लालू ने क्यों नहीं दी 'कुर्बानी'... अध्यक्ष वाला दांव तेजस्वी को ताज दिलाएगा?

4 hours ago

Last Updated:June 23, 2025, 17:06 IST

Lalu Yadav News: लालू यादव 13वीं बार राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने वाले हैं. क्या परिवार और पार्टी में कलह और वोटबैंक के खातिर लालू ने तेजस्वी के लिए अपनी कुर्बानी नहीं दी?

लालू ने क्यों नहीं दी 'कुर्बानी'... अध्यक्ष वाला दांव तेजस्वी को ताज दिलाएगा?

लालू यादव ने 13वीं बार क्यों भरा आरजेडी अध्यक्ष का पर्चा?

हाइलाइट्स

लालू यादव 13वीं बार आरजेडी के अध्यक्ष बनने के लिए भरा पर्चा.तेजस्वी यादव को अध्यक्ष न बनाकर परिवार में कलह रोकी?क्या लालू के नाम पर मुस्लिम-यादव वोटबैंक एकजुट होंगे?

पटना. बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव 13वीं बार राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लगभग बन गए हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में तेजस्वी यादव से लेकर मीसा भारती और राज्यसभा सांसद मनोज झा का भी नाम चल रहा था. लेकिन लालू यादव ने आखिरकार यह पद अपने पास ही रखा. क्षेत्रीय पार्टियों के इतिहास को देखकर पहले से ही अंदेशा था कि यह पद लालू यादव न सही किसी परिवार के सदस्य के पास ही रहेगा. लेकिन लालू यादव ने सारे किंतु-परंतु को विराम लगाते हुए आखिरकार अध्यक्ष पद के लिए नोमिनेशन फाइल कर ही दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या लालू यादव ने पारिवारिक और पार्टी के अंदरुनी गुटबाजी की वजह से अध्यक्ष पद पर किसी दूसरे को नहीं बैठाया या फिर इसका कारण कुछ और है?

देश की 10 बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक ही परिवार से हुए हैं. यूपी, बिहार और हरियाणा-पंजाब से लेकर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की सभी क्षेत्रीय पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष एक ही परिवार के होते आए हैं. लालू यादव पार्टी बनने के बाद से ही अध्यक्ष बने हुए हैं. अब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है. ऐसे में चर्चा हो रही थी कि वह अध्यक्ष पद छोड़ देंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि, देश के अंदर कुछ पार्टियों में नेताओं को अन्य पद जैसे प्रदेश अध्यक्ष का पद परिवार से बाहर के व्यक्ति को जरूर मिला है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद परिवार के ही पास रहा है.

लालू क्यों बने आरजेडी के फिर से अध्यक्ष?

एनसीपी संस्थापक शरद पवार, वाईएसआर कांग्रेस के संस्थापक जगनमोहन रेड्डी और लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान से लेकर अब उनके बेटे चिराग पासवान तक लंबा इतिहास रहा है. हरियाणा में चौधरी देवी लाल ने 1999 में इंडियन नेशनल लोकदल की स्थापना की थी. देवी लाल के बाद उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. पार्टी का नेतृत्व परिवार के भीतर ही रहा और चौटाला परिवार के सदस्य जैसे अभय सिंह चौटाला और अजय सिंह चौटाला महत्वपूर्ण पदों पर रहे. परिवार के बाहर का राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी नहीं बना.

लालू ने क्यों नहीं दी अपनी कुर्बानी?

हरियाणा के एक और दिग्गज नेता भजन लाल की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस का भी यही इतिहास रहा. भजनलाल के बाद उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी की कमान संभाली. इसी तरह शरद पवार ने 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना की थी. शरद पवार लगातार राष्ट्रीय अध्यक्ष बन रहे हैं. उनकी बेटी सुप्रिया सुले और भतीजे अजित पवार पार्टी में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. हालांकि, 2023 में अजित पवार के अलग होने और उन्होंने भी अपनी NCP (अजित पवार गुट) गुट का गठन किया, जिसके वह अध्यक्ष हैं.

क्या कहते हैं जानकार

बिहार को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘लालू यादव को अध्यक्ष पद अपने पास रखना मजबूरी था. परिवार में मीसा भारती से लेकर रोहिणी आचार्या और तेज प्रताप यादव का राजनीतिक करियर दांव पर है. ऐसे में तेजस्वी यादव को पार्टी की कमान न सौंपकर लालू ने परिवार में कलह को विराम दिया है. बिहार चुनाव के नतीजे आने के बाद लालू कुछ बड़ा फैसला ले सकते हैं. लालू के नाम से ही आज भी मुस्लिम और यादव एकजुट हैं. ऐसे में अगर वह सक्रिय राजनीति से दूर हो जाते तो कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाता. तेजस्वी यादव को कमान सौंपने से पहले लालू शायद यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पार्टी और महागठबंधन में वह एक मजबूत नेता बन जाएं.’

कुलमिलाकर लालू यादव का आरजेडी का 13वीं बार अध्यक्ष बनना मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बड़ी घटना है. बीजेपी और जेडीयू नेता लाख लालू पर परिवारवाद पर आरोप लगाएं, लेकिन आरजेडी के कोर वोटर्स मुस्लिम-यादव आज भी लालू के नाम पर ही वोट करते हैं. तेजस्वी को नेतृत्व देने से परिवार के अन्य सदस्यों की भूमिका कम हो सकती. इसलिए जानकार लालू का मास्टर स्ट्रोक मान रहे हैं.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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