‘जिसकी जाति का पता नहीं वो गणना की बात कर रहा है’… भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के लोकसभा में दिए इस बयान पर हंगामा बरपा हुआ है. अनुराग ठाकुर ने भले ही किसी का नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर सदन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा. विपक्ष ने उनके बयान पर ऐतराज जताया और इसे असंसदीय बताया. राहुल गांधी ने कहा कि यह उनके लिए गाली है. फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इस बयान को थोड़ा ट्विस्ट दे दिया और कहा कि कोई व्यक्ति किसी और की जाति कैसे पूछ सकता है. अब पूरी बहस राहुल गांधी की जाति और जाति पूछने पर केंद्रित हो गई है.
ऐसे में आज हम राहुल गांधी की वंशावली की बात करते हैं. राहुल गांधी का परिवार देश की फर्स्ट पॉलिटिकल फैमिली कही जाती है. वह नेहरू-गांधी परिवार की छठी पीढ़ी हैं. उनके परिवार की राजनीतिक वंशावली तैयार की जाए तो सबसे पहला नाम मोतीलाल नेहरू का आता है. वह ब्रिटिश जमाने में एक धाकड़ वकील थे फिर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने. वह महात्मा गांधी के समकक्ष नेता थे. फिर उनके बेटे जवाहरलाल नेहरू ने राजनीति में आए. वह भी एक धाकड़ वकील थे. फिर वह कांग्रेस के अध्यक्ष और देश के पहले प्रधानमंत्री बने.
कश्मीर से ताल्लुक
नेहरू खानदान मूल रूप से कश्मीर से आता है. लेकिन, मोतीलाल नेहरू के पिता 18वीं सदी के शुरुआत में ही दिल्ली में आकर बस गए. फिर उनके बेटे मोतीलाल नेहरू ने वकालत के सिलसिले में इलाहाबाद शहर को चुना. वहीं पर उन्होंने अपनी प्रसिद्ध हवेली आनंद भवन का निर्माण करवाया. फिर नेहरू परिवार पूरी तरह उत्तर प्रदेश की मिट्टी में रच बस गया. आजादी के बाद नेहरू प्रधानमंत्री बने तो स्वाभाविक तौर पर वह दिल्ली में रहने लगे. फिर उनकी इकलौती बेटी इंदिरा गांधी भी उनके साथ रहने लगीं. नेहरू की पत्नी कमला नेहरू का निधन देश की आजादी से काफी पहले हो गया था.
नेहरू से गांधी का सफर
इंदिरा गांधी युवा अवस्था में ही अपनी मां और पिता के साथ आजादी के आंदोलनों में शामिल होने लगीं. गांधी परिवार को करीबी से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई के मुताबिक इलाहाबाद में एक प्रदर्शन के दौरान कमला नेहरू बेहोश हो गईं. इस दौरान वहां पर युवा फिरोज गांधी मौजूद थे. उन्होंने कमला नेहरू को पानी पिलाया और फिर उन्हें आनंद भवन पहुंचाया. इस घटना के बाद फिरोज गांधी आनंद भवन आने-जाने लगे. फिर उनकी इंदिरा गांधी से दोस्ती हुई और यह दोस्ती फिर प्यार में बदल गया.
फिरोज खान गांधी
फिरोज खान एक पारसी परिवार से थे. उनका व्यक्तित्व बेहद आकर्षक था. वह एक कट्टर ईमानदार राजनेता थे. इंदिरा गांधी और उनका प्यार परवान पर था. लेकिन, जैसा कि आम भारती परिवारों में अंतरजातीय और अंतर धर्म विवाह को लेकर हंगामा होता है. कुछ वैसा ही हाल इंदिरा की फिरोज गांधी के साथ शादी को लेकर हुआ. लेकिन, महात्मा गांधी के हस्तक्षेप के बाद यह मसल सुलझाया गया. महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को समझाया और फिरोज गांधी को गोद लेने की बात कही. फिर जवाहरलाल नेहरू और उनका परिवार फिरोज गांधी के साथ इंदिरा की शादी को तैयार हो गया. फिर 26 मार्च 1942 को आनंद भवन में इंदिरा फिरोज गांधी की शादी हुई.
शादी के बाद इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू, इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी बन गईं. लेकिन, पूरा हंगाम यहीं से शुरू होता है. महात्मा गांधी ने फिरोज गांधी को गोद लिया था. ऐसे में क्या उनकी जाति और धर्म बदल गया? क्या उनको पारसी नहीं माना जाएगा? इंदिरा-फिरोज गांधी के दो बच्चे राजीव गांधी और संजय गांधी हुए.
भारत और दुनिया की अधिकतर सभ्यताएं पितृसत्तात्मक हैं. यहां सभी धर्मों और जातियों में पिता की वंशावली ही कानूनी रूप में मान्य है. किसी भी इंसान की जाति और धर्म उनके पिता की जाति और धर्म से तय होती है. इसमें मां पक्ष की कोई भूमिका नहीं है.
हिंदू रीति-रिवाज से फिरोज गांधी का अंतिम संस्कार
इस पूरी कहानी में एक और पेच है. फिरोज और इंदिरा गांधी का वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहा. शादी के कुछ सालों बाद ही दोनों के रिश्तों में कड़वाहट भर गया. इंदिरा गांधी अपने पिता नेहरू के साथ उनके पीएम आवास में रहती थीं वहीं फिरोज लखनऊ में रहा करते थे. 8 सितंबर 1960 को फिरोज गांधी का मात्र 48 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन के वक्त इंदिरा गांधी उनके साथ थीं. फिर फिरोज गांधी का दिल्ली के निगमबोध घाट में पूरे हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया. फिरोज के बड़े बेटे राजीव गांधी ने उनको मात्र 16 साल की उम्र में मुखाग्नि दी. ऐसे कहा जा सकता है कि फिरोज का जन्म तो पारसी परिवार में हुआ लेकिन मौत के वक्त वह हिंदू थे. कुछ ऐसी ही कहानी बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की भी है. उनका जन्म हिंदू परिवार में हुआ लेकिन उन्होंने धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म अपना लिया. उनकी राह पर चलते हुए उनके लाखों चाहने वालों ने भी बौद्ध धर्म अपना लिया.
राहुल गांधी की जाति
यही सबसे बड़ा सवाल है. राहुल गांधी देश के एक सबसे प्रतिष्ठित परिवार से आते हैं. उनको या किसी भी व्यक्ति को पहचानने के लिए उसका कर्म और समाज को उसका योगदान ही काफी होना चाहिए है. लेकिन अफसोस की हमारे देश में आज भी व्यक्ति की पहचान जाति से होती है. आज देश चांद पर कॉलोनी बसाने का सपना देख रहा है. दुनिया मंगल पर जाने की योजना बना रही है. लेकिन, हम इस बहस में पड़े हैं कि राहुल गांधी या किसी अन्य व्यक्ति की जाति क्या है? हमारे देश का शीर्ष नेतृत्व जाति और धर्म की लड़ाई में उलझा हुआ है. यह बेहद शर्मनाक स्थिति है. बहस इस पर है कि राहुल गांधी ब्राह्मण हैं या फिर पारसी? अगर उनको पारसी मान लिया जाए या फिर ब्राह्मण मान लिया जाए… तो क्या इससे समाज या देश की सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी. क्या उनकी राजनीति खत्म हो जाएगी?
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FIRST PUBLISHED :
August 1, 2024, 11:47 IST