राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दिन कहां होना था आतंकी हमला? NIA का बड़ा खुलासा

1 week ago
एनआईए ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. (फाइल फोटो)एनआईए ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने अपनी तफ्तीश के आधार पर बड़ा खुलासा करते हुए औपचारिक तौर पर बताया है कि 22 जनवरी साल 2024 को जिस दिन अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम तय था, उस दिन ही बेंगलुरु में बीजेपी दफ्तर में आईईडी बम ब्लास्ट करने की साजिश रची गई थी, लेकिन किसी कारण से उस तारीख पर वो प्लान फेल हो गया. इसके बाद ही कर्नाटक के बेंगलुरु स्थित रामेश्वरम कैफे में ब्लास्ट करने की साजिश की गई और उसे कई आतंकियों के द्वारा अंजाम दिया गया.

जांच एजेंसी के अधिकारी के मुताबिक इन सारी इनपुट्स से संबंधित आरोपियों के बयान सहित अन्य सबूतों को कोर्ट को सौंप दिया गया है. दरअसल, एनआईए के द्वारा चार प्रमुख आरोपियों के खिलाफ जो चार्जशीट दायर की गई है, उसी में इन बातों का साफ-साफ जिक्र किया गया है. एनआईए ने एक बयान में कहा कि रामेश्वरम कैफे ब्लास्ट मामले में दाखिल चार्जशीट में नामजद आरोपियों मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मतीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ को पहले गिरफ्तार कर लिया गया था और वर्तमान में वे मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.

बयान में कहा गया है कि ताहा और शाजिब को उनके आका ने क्रिप्टो करेंसी के जरिए धन मुहैया कराया था. इसके साथ ही टेलीग्राम मोबाइल एप्लीकेशन का भी विशेष तौर पर इस्तेमाल हुआ. एनआईए की जांच में पता चला है कि आरोपियों ने इस धन का इस्तेमाल बेंगलुरु में हिंसा की विभिन्न घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया था. बयान में कहा गया है, “इनमें 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन, बेंगलुरु के मल्लेश्वरम स्थित प्रदेश भाजपा कार्यालय पर विफल आईईडी हमला भी शामिल है, जिसके बाद दो प्रमुख आरोपियों ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट की योजना बनाई थी.”

चार्जशीट में बेंगलुरु की एक विशेष एनआईए अदालत में दाखिल किया गया. इस साल एक मार्च को बेंगलुरु के ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट में नौ लोग घायल हो गए थे और होटल की संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा था. एनआईए ने तीन मार्च को मामले की जांच शुरू की और विभिन्न राज्य पुलिस बलों और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय में कई तकनीकी जांच की. जांच से पता चला कि शाजिब ही वह व्यक्ति था, जिसने बम रखा था.

एनआईए के बयान में कहा गया है कि शाजिब और ताहा आईएसआईएस के अल-हिंद मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने के बाद 2020 से फरार थे. एनआईए द्वारा व्यापक तलाशी के बाद रामेश्वरम कैफे विस्फोट के 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल में उनके ठिकाने से उन्हें गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसी ने कहा कि कर्नाटक के शिवमोगा जिले के रहने वाले ये दोनों लोग आईएसआईएस के कट्टरपंथी थे. वे भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस की विचारधारा से जोड़ने में सक्रिय रूप से शामिल थे तथा माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ऐसे युवाओं में से थे.

बयान में कहा गया है, “ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से प्राप्त भारतीय सिम कार्ड और भारतीय बैंक खातों का इस्तेमाल किया और डार्क वेब से डाउनलोड किए गए विभिन्न भारतीय और बांग्लादेशी पहचान दस्तावेजों का भी इस्तेमाल किया था.” जांच में यह भी पता चला कि ताहा को शोएब अहमद मिर्जा ने मोहम्मद शहीद फैजल से मिलवाया था, जो लश्कर-ए-तैयबा बेंगलुरु साजिश मामले में फरार है. शोएब अहमद मिर्जा मामले में सजा काट चुका है.

Tags: Ayodhya, Islamic state, NIA Court, Ram Temple

FIRST PUBLISHED :

September 9, 2024, 19:32 IST

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