Last Updated:September 15, 2025, 12:19 IST
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड संबंधी कानून को लेकर 5 व्यवस्थाएं दी हैं, हालांकि कोर्ट ने पूरी तरह से इस कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. जानते हैं कि कोर्ट के ये पांच प्रावधान क्या हैं..

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड संबंधी कानून पर पूरी तरह रोक लगाने के संबंध में सुनवाई की. इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस कानून पर पूरी तरह स्टे लगाने से बेशक मना कर दिया लेकिन ऐसे प्रावधान जरूर किए हैं, जिनके मायने खासे अहम हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर नए निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कई विवादास्पद प्रावधानों पर आंशिक रोक लगाते हुए कानून के अधिकांश हिस्सों को फिलहाल बरकरार रखा गया है. जानते हैं कि कोर्ट के फैसले के पांच मतलब क्या हैं.
इन फैसलों से वक्फ संपत्ति और बोर्ड की संरचना पर पारदर्शिता, न्यायिक निगरानी और धार्मिक संतुलन को प्राथमिकता देने का प्रयास किया गया है. फैसले से लगता है कि वक्फ में कानून के जरिए जिन बातों पर सबसे ज्यादा नाराजगी और एतराज जाहिर किया जा रहा था, सुप्रीम कोर्ट ने उस पर स्पष्ट व्यवस्था देने की कोशिश की है.
संपूर्ण वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाने के याचिकाकर्ताओं के अनुरोध को न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया, जिसमें कहा गया कि संसद द्वारा पारित कानूनों को संवैधानिक माना जाता है और केवल असाधारण मामलों में ही किसी क़ानून को पूर्ण रूप से निलंबित करने का औचित्य सिद्ध होता है
सुप्रीम कोर्ट के वक्फ बोर्ड संबंधी हालिया फैसले के 5 मुख्य मतलब ये हैं:
1. 5 साल तक इस्लाम का अनुयायी होने पर रोक
न्यायालय ने उस प्रावधान पर रोक लगा दी है जिसके तहत वक्फ बनाने से पहले किसी व्यक्ति को पांच साल तक इस्लाम का पालन करना जरूरी था. यह तब तक स्थगित रहेगा जब तक इस स्थिति को निर्धारित करने के लिए नियम नहीं बन जाते, क्योंकि परिभाषित प्रक्रियाओं के अभाव में मनमानी शक्ति का प्रयोग हो सकता है.
2. कलेक्टर का फैसला अंतिम नहीं
इस बात को लेकर सबसे ज्यादा इतराज मौजूदा वक्फ बोर्डों और मुस्लिमों द्वारा जाहिर किया जा रहा था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कलक्टर के पास वक्फ संपत्ति और सरकारी जमीन के विवादों को अंतिम रूप से तय करने की शक्ति नहीं होगी, जब तक ट्रिब्यूनल का निर्णय नहीं आता, तब तक किसी तीसरे पक्ष का अधिकार नहीं बन सकता. यानि इसे लेकर कलेक्टर को जो अंतिम अथारिटी बनाया जा रहा था, वो खत्म हो गया है, जिससे ये संशय भी खत्म हो गया कि कलेक्टर या तो मनमर्जी चला सकते हैं या किसी के इशारों पर काम कर सकते हैं.
मतलब ये भी हुआ केवल कलेक्टर की रिपोर्ट उच्च न्यायालय की स्वीकृति के बिना किसी संपत्ति के स्वामित्व में परिवर्तन नहीं कर सकती है. यह कार्रवाई शक्तियों के पृथक्करण के उल्लंघन और संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में मनमाने निर्णयों से सुरक्षा प्रदान करती है।
3. वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलिम सदस्य सीमित होंगे
वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिम सदस्यों के होने पर भी काफी एतराज और नाराजगी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा बदलाव करते हुए राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित कर दी है. इसमें राज्य वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिम 3 से ज्यादा नहीं हो सकते तो केंद्रीय वक्फ परिषद में 4 से ज्यादा गैर-मुसलिम सदस्य नहीं हो सकते, जिससे बोर्ड का धार्मिक चरित्र सुरक्षित रहेगा.
4. वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि जहां तक संभव हो वक्फ बोर्ड का CEO मुस्लिम होना चाहिए, हालांकि उसने गैर-मुस्लिम नियुक्ति पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई है. हालांकि इस प्रावधान से आगे आने वाले समय में काफी विवाद हो सकता है. इसे लेकर मुस्लिमों को एतराज भी हो सकता है.
5. वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान बना रहेगा
वक्फ संपत्तियों को रजिस्टर कराने की प्रक्रिया कोई नई बात नहीं है, ये पहले भी लागू रहा है और इसमें कोर्ट ने कोई बदलाव नहीं किया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की आवश्यकता में हस्तक्षेप नहीं किया, यह देखते हुए कि यह पिछले कानूनों में मौजूद था और नया नहीं है. पंजीकरण की समय सीमा के मुद्दे को स्वीकार किया गया है लेकिन इस अंतरिम आदेश में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया.
कब बना वक्फ कानून
वक्फ (संशोधन) अधिनियम इसी साल अप्रैल 2025 में पारित हुआ था. इसे भेदभाव, मनमानी शक्तियों और धार्मिक प्रबंधन में हस्तक्षेप के आधार पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा. मुस्लिम संगठनों और कई सांसदों ने इन चिंताओं को उठाया, जबकि सरकार का तर्क था कि ये बदलाव पारदर्शिता बढ़ाते हैं और संपत्ति के दुरुपयोग को रोकते हैं.
अदालत की मौजूदा टिप्पणियां या व्यवस्थाएं फिलहाल अंतरिम हैं, बाध्यकारी नहीं हैं; प्रभावित पक्ष अधिनियम की वैधता को चुनौती देना जारी रख सकते हैं. आगे की सुनवाई अंतिम निर्णय के लिए निर्धारित है.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 15, 2025, 12:19 IST