मेहुल चोकसी प्रत्यर्पण मंजूर, पर आर्थर रोड तक सफर अब भी मुश्किल, जानें कैसे

10 hours ago

Last Updated:October 17, 2025, 23:47 IST

Mehul Choksi : मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण पर एंटवर्प कोर्ट ने दी मंजूरी. भारत को बड़ी जीत लेकिन कानूनी राह लंबी. अब अपील, मंत्री की समीक्षा और प्रशासनिक चुनौती बाकी. इस खबर में पढ़िए मेहुल चोकसी को भारत लाने की प्रकिया के बारे में.

मेहुल चोकसी प्रत्यर्पण मंजूर, पर आर्थर रोड तक सफर अब भी मुश्किल, जानें कैसेकोर्ट के फैसले से मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चमकी है, पर अभी अंतिम कानूनी पॉलिशिंग बाकी है.

नई दिल्ली: पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के ₹13,500 करोड़ घोटाले के आरोपी हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण मामले में भारत को बड़ी कानूनी जीत मिली है. बेल्जियम की एंटवर्प कोर्ट ने चोकसी को भारत भेजने के फैसले को मंजूरी दे दी है. यह फैसला भारत के लिए कूटनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

हालांकि इस जीत के बावजूद भारत की राह अभी लंबी और कानूनी मोड़ों से भरी है. बेल्जियम की न्यायिक व्यवस्था में कई स्तरों की अपील का विकल्प होता है, और चोकसी की कानूनी टीम हर स्तर पर इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी में है. यानी, अभी “फाइनल डेस्टिनेशन” मुंबई की आर्थर रोड जेल (बैरेक नं. 12) तक का सफर बाकी है.

पहला चरण: अदालतों में अपील की जंग शुरू
एंटवर्प कोर्ट का फैसला बेल्जियम की निचली अदालत का है. इससे प्रत्यर्पण प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू हुई. अब चोकसी की कानूनी टीम इस आदेश के खिलाफ कोर्ट ऑफ अपील (उच्च न्यायालय) में अपील करेगी. वकीलों का तर्क रहेगा कि उनका प्रत्यर्पण मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा. विशेष रूप से यूरोपीय मानवाधिकार कन्वेंशन के अनुच्छेद 3 के तहत, जो अमानवीय व्यवहार या यातना पर रोक लगाता है.

हालांकि भारत सरकार ने पहले से ही बेल्जियम को “सॉवरेन एश्योरेंस” दी है कि मुंबई की आर्थर रोड जेल में चोकसी को तीन वर्गमीटर का निजी स्थान, मेडिकल केयर और सुरक्षा दी जाएगी.

अगर कोर्ट ऑफ अपील भारत के पक्ष में फैसला देती है, तो चोकसी के पास एक और विकल्प होगा कोर्ट ऑफ कैसाशन (बेल्जियम का सर्वोच्च न्यायालय). यह अदालत तथ्यों की नहीं, बल्कि कानून के सही इस्तेमाल की जांच करती है. इससे प्रक्रिया और लंबी हो सकती है.

दूसरा चरण: मंत्री की मुहर होगी निर्णायक
बेल्जियम की न्यायिक प्रक्रिया में अदालत का फैसला केवल सलाहकारी होता है. अंतिम निर्णय न्याय मंत्री (Minister of Justice) के पास होता है. अगर अदालतें प्रत्यर्पण को सही ठहराती हैं, तो मंत्री को यह देखना होता है कि यह फैसला बेल्जियम के नीति, कूटनीतिक रिश्तों और मानवाधिकार मानकों के अनुरूप है या नहीं. भारत की ओर से दी गई गारंटी और मानवीय शर्तें इसी मंत्री-स्तरीय समीक्षा में अहम भूमिका निभाएंगी.

तीसरा चरण: प्रशासनिक चुनौती का आखिरी रास्ता
मंत्री के हस्ताक्षर के बाद भी मामला खत्म नहीं होता. चोकसी के पास एक और विकल्प है काउंसिल ऑफ स्टेट (बेल्जियम की सर्वोच्च प्रशासनिक अदालत) में अपील करने का. यह अपील कानूनी प्रक्रिया की खामियों या शक्ति के दुरुपयोग के आधार पर होती है. यह अदालत मुकदमे के तथ्यों की जांच नहीं करती. लेकिन प्रत्यर्पण को अस्थायी रूप से रोक सकती है. इससे भारत वापसी और भी टल सकती है.

अभी मंजिल दूर, पर उम्मीद कायम
यानी, एंटवर्प कोर्ट का यह फैसला भारत के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त जरूर है, लेकिन कानूनी जंग अभी जारी रहेगी. चोकसी की रणनीति अब हर कानूनी पायदान पर समय खींचने की होगी, जबकि भारत के लिए यह “लंबा लेकिन तयशुदा रास्ता” बन गया है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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First Published :

October 17, 2025, 23:47 IST

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