यह राष्ट्रीय शर्म है! एसिड अटैक केस 2009 से लटका, सुनते ही चढ़ा सीजेआई का पारा

44 minutes ago

Last Updated:December 04, 2025, 16:02 IST

यह राष्ट्रीय शर्म है! एसिड अटैक केस 2009 से लटका, सुनते ही चढ़ा सीजेआई का पारादिल्ली पुलिस और कोर्ट की सुस्त चाल पर सुप्रीम कोर्ट सन्न, कहा- अगर राजधानी फेल है तो कौन पास होगा? (File Photo)

नई दिल्ली: ‘राजधानी दिल्ली में न्याय का यह हाल है तो बाकी देश का भगवान ही मालिक है.’ सुप्रीम कोर्ट ने एक एसिड अटैक मामले में 16 साल की देरी पर जो कहा है, वह पूरे सिस्टम को शर्मिंदा करने के लिए काफी है. साल 2009 का एक केस अब तक रोहिणी कोर्ट में अटका पड़ा है. यह जानकारी मिलते ही चीफ जस्टिस सूर्य कांत का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने भरी अदालत में इसे ‘सिस्टम का मजाक’ और ‘राष्ट्रीय शर्म’ करार दिया है. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर देश की राजधानी ऐसे संवेदनशील मामलों को नहीं संभाल सकती, तो फिर कौन संभालेगा? कोर्ट ने अब खुद कमान संभाल ली है.

राजधानी दिल्ली का यह हाल है तो बाकी देश का क्या होगा?

मामला शाहीन मलिक बनाम भारत संघ का था. पीड़िता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 2009 में उन पर हमला हुआ था. एफआईआर दर्ज हुए 16 साल बीत चुके हैं. लेकिन रोहिणी कोर्ट में क्रिमिनल ट्रायल अब तक पेंडिंग है. यह सुनते ही बेंच सन्न रह गई. सीजेआई ने पूछा कि क्या अभी तक ट्रायल ही चल रहा है? जब जवाब ‘हां’ में मिला तो जज हैरान रह गए. उन्होंने कहा कि इतनी लंबी देरी एक शर्मनाक स्थिति है. कोर्ट ने वकील से कहा कि वे तुरंत एक अर्जी दाखिल करें. कोर्ट इस मामले में अब ‘सुओ मोटो’ (Suo Motu) संज्ञान लेगा.

तेजाब फेंकना पुराना, अब पिलाने का नया खौफनाक ट्रेंड

सुनवाई के दौरान वकील ने एक रोंगटे खड़े करने वाली हकीकत बताई. उन्होंने कहा कि मामला सिर्फ तेजाब फेंकने तक सीमित नहीं है. अब दरिंदे महिलाओं को जबरन तेजाब पिला रहे हैं. वकील ने कोर्ट को बताया कि कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें एसिड पिलाया गया. इससे उनका शरीर अंदर से गल जाता है. वे नॉर्मल खाना नहीं खा सकतीं. उन्हें फूड पाइप के जरिए जिंदा रहना पड़ता है. यह दर्दनाक बात सुनकर कोर्ट का माहौल गमगीन हो गया. सीजेआई ने माना कि ऐसे हालात में देरी करना अपराध से कम नहीं है.

आरोपियों पर कोई दया नहीं, सरकार को दिया बड़ा अल्टीमेटम

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी कोर्ट की चिंता से सहमत दिखे. उन्होंने कहा कि ऐसे अपराधियों के साथ पूरी सख्ती होनी चाहिए. कोई भी एजेंसी इसका विरोध नहीं कर सकती. सीजेआई कांत ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि सरकार को तुरंत कुछ करना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि एसिड अटैक विक्टिम्स को भी ‘विकलांग’ (Disabled) की परिभाषा में शामिल किया जाना चाहिए. इसके लिए सरकार अध्यादेश ला सकती है. कोर्ट ने साफ कहा कि यह सिस्टम का मजाक है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

पूरे देश से मांगी रिपोर्ट, अब नहीं बचेंगे लापरवाह अफसर

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं रखा. कोर्ट ने पूरे देश के हाई कोर्ट्स के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने आदेश दिया है कि देश भर में एसिड अटैक से जुड़े जितने भी मामले पेंडिंग हैं, उनकी पूरी डिटेल दी जाए. कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर इंसाफ में इतनी देरी क्यों हो रही है. अगले हफ्ते इस मामले की फिर से सुनवाई होगी. माना जा रहा है कि कोर्ट जल्द ही कोई सख्त गाइडलाइन जारी कर सकता है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

December 04, 2025, 16:02 IST

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