Last Updated:August 07, 2025, 21:09 IST
राहुल गांधी ने दिल्ली में डिनर पर INDIA अलायंस के नेताओं को बुलाया, जिसमें 24 पार्टियों के 50 से ज्यादा नेता शामिल हुए. चर्चा SIR प्रक्रिया और चुनावी धांधली पर हुई. मतभेद अभी भी बरकरार हैं.

दिल्ली की सियासी शाम फिर से गर्माई. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने INDIA अलायंस के नेताओं को डिनर पर बुलाया तो 24 पार्टियों के 50 से ज्यादा नेता, सांसद पहुंच गए. इसमें कांग्रेस को कोसने वाली ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी थी तो सपा, आरजेडी, शिवसेना, डीएमके, एनसीपी और सीपीआई के नेता भी थे. चर्चा देश की मौजूदा राजनीति पर होनी थी. वोट चोरी पर बात होनी थी. उपराष्ट्रपति चुनाव और बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन की भी होनी थी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या मतभेद दूर हो गए? क्या सभी दलों ने मान लिया कि राहुल गांधी ही अलायंस के लीडर हैं?
पिछले कुछ हफ्तों से संसद में जो हो रहा है, वो विपक्ष के लिए चेतावनी से कम नहीं. बिहार में चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया ने विपक्षी दलों को एकजुट होने पर मजबूर कर दिया है. डीएमके से लेकर सीपीआईएम तक और आम आदमी पार्टी से लेकर टीएमसी तक, सबने इसे मतदाताओं के अधिकारों पर हमला करार दिया है. विपक्ष मानता है कि सरकार वोटर लिस्ट से चुनिंदा नाम काटकर चुनावी गणित बदलना चाहती है. और यही वह डर है, जिसने INDIA की जंग लगी मशीनरी को दोबारा स्टार्ट कर दिया है.
क्या तय हुआ
क्या राहुल गांधी को सबने मान लिया लीडर?
सबसे बड़ा सवाल कि क्या राहुल गांधी फिर से केंद्र में हैं, या गठबंधन उनसे आगे बढ़ना चाहता है? बीते साल भर में ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव जैसे कई नेताओं ने खुले मंच से राहुल गांधी को नेता मानने से इनकार किया. ममता तो साफ बोल चुकी हैं कि किसी और को गठबंधन का चेहरा बनाया जाए. शरद पवार की पार्टी से लेकर कम्युनिष्ट पार्टियां तक कांग्रेस पर हमलावर रही हैं. लेकिन अब जब TMC खुद राहुल गांधी के डिनर में शरीक हो रही है, और AAP भी SIR मुद्दे पर साथ खड़ी है तो सवाल है कि क्या सारे मतभेद दूर हो गए.
सिर्फ मुद्दों पर साथ, नेतृत्व पर नहीं?
INDIA अलायंस में तालमेल संसद के अंदर तक सीमित है. बाहर आते ही वही पुराने गिले-शिकवे जिंदा हो जाते हैं. जैसे TMC बंगाल में कांग्रेस और वामपंथियों को अपना दुश्मन मानती है. AAP दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस को चुनौती देती है. DMK और लेफ्ट अपने-अपने राज्यों की प्राथमिकताओं में व्यस्त हैं. इसलिए कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या वो सिर्फ फ्लोर कोआर्डिनेशन की पार्टी बनकर रह जाएगी, या असली नेतृत्व करेगी?
क्या SIR से नया नैरेटिव बनेगा?
विपक्ष को अब यह समझ आने लगा है कि मोदी सरकार के खिलाफ सिर्फ लोकतंत्र खतरे में है जैसे नारे काम नहीं करेंगे. SIR एक ऐसा मुद्दा है जो सीधे मतदाता के अधिकारों को छूता है. आज बिहार में वोट काटे जा रहे हैं, कल बंगाल, तमिलनाडु, केरल की बारी है. डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने कहा, फेडरलिज्म, वोटिंग राइट्स, संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग जैसे मुद्दे ही अब विपक्ष के लिए साक्षा मुद्दा होंगे. लेकिन यह तभी कामयाब होगा जब सभी दल अपना निजी एजेंडा छोड़ें.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
August 07, 2025, 21:09 IST