सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक दिलचस्प वाकया सामने आया. झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी को बचाने की याचिका पर सुनवाई चल रही थी. जिसमें इस पवित्र स्थल को अपवित्र करने वाली गतिविधियों को रोकने की मांग की गई थी. सुनवाई के बीच ही सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा, हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं. वो पहाड़ी बेहद पवित्र है, मेरी भी वहां एक न एक दिन जाने की इच्छा है.
पारसनाथ पहाड़ी जैन समुदाय में काफी पवित्र मानी गई है. उनके लिए यह पूजनीय स्थल है. लेकिन बीते कुछ वर्षों में पहाड़ी के आसपास कई तरह की गतिविधियां हो रही हैं, जिसे रोकने की याचिका में मांग की गई है. जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की पीठ इस पर सुनवाई कर रही थी. तभी जस्टिस करोल ने कहा, मैं आप सभी को एक बात बताना चाहता हूं कि मैं उस पहाड़ी स्थान पर जाने का इरादा रखता हूं. मुझे उम्मीद है कि इस मामले की सुनवाई में मुझे कोई समस्या नहीं होगी. मैं ऐसे स्थानों पर जाता हूं.
मैं भी इन सभी स्थानों पर जाता हूं
इसके बाद जस्टिस रविकुमार ने कहा, मैं भी इन सभी स्थानों पर जाता हूं, चाहे उनका धर्म कोई भी हो. सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए. दर्शनबेन नयनभाई शाह नामक जैन श्रद्धालु ने यह याचिका दाखिल की है. इसमें उन्होंने बताया कि झारखंड के गिरिडीह में स्थित इस पहाड़ी को शिखरजी के नाम से भी जाना जाता है. यह जैनियों के लिए सबसे पवित्र पूजा स्थल है. ऐसा माना जाता है कि 24 तीर्थंकरों में से 20 ने अनगिनत भिक्षुओं के साथ निर्वाण (आध्यात्मिक ज्ञान) यहीं प्राप्त किया था.
पहाड़ी की पवित्रता खतरे में
दर्शनबेन ने याचिका में कहा है कि इस इलाके में रोपवे लगाए जा रहे हैं. दुकानें बनाई जा रही हैं. मतदान केंद्र और स्कूल बनाए जा रहे हैं. यहां मांस तक परोसा जा रहा है. यह पहाड़ी की पवित्रता को खतरे में डाल रहा है. उन्होंने इस मामले में झारखंड सरकार को आदेश देने की मांग की, ताकि ऐसी गतिविधियों को तुरंत रोका जा सके. खासकर, मांस बेचने जैसी चीजों पर तुरंत रोक लगनी चाहिए, क्योंकि यह जैनियों के लिए अपवित्र माना जाता है. बता दें कि याचिकाकर्ता शाह पहाड़ी की प्रकृति की रक्षा के लिए अपनी मांगों को लेकर 30 वर्षों से अनशन कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
July 31, 2024, 18:46 IST