Last Updated:July 21, 2025, 13:58 IST
Mumbai Local Train Blast Case : मुंबई में 2006 में लोकल ट्रेन में 11 मिनट के अंदर 7 धमाक हुए थे. इस मामले में गिरफ्तार सभी 12 आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया. इनमें 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद मिली थी...और पढ़ें

वर्ष 2006 में मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट केस के सभी 12 आरोपियों बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया.
हाइलाइट्स
2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी.हाईकोर्ट ने इस मामले में गिरफ्तार 12 आरोपियों को बरी किया.कोर्ट ने कहा सरकारी वकील आरोप साबित करने में नाकाम रहे.मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के मामले में सोमवार को बड़ा मोड़ सामने आया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया. इनमें 5 ऐसे आरोपी भी शामिल थे जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी, जबकि शेष 7 को आजीवन कारावास मिला था. यह धमाका वर्ष 2006 में हुआ था, जिसमें 189ल लोगों की जान चली गई थी. ऐसे में कोर्ट के इस फैसले ने पीड़ित परिवारों के जख्मों को फिर से हरा कर दिया.
जस्टिस अनिल कीलोर और जस्टिस श्याम चंदक की हाईकोर्ट बेंच ने विशेष मकोका अदालत के 2015 के उस फ़ैसले को पलटते हुए कहा कि प्रॉसिक्यूशन पूरी तरह से यह साबित करने में नाकाम रहा कि इन आरोपियों ने धमाकों में कोई भूमिका निभाई थी. कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि न तो विस्फोटकों का प्रकार साबित किया गया और न ही किसी भी सबूत की कानूनी वैधता थी.
‘हमने अपना कर्तव्य निभाया’
कोर्ट ने जब फैसला सुनाया तो आरोपियों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील युग चौधरी ने इसे ‘न्यायपालिका और मानवता में विश्वास बहाल करने वाला निर्णय’ बताया. इस पर हाईकोर्ट की बेंच ने कहा, ‘हमने तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभाया है.’
19 साल की कैद, फिर सब निर्दोष!
ये सभी 12 आरोपी 19 साल से जेल में बंद थे. इनमें से एक आरोपी कमाल अंसारी की तो 2021 में जेल में ही मौत हो गई थी. उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी. अदालत ने यह भी स्वीकार किया कि जिन तथ्यों और सबूतों के आधार पर सजा दी गई थी, वे पर्याप्त और विश्वसनीय नहीं थे.
5 को सुनाई गई थी फांसी की सजा, 7 को उम्रकैद
फांसी की सजा पाए आरोपी: कमाल अंसारी (मृतक), फैसल शेख, एहतशाम सिद्दीकी, नावेद खान और आसिफ खान
आजीवन कारावास पाए आरोपी: तनवीर अंसारी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद अली, साजिद अंसारी, मुजम्मिल शेख, सुहैल शेख और जमीर शेख
अब मुंबई पुलिस के पास क्या है रास्ता?
बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र ATS के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि अब इस केस को लेकर वे क्या कदम उठाएंगे. 2006 में हुए 7 धमाकों में 189 लोगों की मौत हुई थी, और इन धमाकों ने मुंबई को हिला कर रख दिया था.
विशेषज्ञों की मानें तो अब पुलिस के पास दो ही रास्ते हैं:
सुप्रीम कोर्ट में अपील करना – अगर राज्य सरकार या जांच एजेंसियां इस निर्णय से असहमत हैं, तो वे उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती हैं.
नया जांच एंगल तलाशना – 2008 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने दावा किया था कि ये धमाके इंडियन मुजाहिदीन ने किए थे, जबकि ATS पाकिस्तान से आए आतंकियों को दोषी बता रही थी. अब इस विरोधाभासी जांच की भी समीक्षा हो सकती है.
11 मिनट में 7 ब्लास्ट से दहल गई थी मुंबई
11 जुलाई 2006 की शाम को 11 मिनट के भीतर सात धमाके मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए थे. ये धमाके चर्चगेट से बोरिवली जा रही ट्रेनों के फर्स्ट क्लास डिब्बों में हुए. RDX और अमोनियम नाइट्रेट से बने बमों ने मुंबई की रफ्तार रोक दी थी.
इन सिलसिलेवार धमाकों में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक घायल हो गए थे. यह हमला भारत के सबसे भीषण आतंकी हमलों में गिना जाता है.
हाईकोर्ट के फैसले के बाद सवाल ये भी है कि 19 साल तक निर्दोष लोगों को जेल में किस आधार पर रखा गया, और इस पूरे मामले की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या जांच एजेंसियों की लापरवाही से न्याय में देरी हुई? क्या असली दोषी अब भी बाहर घूम रहे हैं?
बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला ना सिर्फ भारत के सबसे बड़े आतंकी मामलों में एक मोड़ है, बल्कि जांच एजेंसियों की जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
और पढ़ें
Location :
Mumbai,Maharashtra