Last Updated:March 22, 2025, 11:39 IST
भारतीय वायुसेना 42 स्क्वायड्रन की मंजूरी के बावजूद 31 स्क्वायड्रन से काम चला रही है. तेजस MK 1A के निर्माण में अमेरिकी कंपनी की ओर से सप्लाई में देरी से समस्या हो रही थी. लेकिन अब सप्लाई दुरुस्त होने की संभावना...और पढ़ें

अगले माह तक एयरफोर्स को उसका पहला तेजस MK 1A विमान मिल जाने की संभावना है.
हाइलाइट्स
भारतीय वायुसेना 42 स्वीकृत स्क्वाड्रन के बजाय 31 स्क्वाड्रन से काम कर रही है.तेजस MK 1A के निर्माण में अमेरिकी कंपनी की सप्लाई में देरी हो रही थी.एचएएल का नागपुर प्लांट ऑपरेशनल हो गया है.भारतीय वायुसेना लड़ाकू विमानों की भारी कमी से जूझ रही है. यह बात अब किसी से छिपी नहीं है. एयर फोर्स के लिए 42 स्क्वायड्रन मंजूर हैं लेकिन वह इस वक्त केवल 31 स्क्वायड्रन से काम चला रही है. बीते एक दशक में भारत ने अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्रांस से 36 रॉफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की. आईएएफ के पास इस फाइटर जेट के दो स्क्वायड्रन हैं. इसमें से एक चीन और दूसरा स्क्वायड्रन पाकिस्तान की सीमा पर तैनात है. एक स्क्वायड्रन में 18 विमान होते हैं.
भारत की सरकार ने नीतिगत तौर पर तय किया है कि मेक इन इंडिया अभियान के तहत वह भविष्य की फाइटर जेट्स की जरूरतों को अपने स्तर से पूरा करेगी. इसके लिए भारत ने अपना फाइटर जेट बना लिया है. बस इसमें दिक्कत इसके तेजी से उत्पादन में आ रही है. इसके कल पुर्जों की सप्लाई में देरी हो रही है.
अपने देश में पब्लिक सेक्टर की कंपनी हिंदुस्तार एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) विमान बनाती है. उसने डीआरडीओ के साथ मिलकर 4.5+ पीढ़ी के विमान तेजस MK 1A डेवलप किया है. यह अपनी कैटगरी का एक शानदार विमान है. ऐसे में इसकी तुलना रॉफेल विमानों से की जाती है. ये रॉफेल भी 4.5+ पीढ़ी के विमान है. तेजस MK 1A में भारतीय रॉडार सिस्टम और कई एडवांस मिसाइलें तैनात की गई हैं. वायुसेना ने एचएएल को 83 तेजस MK 1A का ऑर्डर भी दे दिया है. वायुसेना की योजना अगले एक दशक में 300 से अधिक तेजस विमानों का बेड़ा खड़ा करना है.
एयरफोर्स चीफ नाराज
लेकिन, प्रोडक्शन की धीमी रफ्तार के कारण पिछले दिनों वायुसेना प्रमुख एपी सिंह बहुत नाराज हुए थे. उनकी नाराजगी के बाद सरकार और एचएएल हर जगह हड़कंप मच गया. आनन-फानन में रक्षा मंत्रालय ने तेजस विमानों के प्रोडक्शन में अड़चनों की जांच करने के लिए रक्षा सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई. उस कमेटी को कुछ ही दिनों में रिपोर्ट देने को कहा गया.
नंग पाव दौड़ी आई अमेरिकी कंपनी
दरअसल, तेजस MK 1A विमानों के निर्माण में सबसे बड़ी अड़चन एक अमेरिकी कंपनी है. इन विमानों के लिए एचएएल ने दुनिया की नामी इंजन निर्माता कंपनी जीई से 99 जीई-404 इंजनों की सप्लाई का करार किया था. ये करार 2021 में किए गए थे. लेकिन, अमेरिका कंपनी इंजन की सप्लाई में ढिलाई बरत रही थी. सप्लाई में करीब दो साल की देरी हो गई. अब जाकर जीई इस सौदे के तहत पहले इंजन की सप्लाई करने जा रही है. ये इंजन इसी माह एचएएल के प्लांट में पहुंच जाएगा. हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक जीई कंपनी की ओर इस साल 12 इंजनों की सप्लाई की जा सकती है. अगले साल से वह 20 इंजनों की सप्लाई करेगी.
अगले माह मिलेगा तेजस MK 1A
इधर, एचएएल भी अपने प्रोडक्शन के रफ्तार देने में लगी है. उसने नागपुर में अपना तीसरा प्रोडक्शन प्लांट लगाया है. यह प्लांट काफी एडवांस है और काफी हजारों घंटे के इंजीनियरिंग काम मिनटों में हो जाएंगे. इसी प्लांट में तेजस MK 1A का निर्माण किया जा रहा है. एचएएल ने हर माह एक तेजस MK 1A बनाने का लक्ष्य रखा है. नासिक के तीसरे प्लांट के ऑपरेशन हो जाने के बाद यह क्षमता सालाना 20-24 विमानों की हो जाएगी.
First Published :
March 22, 2025, 11:39 IST