यूक्रेन ने 1 करोड़ में तबाह किए पुतिन के 15,400,000,000 रुपये; सच हो गई सैम मानेक शॉ की बात

1 day ago

फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ कहते थे कि युद्ध में शत्रु को हराने के लिए दो मुद्दों पर महारत हासिल होनी चाहिए. पहला मुद्दा है सैन्य ऑपरेशन की बेहतरीन प्लानिंग और दूसरा मुद्दा होता है प्लानिंग के बाद ऑपरेशन को कामयाब बनाने के लिए योजना का एक ऐसा जाल जिसे दुश्मन समझ ना सके. ऐसा ही जाल यूक्रेन ने रूस के खिलाफ बिछाया और इतिहास की किताबों में इस कार्रवाई को नाम दिया जाएगा. 'ऑपरेशन स्पाइडर वेब' यूक्रेन के इस ऑपरेशन ने पुतिन को कितनी गहरी चोट पहुंचाई है, इसका अंदाजा सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियोज दे रहे हैं. 

यूक्रेन ने रूस के हवाई अड्डों पर रूसी एयरफोर्स के तुपोलेव बमवर्षकों की धज्जियां उड़ा दी हैं. वीडियो में आपको साफ-साफ नजर आएगा कि कैसे छोटे-छोटे ड्रोन गिर रहे हैं और रूस के बड़े-बड़े बमवर्षकों में आग लग रही है और ये हमला रूस-यूक्रेन बॉर्डर पर नहीं हुआ, बल्कि रूसी सरजमीं के हजारों मील अंदर किया गया है. किस तरह यूक्रेन ने रूस के सुरक्षाचक्र को भेदा ये भी आज हम आपको बताएंगे.

#DNAWithRahulSinha | '1 लखिया ड्रोन' से यूक्रेन ने रूस को चौंकाया, 'पुतिन के घर' में घुसकर..इतना बड़ा हमला कैसे?

यूक्रेन को ऐतिहासिक ऑपरेशन... यूक्रेन ने रूस पर बड़ा ड्रोन अटैक किया, रूस के 5 बड़े एयरबेस पर हमला हुआ, FPV ड्रोंस से बमवर्षक तबाह किए गए#DNA #RussiaUkraineConflictpic.twitter.com/lKtbreWd0r

— Zee News (@ZeeNews) June 2, 2025

कितना हुआ खर्च?

यूक्रेन ने इन हमलों के लिए FPV ड्रोंस का इस्तेमाल किया था, जबकि हमले का टारगेट थे रूस के तुपोलेव-95 बॉम्बर. एक छोटे FPV ड्रोन की कीमत तकरीबन 1 लाख से लेकर सवा लाख रुपए के बीच पड़ती है, जबकि एक तुपोलेव बॉम्बर की कीमत है तकरीबन 220 करोड़ रुपए है. यूक्रेन ने इस ऑपरेशन में 117 FPV ड्रोन इस्तेमाल किए, यानी हमले के लिए यूक्रेन ने तकरीबन 1 करोड़ 20 लाख रुपए खर्च किए. रूस ने खुद कबूला है कि उसके 7 बमवर्षक तबाह हो गए हैं. यानी रूस को 1540 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

रूस का घमंड चूर

इसी साल फरवरी के महीने में पुतिन ने कहा था कि रूस के तुपोलेव बमवर्षक यूरोप तक को निशाना बना सकते हैं लेकिन 3 महीनों के अंदर यूक्रेन के इस सैन्य ऑपरेशन ने तुपोलेव पर पुतिन के घमंड को चूर-चूर कर दिया है. सिर्फ पुतिन का गुरूर ही नहीं टूटा बल्कि यूक्रेन की ड्रोन कार्रवाई ने रूसी फौज और इंटेलिजेंस की क्षमताओं पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं.

4000 किलोमीटर अंदर घुसा यूक्रेन

यूक्रेन ने रूस के चार बड़े एयरबेस पर ड्रोन अटैक किए थे, जिसमें पहला था ओलेन्या एयरबेस जो यूक्रेन की सीमा से 1800 किलोमीटर दूर मौजूद है. दूसरा है इवानावो एयरबेस, यूक्रेन की सीमा से इस टारगेट की दूरी 1 हजार किलोमीटर है. टारगेट किए गए तीसरे एयरबेस का नाम है डिगिलेव जो यूक्रेनी बॉर्डर से 500 किलोमीटर दूर मौजूद है और चौथे एयरबेस का नाम है बेलाया, जो यूक्रेनी बॉर्डर से चार हजार तीन सौ किलोमीटर दूर है.

पिछले तीन सालों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में सैकड़ों मौकों पर ड्रोंस का इस्तेमाल किया गया है लेकिन ये पहली बार था जब कोई ड्रोन 4 हजार किलोमीटर दूर तक चला गया हो. अब आपके अंदर भी सवाल उठ रहा होगा कि यूक्रेन के ड्रोन 4 हजार किलोमीटर दूर चले गए और रूस के एयर डिफेंस या राडार को खबर भी नहीं लगी. ऐसा कैसे संभव है. इस सवाल का जवाब है एक बेहतरीन इंटेलिजेंस ऑपरेशन, जिसकी पूरी डिटेल अब हम आपको दिखाने जा रहे हैं.

यूक्रेन की इंटेलिजेंस एजेंसी ने डेढ़ साल पहले ये ऑपरेशन शुरु किया था. इस ऑपरेशन में पहले यूक्रेन से कुछ कंटेनर ट्रक चोरी छिप्पे रूस के अंदर घुसाए गए थे. इन ट्रकों पर लदे कंटेनर्स के अंदर हमले में इस्तेमाल किए गए ड्रोंस छिपाए गए थे. लंबे वक्त तक छिपते-छिपाते ये ट्रक रूस के बड़े हवाई अड्डों तक पहुंचे और फिर एक साथ सभी कंटेनर से ड्रोन दागे गए जो रूस के हवाई अड्डों और बमवर्षकों पर जा गिरे.

AI से लैस थे ड्रोन

यूक्रेन के हमलों के बाद कुछ सामरिक विशेषज्ञ ये दावा भी कर रहे हैं कि हमलों में जिन ड्रोंस का इस्तेमाल किया गया वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस थे, इस दावे के साथ एक वीडियो शेयर किया जा रहा है. जिसमें यूक्रेनी ड्रोन पहले तुपोलेव बमवर्षक पर लगातार नजर बनाए रखता है और फिर उस विमान पर जाकर ड्रोन गिरता है. कैसे इन छोटे ड्रोंस को AI से लैस किया गया, ये भी इस इंटेलिजेंस ऑपरेशन का बड़ा ही दिलचस्प हिस्सा है, जिसे देखना आपके लिए बेहद जरूरी है.

दरअसल सोवियत संघ के विघटन के बाद यूक्रेन के पास भी पुराने तुपोलेव बमवर्षक थे. पुराने होने की वजह से ये विमान सैन्य कार्रवाई को अंजाम नहीं दे सकते थे. इसी वजह से इन विमानों को पोलतावा के एविएशन म्यूजियम में रखा गया था. दावा किया जा रहा है कि यूक्रेनी सेना ने इन्हीं पुराने बमवर्षकों के डिजाइन अपने ड्रोंस के डाटा में फीड किए. जिसके बाद ड्रोन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने पुरानी तस्वीरों और  हवाई अड्डों पर खड़े विमानों की तस्वीरों का मिलान किया. जो विमान तुपोलेव बॉम्बर के डिजाइन से मैच हुए, उन्हें तबाह कर दिया गया.

यूक्रेन की फौज ने इस ऑपरेशन में फील्ड मार्शल सैम मानेक शॉ की उस रणनीति का भी इस्तेमाल किया. जिसके बारे में हमने पहले जिक्र किया था कि ये रणनीति है डिसेप्शन यानी दुश्मन को धोखा देना.

रूसी हवाई अड्डों से पर हमले से पहले 20 मई को यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क इलाके में बड़ा ड्रोन अटैक किया था, ये हमला उस वक्त हुआ था जब रूस के राष्ट्रपति पुतिन कुर्स्क में मौजूद थे, 29 मई को भी यूक्रेन की तरफ से मॉस्को पर एक बड़ा ड्रोन हमला करने की कोशिश की गई थी. जिसकी वजह से रूस को लगा कि यूक्रेन का मकसद रूसी लीडरशिप और फौजी जनरलों को निशाना बनाना है.

रूस का पूरा एयर डिफेंस और इंटेलिजेंस अपने महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा में व्यस्त हो गया और इसी लापरवाही ने यूक्रेन को वो मौका दिया जिससे रूस के बमवर्षकों को तबाह करके रूसी एयरफोर्स को बड़ा नुकसान पहुंचाया गया है. यूक्रेन के इस ऑपरेशन को इतिहास में जरूर पढ़ाया जाएगा. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसके लिए आपको दो साल के अंदर दुनिया के दो सबसे बड़े जासूसी अभियानों को देखना चाहिए.

यूक्रेनी इंटेलिजेंस का ये ड्रोन ऑपरेशन बहुत हद तक इजरायल के उस पेजर ऑपरेशन जैसा है जिसे इजरायल ने हिज्बुल्ला के खिलाफ इस्तेमाल किया था, अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको दोनों ऑपरेशंस की समानताएं साफ-साफ नजर आएंगी.

इजरायल ने 5 साल पहले वो कंपनी बनाई थी कि जिसने पेजर के अंदर विस्फोटक लगाए थे, इसी तरह यूक्रेन ने भी ऑपरेशन के लिए डेढ़ साल पहले ही ड्रोन वाले ट्रक रूस के अंदर पहुंचा दिए थे. जब इजरायल को लगा कि हिज्बुल्ला बड़ा हमला कर सकता है तो पेजर धमाके किए गए. यूक्रेन पर रूस ने 28 मई को ही बड़ा हमला किया था, जिसके बाद रूसी हमलों की आशंका बढ़ गई थी. इसी वजह से यूक्रेन ने उन बमवर्षकों को तबाह किया जो इन हमलों में इस्तेमाल किए गए थे.

जेलेंस्की ने ऑपरेशन स्पाइडर वेब को बड़ी कामयाबी करार दिया है, लेकिन एक सच ये भी है कि रूसी बमवर्षकों पर हमला होने से रूस और यूक्रेन के बीच किसी किस्म की शांति वार्ता की संभावनाएं लगभग खत्म हो चुकी हैं. अब अगर डोनाल्ड ट्रंप भी चाहें तो पुतिन और जेलेंस्की को आसानी से बातचीत की टेबल पर नहीं ला सकते.

यहां आपके लिए ये जानना जरूरी है कि जब रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो दुनिया शोर मचाती है. पश्चिमी देश हंगामा करते हैं. रूस के खिलाफ अमेरिका जैसे देश आर्थिक प्रतिबंध लगाते हैं, लेकिन जब यूक्रेन रूस पर हमला करता है तो कोई नहीं बोलता. दुनिया चुप रहती है. अमेरिका को सांप सूंघ जाता है. पश्चिमी देश खुशी वाली चुप्पी साध लेते हैं. रूस के हमले और यूक्रेन के हमले पर दुनिया के नजरिए में ये एक बड़ा फर्क है.

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