Last Updated:November 20, 2025, 12:58 IST
Presidential Reference Case: तमिलनाडु, केरल, पंजाब जैसे विपक्षी दल शासित राज्यों में राज्यपाल और सरकार के बीच अक्सर ही ठन जाने की बात सामने आती रहती है. खासकर विधानसभा से पास विधेयकों को मंजूरी देने के मामले में तनातनी की स्थिति पैदा हो जाती है. सुप्रीम कोर्ट ने अब इसपर राष्ट्रपति को अपनी राय दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए विधेयकों को मंजूरी देने के लिए टाइमलाइन फिक्स करने से इनकार कर दिया है. Presidential Reference Case: विधानसभा की ओर से पास किसी बिल या विधेयक को राष्ट्रपति या राज्यपाल कब तक अपने पास रोक कर रख सकते हैं? क्या राष्ट्रपति या राज्यपाल के लिए इस बाबत टाइमलाइन फिक्स की जा सकती है? प्रेसिडेंशियल रेफरेंस के जरिये राष्ट्रपति की ओर से मांगी गई सलाह पर सुप्रीम कोर्ट रुख साफ कर दिया है. देश की टॉप कांस्टीट्यूशनल कोर्ट ने साफ कर दिया है कि किसी भी विधेयक को मंजूरी देने को लेकर राष्ट्रपति या राज्यपाल के लिए टाइमलाइन फिक्स नहीं की जा सकती है. इसका मतलब यह हुआ कि संसद या राज्य विधानसभा की ओर से मंजूरी के लिए भेजे गए विधेयक पर गवर्नर या प्रेसिडेंट अपने विवेक के अनुसार फैसला ले सकते हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि राष्ट्रपति या राज्यपाल किसी भी विधेयक को अनिश्चितकाल तक के लिए रोक कर नहीं रख सकते हैं. पांच जजों की बेंच ने कहा कि सीमित न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए अदालतें इसपर समय-समय पर विचार कर सकती हैं.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 20, 2025, 12:51 IST

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