जब द्युतक्रीड़ा में युधिष्ठिर द्वारा दूसरी बार हारे जाने के बाद कौरवों ने पांडवों को 12 साल का वनवास और एक साल का अज्ञातवास दिया तो उस दौरान द्रौपदी के साथ दो बार यौन अत्याचार हुआ. एक बार तो ये काम परिवार के ही एक सदस्य ने किया. दूसरी बार एक खास राजसी पुरुष ने.
इससे ये पता लगता है कि उस दौर में भी महिलाएं किस तरह असुरक्षित और पुरुषों की शिकार बन जाती थीं, भले ही वो खुद एक हैसियत रखती हों और उनके पति साधारण लोग नहीं हों. ये दोनों घटनाएं द्रौपदी के लिए हिलाने वाली थीं. दोनों ही बार युधिष्ठिर ने उन अत्याचारियों के प्रति सुरक्षित रुख अपनाना चाहते थे लेकिन उनके भाइयों खासकर भीम के अड़ जाने से उन्हें सजा मिल सकी.
कब हुई पहली घटना
पहली घटना वनवान के शुरुआती बरसों की है. इस घटना का जिक्र महाभारत के वनपर्व में दिया हुआ है. वनवास के शुरुआती बरसों में कौरवों का बहनोई जयद्रथ पांडवों से मिलने उनके शिविर में गया. वहां कौरवों की इकलौती बहन दुशाला का पति था. द्रौपदी को अकेले पाकर उसने उसे रिझाने की कोशिश की. उसने द्रौपदी को प्रलोभन दिया कि उसका जीवन वन में मुश्किल जीवन बिताने के लिए नहीं है. उह उसके साथ महल में चले और रानी की तरह रहे.
तो उसने जबरदस्ती उसे उठा लिया
जब द्रौपदी ने उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया और नाराज होते हुए उससे वहां से चले जाने के लिए कहा तो जयद्रथ ने उसे अपने साथ बलपूर्वक ले जाने की कोशिश की. उसने जबरदस्त द्रौपदी को अपने रथ पर उठाकर बिठाया और अपहरण करके रथ से भाग निकला. सिंधु नरेश जयद्रथ के साथ उसकी सेना की हल्की सी टुकड़ी थी.
पहली बार दुर्योधन के बहनोई जयद्रथ ने वनवास में द्रौपदी को अकेले पाकर उसका जबरदस्ती अपहरण करने की कोशिश की (Image generated by Leonardoi AI)
भीम तो उस अत्याचारी की हत्या ही कर देता
जब पांडव शिविर में पहुंचे. उन्होंने द्रौपदी को वहां नहीं पाया तो तलाश में निकले. उन्हें मदद की गुहार करती द्रौपदी की आवाज आई, तो उस आवाज का पीछा करते हुए उन्हें कुछ दूर पर जयद्रथ का रथ दिखा. भीम और अर्जुन ने जयद्रथ के रथ को रोका और द्रौपदी को रथ से उतार लिया. उन्होंने जयद्रथ को बंदी बना लिया. भीम उसकी हरकत पर इतना नाराज था कि वो उसकी हत्या ही कर देता.
तब युधिष्ठिर ने बचा लिया
तब युधिष्ठिर ने उसे बचा लिया, उन्होंने भीम को रोकते हुए कहा, “जयद्रथ दुर्योधन का बहनोई है, इसलिए हमारा भी बहनाई है. इसे मारने से हमारे और कौरवों के बीच युद्ध छिड़ जाएगा. वनवास के दौरान हमें संयम बरतना चाहिए.”
तब भीम ने जयद्रथ को मारा तो नहीं लेकिन उसके सिर के बालों को छीलकर (गंजा बनाकर) उसका अपमान जरूर किया. उसे इसी तरह जाने को कहा. उन्होंने जयद्रथ के बाल छीलकर पांच चुटियां बनाईं, जिस तरह स्त्रियां चुटियां रखती हैं. ये जयद्रथ का बड़ा अपमान था.
अपमानित जयद्रथ खून की घूंट पीता हुआ शिव की तपस्या करता है और शिव से वरदान पाकर पांडवों को हराने की योजना बनाता है. बाद में कुरुक्षेत्र युद्ध में वह अभिमन्यु के चक्रव्यूह में मारे जाने की वजह बनता है. आखिरकार अर्जुन द्वारा मारा जाता है. इससे जाहिर है कि तब संबंधी ही किस तरह अपने ही परिवार की स्त्रियों पर गलत निगाह डालते रहते थे.
जब पांडव अज्ञातवास में विराट प्रदेश गए तो वहां के सेनापति की गलत निगाह द्रौपदी पर पड़ी. तब वह उसे प्रलोभन देने लगा और अपनी ताकत का फायदा उठाने लगा. (News18AI)
कब द्रौपदी के साथ हुई अत्याचार की दूसरी घटना
द्रौपदी पर दूसरा यौन अत्याचार वनवास के आखिर साल में यानि अज्ञातवास में होता है जबकि पांडव विराट राज्य में खुद को अज्ञात रखते हुए जीवन बिता रहे थे. यहां भी ऐसा लगता है कि तब के राजसी या अभिजात्य वर्ग के लोग अपने ही सेवकों, दासों और सेवा करने वालों पर गलत निगाह रखते थे और उनका शोषण करते थे.
तब भी भीम ही द्रौपदी के काम आए
देवदत्त पटनायक की किताब सती सावित्री में इसके बार में बताया कि तब किस तरह डरे हुए युधिष्ठिर समझौता करने की सलाह द्रौपदी को देते हैं लेकिन वो उनकी सलाह को ना केवल किनारे कर देती है बल्कि उन पर नाराज भी होती है. तब वह भीम की ही मदद लेती है और वही द्रौपदी की मदद के लिए आगे आते हैं वैसे भीम ही अकेले ऐसे पांडव थे, जो कभी द्रौपदी की आंखों में आंसू नहीं देख पाते थे. ना केवल उन्होंने पग पग पर द्रौपदी को सुरक्षित होने का अहसास दिया बल्कि उसकी हर इच्छा को पूरी करने की भी कोशिश की.
महाभारत तब द्रौपदी ने अपने दुख भीम से जाहिर किया और भीम ने मदद का भरोसा दिया. (News18 AI)
वहां द्रौपदी दासी बनी हुई थी
तो दूसरे मामले में द्रौपदी विराट की महारानी की दासी बन गई. वहां वह उनका श्रृंगार करती थी लेकिन वह खुद बहुत सुंदर थी. एक दिन जब वह महारानी का श्रृंगार कर रही थी तो महारानी का ताकतवर भाई कीचक वहां आ गया. कीचक ना केवल बहुत ताकतवर था बल्कि विराट देश की सेना का सेनापति था. उसकी ताकत से विराट महाराजा भी डरते थे.
तब युधिष्ठिर ने चुपचाप सहने को कहा
वह द्रौपदी को देखते ही उस पर रीझ गया. पटनायक अपनी किताब में कहते हैं कि कीचक की गंदी दृष्टि द्रौपदी पर रहने लगी. हालांकि पटनायक की किताब में कीचक को उनका देवर कहा गया है भाई नहीं. उसने द्रौपदी का यौन उत्पीड़न किया. वह अक्सर उसके साथ छेड़खानी की कोशिश करने लगा. पहले तो द्रौपदी ने महारानी से शिकायत की लेकिन जब उन्होंने भी यही कहा कि कीचक जो चाहता है, वो करती रहो तो वह शिकायत लेकर युधिष्ठिर के पास गईं.
द्रौपदी के बचाव में खड़े होने की बजाए युधिष्ठिर ने इस अत्याचार को चुपचाप सहने के लिए कहा. उन्होंने कहा, संकट काल में बचकर निकलने में ही समझदारी है. अगर कीचक मारा गया तो दुनिया को पता चल जाएगा कि पांडव कहां छिपे हैं. इससे उनकी स्थिति और जटिल हो जाएगी. अर्जुन भी अपने भाई से सहमत थे.
भीम ने अत्याचारी की हत्या कर दी
तब द्रौपदी के काम भीम ही आए. निराश द्रौपदी ने जब अपनी दुखगाथा भीम को बताई तो भीम ने कीचक को मारने का प्रण लिया. तब युधिष्ठिर इस बात से भीम से चिढ़ भी गए. बाद में भीम ने द्रौपदी से कहकर धोखे से कीचक को रात में एक सन्नाटे वाली जगह पर बुलाया और वहां उसकी हत्या कर दी. इससे जाहिर होता है कि उस समय ऊंची स्थिति वाली स्त्रियां भी कितनी लाचार हो जाती थीं.