Last Updated:May 30, 2025, 13:54 IST
Jaisalmer News. भारत-पाकिस्तान की सरहद पर पाकिस्तानी जासूस शकूर खान के पकड़े जाने के बाद पश्चिमी राजस्थान के कांग्रेस के दिग्गज नेता और अशोक गहलोत सरकार में मंत्री रहे शाले मोहम्मद अचानक चर्चा में आ गए हैं. इस...और पढ़ें

पूर्व मंत्री शाले मोहम्मद के पूरे परिवार का राजनीति में खासा दबदबा है
हाइलाइट्स
शाले मोहम्मद का पूर्व पीए पाकिस्तानी जासूस निकला.शाले मोहम्मद जैसलमेर के गाजी फकीर के बेटे हैं.शाले मोहम्मद 2018 में कैबिनेट मंत्री बने थे.जैसलमेर. पश्चिम राजस्थान की कांग्रेस राजनीति का बड़ा नाम शाले मोहम्मद बीते दो दिन से सुर्खियों में बना हुआ है. शाले मोहम्मद राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे. शाले मोहम्मद भारत पाकिस्तान के बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले की नामचीन शख्सियत रहे गाजी फकीर के बेटे हैं. गाजी फकीर सिंधी मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु माने जाते थे. उनके बाद यह पदवी अब उनके बेटे शाले मोहम्मद के पास है. जैसलमेर जिले में पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस शकूर खान शाले मोहम्मद का पीए रह चुका है. इसका खुलासा होने के बाद शाले मोहम्मद चर्चा में बने हुए हैं.
गाजी फकीर का परिवार शुरू से ही इस इलाके में राजनीतिक रूप से प्रभावी रहा है. इस परिवार के शाले मोहम्मद ने सबसे ज्यादा राजनीतिक ऊंचाइयां छुई हैं. महज 23 साल की उम्र में ही राजनीति में कदम रखने वाले शाले मोहम्मद जैसलमेर के चर्चित और बड़े नेताओं में शुमार हैं. 1 फरवरी, 1977 को जन्मे शाले मोहम्मद राजनीति में कदम रखने के साथ ही जैसलमेर पंचायत समिति के प्रधान बन गए थे. उसके बाद इस सरहदी जिले जैसलमेर के 2005 में जिला प्रमुख बन गए थे. शाले मोहम्मद ने 2008 में पोकरण विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक बन गए. इस पर उन्होंने जिला प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया.
बहुत वोटों से चुनाव जीते और हारे भारी मतों से
पहला चुनाव शाले मोहम्मद ने मामूली अंतर महज 339 वोटों से जीता था. उसके बाद 2013 में मोदी लहर में बुरी तरह से पिछड़ गए और चुनाव हार गए. यह चुनाव शाले मोहम्मद करीब 35 हजार वोटों से हारे. उसके बाद 2018 का चुनाव भी उन्होंने बहुत कम मार्जिन 872 वोटों से जीता. लेकिन कांग्रेस सत्ता में आई तो शाले मोहम्मद को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. देश की आजादी के बाद यह पहला मौका था जब जैसलमेर जिले से किसी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी. मंत्री बनने के बाद उनको अल्पसंख्यक विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. पांच साल मंत्री रहने के बाद सालेह मोहम्मद ने 2023 का फिर से चुनाव लड़ा लेकिन महंत प्रतापपुरी से 30 हजार से अधिक मतों से हार गए.
पूरे परिवार का राजनीति में खासा दबदबा है
गाजी फकीर परिवार में शाले मोहम्मद ही इकलौते ऐसे शख्स नहीं है जो राजनीति में हैं बल्कि उनके परिवार के कई लोग हैं जो सक्रिय राजनीति में हैं. शाले मोहम्मद के चाचा फतेह मोहम्मद और छोटे भाई अबदुल्हा फकीर भी जैसलमेर जिला प्रमुख रहे हैं. वहीं उनके एक छोटे भाई अमरदीन फकीर जैसलमेर पंचायत समिति के प्रधान रह चुके हैं. शाले मोहम्मद परिवार का जैसलमेर के पंचायती राज में खासा दबदबा रहा है. उनके परिवार के अन्य लोग भी गांव गुवाड़ की राजनीति में सक्रिय हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
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Location :
Jaisalmer,Jaisalmer,Rajasthan