिकी बहुत ही अविवेकी और जिद्दी और हठी शख्स हैं.” जिन्ना को यही लग रहा था कि इस हमले के पीछे मशरीकी का हाथ हो सकता है.

कैसे साजिश में खाकसार आंदोलन का नाम आया

आपराधिक जांच विभाग ने जब मोजांगवी के बारे में और जानकारी इकट्ठी की तो पता लगा कि वह भारत के कई हिस्सों में रहा था, जिनमें अलीगढ़ भी शामिल था, जहां वह एक चाय की दुकान चलाता था. कलकत्ता में मई 1943 में एक चोरी के आरोप में उसकी तलाश थी. ये भी पता चला कि मोजांगवी ने कानपुर में खाकसार के धन का गबन किया था. पुलिस को हत्या के प्रयास को मशरिकी से जोड़ने वाला कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिला.

नवंबर 1943 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने मोजांगवी को पांच साल के कारावास की सज़ा सुनाई. अदालत ने पाया कि इस हमले और खाकसार आंदोलन के बीच कोई संबंध नहीं था. हालांकि 1943 के पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि उस साल खाकसार आंदोलन के सदस्यों ने जिन्ना की हत्या की एक और साजिश रची थी.जिसे नाकाम कर दिया गया. ये बात सच थी कि खाकसार कतई जिन्ना से खुश नहीं थे लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि खाकसार ने जिन्ना की हत्या की कोई साजिश रची.

खाकसार आंदोलन के प्रमुख मशरिकी ने आखिर तक भारत के विभाजन का विरोध किया. पाकिस्तान बनने के बाद वह वहां चले गए. उसके नागरिक बन गए. 1963 में अपनी मृत्यु तक वह राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे.

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