Last Updated:May 13, 2025, 16:35 IST
Trade War : अमेरिका ने टैरिफ लगाकर पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर छेड़ दिया है. इसके असर से भारतयी कारोबार और व्यापारियों को बचाने के लिए सरकार बड़ी संख्या में समझौते कर रही है. अभी तक 9 देशों से समझौते किए जा चुक...और पढ़ें

भारत ने दिसंबर तक 10 देशों के साथ ट्रेड डील करने की योजना बनाई है.
हाइलाइट्स
भारत ने 9 देशों से सीमा शुल्क समझौते किए.दिसंबर तक 10 और देशों से समझौते की योजना.टैरिफ वॉर से बचने के लिए भारत की बड़ी रणनीति.नई दिल्ली. भारत सरकार मौजूदा हालात में दोहरे मोर्चे से जूझ रही है. एक तरफ पाकिस्तान के साथ सैन्य तनाव और दूसरी ओर अमेरिका की ओर से छेड़ा गया व्यापार युद्ध. पाकिस्तान के साथ लड़ाई तो समाप्त हो गई, लेकिन अमेरिका के टैरिफ वॉर का तोड़ निकालने में आज भी माथापच्ची जारी है. अब सरकार ने इससे निपटने के लिए बड़ी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. टैरिफ के झटकों से बचने के लिए सरकार एकसाथ 10 देशों के साथ सीमा शुल्क समझौता करने जा रही है.
मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि भारत ने नौ देशों के सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ पारस्परिक आधार पर एक-दूसरे को मान्यता देने के समझौते (एमआरए) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस साल दिसंबर तक 10 और देशों के साथ ऐसे समझौते करने पर विचार चल रहा है. इस समझौते के तहत व्यापार सुविधा का लाभ पारस्परिक आधार पर दिया जाता है. इसका मतलब है कि इन समझौतों का दोनों देशों को फायदा समान फायदा मिलेगा.
क्या है सरकार का प्लान
अंतरराष्ट्रीय सीमा शुल्क निदेशालय (डीआईसी) के प्रधान आयुक्त अखिल कुमार खत्री ने बताया कि पारस्परिक आधार पर एक-दूसरे को मान्यता देने के समझौते दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने में मदद करते हैं. खत्री ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के सहयोग से निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हमने नौ देशों के साथ इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं और दिसंबर तक 10 और देशों के साथ ऐसे समझौते किए जाएंगे. इसका मकसद आयात करने वाले देश के सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा माल की निकासी में दोनों देशों के मान्यता प्राप्त और विश्वसनीय निर्यातकों को पारस्परिक लाभ प्रदान करना है.
किन देशों से होगा समझौता
भारत अभी तक दक्षिण कोरिया, हांगकांग, ताइवान, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया और रूस के सीमा शुल्क विभाग के साथ ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर कर चुका है. अब दिसंबर तक युगांडा, पूर्वी अफ्रीकी समुदाय, दक्षिण अफ्रीका, जापान, बहरीन, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, बेलारूस और ब्रिक्स के साथ एमआरए समझौते करने पर नजर है.
क्या है एईओ कार्यक्रम
एईओ यानी अधिकृत आर्थिक परिचालक विश्व सीमा शुल्क संगठन (डब्ल्यूसीओ) के अंतर्गत वैश्विक व्यापार को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने का एक कार्यक्रम है. यह एक स्वैच्छिक अनुपालन कार्यक्रम है, जो भारतीय सीमा शुल्क को आयातकों, निर्यातकों, लॉजिस्टिक सेवा प्रदाताओं, संरक्षकों या टर्मिनल परिचालकों और गोदाम परिचालकों सहित अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति श्रृंखला के प्रमुख पक्षों के साथ बेहतर सहयोग के माध्यम से कार्गो सुरक्षा को बढ़ाने और सुव्यवस्थित करने में सक्षम बनाता है. साल 2011 में भारत में शुरू किया गया एईओ कार्यक्रम सीमा शुल्क को सुरक्षित, अनुपालन करने वाले कंपनियों को पहचानने और उन्हें व्यापार सुविधा लाभ प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं.
इसमें टैरिफ का टंटा नहीं
एईओ कार्यक्रम के तहत दो देशों के आपसी व्यापार के लिए टैरिफ या सीमा शुल्क जैसी चीजों को शामिल नहीं किया जाता है. सरकार का मानना है कि भारत अगर ज्यादातर देशों के साथ इस तरह के समझौते करता है तो उस पर टैरिफ का पड़ने वाला असर काफी कम हो जाएगा. अभी अमेरिका के टैरिफ वॉर शुरू करने के बाद भारतीय कारोबारियों और निर्यातकों पर बुरा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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