ये मर्डर केस नहीं... कामरा ने हाईकोर्ट में दी ऐसी दलीलें, जज ने फिर दिया आदेश

1 week ago

स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा इस बार बड़े कानूनी पचड़े में फंस गए हैं. यह मामला महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर उनके एक कॉमेडी शो में की गई ‘गद्दार’ वाली टिप्पणी से जुड़ा है. कामरा ने इस मामले में उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उन्होंने ऐसी दलीलें पेश कीं कि कोर्ट को सुनवाई के लिए नोटिस जारी करना पड़ा.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस और शिवसेना विधायक मुरजी पटेल को नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों से जवाब मांगा है और 16 अप्रैल को अगली सुनवाई तय की है. हालांकि, कोर्ट का अंतिम फैसला अभी बाकी है, जिसके बाद उनकी मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं. आइए, इस मामले को विस्तार से समझते हैं…

क्या है पूरा मामला?
कुणाल कामरा ने अपने शो ‘नया भारत’ के दौरान एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए उन्हें ‘गद्दार’ कहा था. यह टिप्पणी 2022 में शिंदे की शिवसेना से बगावत और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने को लेकर थी. कामरा ने बॉलीवुड फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के गाने ‘भोली सी सूरत’ की पैरोडी बनाकर यह व्यंग्य किया था.

इस शो का वीडियो मार्च 2025 में सोशल मीडिया पर अपलोड होने के बाद वायरल हो गया, जिसके बाद शिवसेना विधायक मुरजी पटेल ने खार पुलिस स्टेशन में कामरा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. 24 मार्च को खार पुलिस ने कामरा के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 353(1)(B), 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव) और 356(2) (मानहानि) के तहत FIR दर्ज की.

कोर्ट में कुणाल कामरा ने दी क्या-क्या दलीलें?
कुणाल कामरा ने 5 अप्रैल 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर इस FIR को रद्द करने की मांग की. जस्टिस सारंग कोतवाल और एसएम मोदक की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. कामरा के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज़ सीरवाई ने कोर्ट में कई अहम दलीलें पेश कीं:

सीरवाई ने कोर्ट से कहा, ‘यह कोई मर्डर केस नहीं है, बल्कि एक स्टैंड-अप कॉमेडी शो से उत्पन्न हुआ मामला है. मेरे मुवक्किल को इस शो के बाद से जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमें उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति की बजाय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जांच में सहयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए.’

कामरा की लीगल टीम ने दावा किया कि यह टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती है. उन्होंने कहा कि यह शो सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करता है, जो संविधान के तहत संरक्षित है. सीरवाई ने कोर्ट को बताया कि कामरा को लगातार धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने कहा, ‘मेरे मुवक्किल ने तीन बार लिखित रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान देने की पेशकश की, लेकिन पुलिस उनकी शारीरिक उपस्थिति पर जोर दे रही है. यह ठीक नहीं है.’

कामरा की याचिका में कहा गया कि उनकी टिप्पणी से कोई अपराध नहीं बनता. यह एक व्यंग्य था, जिसे गलत तरीके से पेश किया गया. उन्होंने FIR को उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीविका के अधिकार का उल्लंघन बताया.

कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कुणाल कामरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई पुलिस और शिवसेना विधायक मुरजी पटेल को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने दोनों पक्षों को निर्देश दिया कि वे इस मामले में अपना जवाब दें. जस्टिस कोतवाल और मोदक की बेंच ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल 2025 के लिए निर्धारित की. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुईं अतिरिक्त लोक अभियोजक माणकुंवर देशमुख से भी इस याचिका पर निर्देश लेने को कहा.

इसके साथ ही, कामरा को मद्रास हाईकोर्ट से पहले ही अंतरिम अग्रिम जमानत मिल चुकी है, जिसे 17 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है. कामरा ने दावा किया कि वह 2021 से तमिलनाडु में रह रहे हैं और उन्हें मुंबई पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने का डर है.

कामरा की मुश्किलें बढ़ेंगी?
कुणाल कामरा को मुंबई पुलिस ने तीन बार समन जारी किया, लेकिन वह पुलिस के सामने पेश नहीं हुए. उनकी लीगल टीम का कहना है कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जांच में सहयोग करने को तैयार हैं, लेकिन पुलिस उनकी शारीरिक उपस्थिति पर अड़ी है.

अगर बॉम्बे हाईकोर्ट उनकी FIR रद्द करने की याचिका खारिज कर देता है, तो कामरा को गिरफ्तारी का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, उनकी याचिका में यह भी मांग की गई है कि जांच के दौरान उनकी गिरफ्तारी या उनके इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त करने जैसी कोई कठोर कार्रवाई न की जाए.

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